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कृषि कर्मण पुरस्कारों के वितरण के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

मुझे, आज खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य के लिए राज्य सरकारों को वर्ष 2011-12 के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार वितरित करने के लिए यहां उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि वर्ष 2011-12 में जो रिकार्ड उत्पादन हुआ वह देश के 18 राज्यों के समस्त फसल क्षेत्र के 2/3 क्षेत्र से प्राप्त हुआ था जो कि काफी विस्तृत क्षेत्र है। यह वास्तव में एक प्रशंसनीय शानदार उपलब्धि है।

10वें ज्ञान सहस्राब्दि शिखर सम्मेलन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

मुझे, एसोचैम द्वारा ‘असाधारण रोगों का उपचार : नवान्वेषणों का आदान-प्रदान’ विषय पर आयोजित 10वें ज्ञान सहस्राब्दि शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बहुत खुशी हो रही है। मैं एसोचैम को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में नवान्वेषणों को बढ़ाने की जरूरत पर, इस समयानुकूल शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए बधाई देता हूं।

एशिया प्रशांत नेत्र-विज्ञान अकादमी की28वीं कांग्रेस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण


मुझे, आज एशिया प्रशांत नेत्र-विज्ञान अकादमी की 28वीं कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। मैं अकादमी और अखिल भारतीय नेत्र-विज्ञान सोसायटी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे पूरे विश्व से यहां एकत्रित नेत्र रोग विशेषज्ञों के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया।

यह सम्मेलन, लगभग 28 वर्ष के अंतराल के बाद, दूसरी बार भारत में आयोजित किया जा रहा है। भारत में इसका आयोजन अखिल भारतीय नेत्र-विज्ञान सोसायटी के निष्ठावान प्रयासों का परिणाम है जो ए पी आई ओ के साथ मिलकर कार्य कर रही है। मैं उन्हें इस प्रयास के लिए बधाई देता हूं।

बंगाल इंजीनियरी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, शिबपुर के 15वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

मुझे, बंगाल इंजीनियरी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय, शिबपुर के 15वें वार्षिक दीक्षांत समारोह के अवसर पर आपके बीच उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है।

1856 में, कलकत्ता इंजीनियरी कॉलेज के रूप में दस विद्यार्थियों और तीन संकाय सदस्यों के साथ स्थापित इस विश्वविद्यालय ने एक लम्बी यात्रा तय की है। विगत 157 वर्षों के दौरान, यह विश्वविद्यालय एक ऐसे अग्रणी संस्थान के रूप में विकसित हो गया है जिसके पूर्व विद्यार्थियों ने भारत में और विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी मेधा को सिद्ध किया है और न केवल अपना बल्कि अपने संस्थान का नाम भी रोशन किया है।

भूटान नरेश महामहिम जिग्मे खेसर नामग्येल वांग्चुक के सम्मान में आयोजित राज-भोज में राष्ट्रपति जी का अभिभाषण

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महामहिम,

भूटान नरेश, जिग्मे खेसर नामग्येल वांग्चुक,

महामान्या,

भूटान की महारानी अशि जेट्सन पेमा वांग्चुक,

प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह,

महामहिमगण,

देवियो और सज्जनो,

64वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का राष्ट्र के नाम संदेश

मेरे प्यारे देशवासियो :

चौंसठवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं भारत में और विदेशों में बसे आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूं। मैं अपनी सशस्त्र सेनाओं, अर्ध सैनिक बलों तथा आंतरिक सुरक्षा बलों को विशेष बधाई देता हूं।

अगले पांच वर्षों में भारत के खाद्य उत्पादन को दोगुना करने पर राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

मुझे आज कृषि मंत्रालय तथा कृषि केयर फैडरेशन ऑफ इण्डिया द्वारा ‘‘अगले पांच वर्षों में भारत के खाद्य उत्पाद को दोगुना करने’’ पर आयोजित किए जा रहे सम्मेलन के उद्घाटन के लिए यहां आकर बहुत खुशी हो रही है। मुझे नीति निर्माताओं, एग्रोकैम उद्योग के प्रतिनिधियों तथा प्रख्यात बुद्धिजीवियों और वैज्ञानिकों की इस सभा में शामिल होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है।

27वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

मुझे 27वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले के उद्घाटन के लिए यहां उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। यह मेला भारत के पर्यटन तथा सांस्कृतिक कैलेंडर में तथा पूरी दुनिया में जागरूक पर्यटकों के लिए भी महत्त्वपूर्ण तारीख बन चुका है। मुझे याद है कि इस मेले को 1987 में छोटे स्तर पर केवल 3 एकड़ के मैदान में आयोजित किया गया था। मुझे वास्तव में खुशी है कि यह अब विकसित होकर अंतरराष्ट्रीय मेले की शक्ल ले चुका है—अब यह 40 एकड़ में फैला हुआ है तथा इसमें भारत के सभी राज्यों के शिल्पकार तथा बुनकर और 20 देशों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि पिछले वर्षों की उपस्थिति

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