भारत की राष्ट्रपति, माननीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित संविधान दिवस समापन समारोह में सम्बोधन
मुझे आज संविधान दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर यहां आकर प्रसन्नता हो रही है। 73 साल पहले इसी दिन संविधान सभा ने हम सबके भविष्य के लिए इस दस्तावेज को अंगीकार किया था। आज हम उस संविधान को अंगीकार करने को स्मरण कर रहे हैं जिसने न केवल दशकों से हमारे गणतंत्र की यात्रा का मार्गदर्शन किया है, बल्कि कई अन्य देशों को भी अपने संविधान तैयार करने के लिए प्रेरित किया है।