कुलाध्यक्ष सम्मेलन के दौरान भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के साथ उद्योग-शैक्षिक समुदाय के सत्र पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 17.11.2016
डाउनलोड : भाषण (हिन्दी, 238.05 किलोबाइट)
1. मैं उद्योग-शैक्षिक समुदाय के सत्र को संबोधित करके बहुत प्रसन्न हूं। वास्तव में यह तीन दिवसीय कुलाध्यक्ष सम्मेलन का महत्वपूर्ण घटक है जो आज आरंभ हुआ है। मैं भारतीय उद्योग परिसंघ को इस विशेष सत्र के लिए राष्ट्रपति भवन का साथ देने के लिए धन्यवाद करता हूं। सीआईआई उच्च शिक्षा और औद्योगिक क्षेत्र के अंतर को कम करने में सक्रिय रहा है। इसका उद्योग-संस्थान सहयोग को आगे लाने का अपूर्व मॉडल चाहे वह डीएसटी के साथ डॉ. रिसर्च के लिए प्रधानमंत्री की फैलोशिप योजना हो अथवा एआईसीटीई के साथ इंड पैक्ट सर्वे हो, पर्याप्त सफलतापूर्ण रहा है। मैं सीआईआई और भागीदार संगठनों को मुबारकबाद देता हूं और उनसे आग्रह करता हूं कि वे भविष्य में इसी प्रकार प्रगतिशील प्रयास बनाएं रखें।
2. मैं विचार-विमर्श करने से पूर्व सभी केंद्रीय संस्थानों और औद्योगिक संगठनों को भी मुबारकबाद देता हूं जिन्होंने अभी अभी इस मंच पर समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया है जो पिछले वर्ष आरंभ किया गया था- जब कुलाध्यक्ष सम्मेलन में 43 समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान हुआ था- अब इस वर्ष ट्रेंडिंग के रूप में आरंभ हो गया है। अब समझौता ज्ञापनों की संख्या 67 हो गई है। मैं उम्मीद करता हूं कि ये प्रयास भविष्य में गतिशील बने।
देवियो और सज्जनोः
3.राष्ट्रीय विकासात्मक प्रयास में उच्च शिक्षा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण भूमिका है। पारंपरिक ज्ञान के भंडार होने पर और नए ज्ञान की नर्सरी होने पर भी उच्च शिक्षा पारितंत्र एक अर्थव्यवस्था के विभिन्न प्रगति केंद्रों को प्रभाविकत करता है। औद्योगिक क्षेत्र की प्रगति कई महत्वपूर्ण अर्थों में शिक्षा पर निर्भर करती है। इस क्षेत्र द्वारा रोजगार दिए गए छात्रों को दिए गए प्रशिक्षण की गुणवत्ता औद्योगिक क्षमता के स्तर को निर्धारित करती है और उद्योग विश्वविद्यालय स्तर पर किए गए विभिन्न अनुसंधान और नवोन्वेषण के लिए एक आउटलेट प्रदान करता है। प्रौद्योगिकी विकास फैक्ट्रीयों की दक्षता में सुधार लाते हैं जिसके परिणामस्वरूप कम कीमत पर बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद बनते हैं।
4. इसलिए उद्योग और उच्च शिक्षा को पारस्परिक लाभकारी फ्रेमवर्क में मिलकर कार्य करने की बड़ी आवश्यकता है। इन दोनों प्रमुख क्षेत्रों के बीच एक सशक्त अंतर्पृष्ठ समस्त अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक कदम होगा। उच्च शिक्षा प्रणाली में जो पढ़ाया जाता है और अनुसंधान किया जाता है उसे औद्योगिक क्षेत्र में प्रयोग में लाया जाना चाहिए।
5. उद्योग के लिए शिक्षा संस्थान के साथ प्रथम संपर्क गुणवत्ता जनशक्ति के आरंभ करने से है। जबतक स्नातक उद्योग में आवश्यक कौशल को पूरा नहीं करते हैं, उनकी उपयोगिता नियोक्ता के लिए ठोस लाभ में सहायक नहीं होगी। हमारे परिसरों में पाठ्यक्रम के कार्यक्रमों को औद्योगिक विचारधारा से जोड़ा जाना चाहिए। यह आवश्यक है कि कॉरपोरेट विशेषज्ञ और औद्योगिक क्षेत्रों में आवश्यकताओं पड़ने पर शैक्षिक प्रबंधकों को सलाह दें। उनके दिए गए आदान प्रशिक्षण और परियोजित कार्य सहित विभिन्न शैक्षिक मानदंडों के द्वारा समर्थित होंगे। इसके परिणामस्वरूप मध्यम कैरियर प्रशिक्षण के लिए उद्योग कार्मिकों की प्राप्ति के लिए शैक्षिक संस्थान बेहतर रूप से तैयार होंगे।
विशिष्ट गणमान्य, देवियो और सज्जनो,
6. उद्योग और शैक्षिक संस्थानों के बीच संबंधों में अनुसंधान सहयोग एक अन्य महत्वपूर्ण घटक है। अनुसंधान के द्वारा तृतीयक शिक्षा में वृहत मात्रा में ज्ञान सृजन किया जाता है। वे समाज में औद्योगिक और अन्य क्षेत्रों के माध्यम से प्रयाग किए जाते हैं। मेरे विचार से एक ठोस औद्योगिक संपर्क एक उच्च शिक्षा प्रणाली से आर्थिक प्रणाली तक ज्ञान के अंतरण के लिए एक कुशल तंत्र प्रदान करता है। यह अनुसंधान और विकास प्रयास के बेहतर समन्वय को भी जन्म देता है जिससे पुनरावृत्ति से बचा जा सके।
7. हमारे उच्च शिक्षा के हमारे केंद्रीय संस्थानों द्वारा अपने आपको हाल के वर्षों में औद्योगिक क्षेत्र के साथ सक्रियता से संलग्न रखना संवेदनशील है। कुलाध्यक्ष सम्मेलन, 2014 के द्वारा कुलपति सम्मेलन, 2014 के दौरान मैंने केंद्रीय संस्थानों से आग्रह किया था कि वे संयुक्त अनुसंधान, संकाय आदान-प्रदान और चेयर्स स्थापित करने के लिए और स्वामित्व जैसे सहायक कार्यकलापों के लिए उद्योग अंतरापृष्ठ कक्ष स्थापित करें। मैं खुश हूं कि आज 90 केंद्रीय संस्थानों में उद्योग अंतरापृष्ठ कक्ष स्थापित हैं। आज की तारीख में उद्योग के साथ 450से अधिक समझौता ज्ञापन हैं। कुलाध्यक्ष सम्मेलन- 2015 और 2016 में भी 100 समझौता ज्ञापन संपन्न हुए। मैं कहना चाहूंगा कि पिछले वर्ष आदान-प्रदान किए गए कुछ समझौता ज्ञापनों में की गई प्रगति वास्तव में अच्छी है जैसा कि इस सायं प्रस्तुतीकरण में दर्शाया गया है। मुझे विश्वास है कि हम शीघ्र ही अपने मानदंडों को कार्य निष्पादन के उच्च स्तर तक ले जा सकते हैं ताकि दोनों ही पूर्ण लाभ उठा सकें।
8. अध्ययन से पता चला है कि उद्योग सहयोग केवल ज्ञान अंतरण में ही सुविधा प्रदान करता है और नवोन्वेष को मन से बाजार तक तेज करता है, यह शैक्षिक उत्पादकता में भी सुधार लाता है। हमारे समझौता ज्ञापन मुख्यतः सम्मेलनों, औद्योगिक कर्मचारियों के प्रशिक्षण, छात्रों के प्रशिक्षण, उद्योग विशेषज्ञों के लिए सहायक फैकल्टी और लाइसेंसिंग के द्वारा शैक्षिक रूप से सृजित बौद्धिक संपदा को व्यवसाय उद्यमों में अंतरण पर ही केंद्रीत होते हैं। यद्यपि यह सराहनीय है, समझौता ज्ञापनों को अनुसंधान साझीदारी, साझे इन्क्यूबिटर्स और अनुसंधान पार्कों जैसे उच्च तीव्रता संपर्कों पर भी केंद्रीत होना चाहिए। उन्हें अनुसंधान संबंधित कार्यों पर भी अनुबंध करना चाहिए जिसमें परामर्श, गुणवत्ता नियंत्रण, परीक्षण, प्रमाणीकरण और औद्योगिक फर्मों द्वारा संस्थानों में प्रोटोटाइप विकास शमिल हो।
देवियो और सज्जनो,
9. संस्थानों और उद्योग को समय समय पर गहन संपर्क स्थापित करना कठिन हो सकता है। शैक्षिक संस्थानों और व्यवसाय संस्थापनाओं के बीच अनुसंधान अनुकूलन में अंतर हो सकता है। व्यवसाय एक नए उत्पादों के शीघ्र परिणाम और तीव्र उपलब्धता पर केंद्रीत हो सकते हैं। विश्वविद्यालय और संस्थान विकास प्रक्रिया की लंबी अवधि के साथ मूल अनुसंधान पर अधिक जोर दे सकते हैं। दोनों ही अपने विचार से उपयुक्त हैं परंतु सहयोग के लिए हमें व्यवसाय और बौद्धिक दृष्टिकोण के लिए एक सामान्य स्थान निर्मित करना होगा। इसमें मानव पूंजी और सॉफ्ट कौशल की आवश्यकता है। निगमों और संस्थानों दोनों में ही उच्च प्रबंधन को शामिल किया जाना चाहिए और रणनीतिक प्रयोजन के रूप में सहयोग का विश्वास दिलाया जाना चाहिए। वे ऐसे कार्मिकों को नियुक्त करें जो विश्वास और शांति के वातावरण में साझीदारी विकसित करने और बनाए रखने के योग्य हों। उच्च शिक्षा के संस्थान और एक औद्योगिक उद्यम के बीच मजबूत संबंध सहयोग के क्षेत्र में और अधिक विस्तार देने में प्रेरणादायक हो सकते हैं।
10. देवियो और सज्जनो, इन शब्दों के साथ मैं एक बार फिर निष्कर्ष के तौर पर केंद्रीय संस्थानों और उद्योग को आज अनेक समझौता ज्ञापन आदान-प्रदान करने के लिए मुबारकबाद देता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि उच्च शिक्षा के अधिकाधिक केंद्रीय संस्थान जिनमें गैर-तकनीकी संस्थान शामिल हैं, मुक्त कलाओं पर केंद्रीत भविष्य में उद्योग के साथ मिलकर कार्य करेंगे। आपकी सफलता के लिए शुभकामनाएं और ईश्वर आपके प्रयास को तीव्र करे।
धन्यवाद।
जयहिन्द।