भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का सतर्कता जागरूकता सप्ताह के समारोह में सम्बोधन
नई दिल्ली : 08.11.2024
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Vigilance से जुड़े इस कार्यक्रम में आप सभी के बीच आज उपस्थित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। CVC द्वारा तीन महीने तक चलाया जा रहा Preventive Vigilance अभियान अपने अंतिम चरण में है। मैं इस अभियान की सराहना करती हूं। जैसा कि हमें ज्ञात है Vigilance Awareness Week, सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के उपलक्ष में आयोजित किया जाता है। अग्रणी राष्ट्र-निर्माता सरदार पटेल एक कुशल प्रशासक भी थे। सरदार पटेल के आदर्शों से, देशवासियों को, राष्ट्र निर्माण हेतु कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।
देवियो और सज्जनो,
हमारी संस्कृति में नैतिक जीवन को सार्थक एवं सफल जीवन माना गया है। महान दार्शनिक और कवि तिरुवल्लुवर ने बिना किसी को क्षति पहुंचाए अर्जित धन को आनंद का स्रोत बताया है।
हमारे समाज में सत्यनिष्ठा और अनुशासन को जीवन का आदर्श माना गया है। लगभग 2300 वर्ष पहले मेगस्थनीज ने भारतीय लोगों के बारे में लिखा है कि वे अनुशासनहीनता नापसंद करते हैं और कानून का पालन करते हैं। उनके जीवन में सरलता और मितव्ययिता है। इसी तरह के उल्लेख फ़ाहियान ने भी हमारे पूर्वजों के बारे में किए हैं।
इस परिप्रेक्ष्य में CVC द्वारा इस वर्ष की गतिविधियों के लिए चुना गया “सत्यनिष्ठा की संस्कृति से राष्ट्र की समृद्धि” विषय अत्यंत उपयुक्त है।
देवियो और सज्जनो,
विश्वास या Trust सामाजिक जीवन का आधार है। यह एकजुटता का स्रोत है और संबंधों को प्रगाढ़ बनाता है। सरकार के कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं में जन-विश्वास से ही शासन को शक्ति मिलती है। भ्रष्टाचार आर्थिक प्रगति के लिए अवरोध तो है ही, यह समाज में विश्वास को भी कम करता है। इससे लोगों के बीच में बंधुता कम होती है। इसका व्यापक प्रभाव देश की एकता और अखंडता पर भी पड़ता है। प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर को सरदार पटेल के जन्मदिन पर हम देश की एकता और अखंडता अक्षुण्ण रखने का संकल्प लेते हैं। यह एक ritual मात्र नहीं है। यह एक गंभीर प्रतिज्ञा है। इसको निभाने का सामूहिक दायित्व हम सब का है।
भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा। इस बीमारी की जड़ तक जाना होगा। केवल symptoms के जरिये इसे ठीक करना प्रभावी नहीं होगा। भारतीय समाज के शाश्वत मूल्यों जैसे सत्यनिष्ठा, सदाचार, करुणा और पारदर्शिता को सुदृढ़ करना होगा। इन जीवन-मूल्यों को और अधिक सींचने तथा मजबूत करने की आवश्यकता है।
अक्सर आप समाचार पत्रों और अन्य संचार माध्यमों से जानते-सुनते होंगे कि ट्रेन में किसी व्यक्ति ने अपना समान छोड़ दिया और किसी गरीब व्यक्ति ने वह समान पुलिस को सौंप दिया। वह व्यक्ति चाहता तो उस समान को अपने घर ले जा सकता था। लेकिन गरीब होने के बावजूद भी उसे सही-गलत की पहचान है। यह नैतिकता ही भारतीय समाज का आदर्श है।
जब कुछ लोग अच्छे जीवन का मानक सिर्फ वस्तुओं, धन या संपत्ति का संग्रह मानने लगते हैं तो वे इस आदर्श से भटक जाते हैं। जिसके लिए वे भ्रष्ट कार्यों का सहारा लेते हैं। जीवन का सुख मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करके आत्म सम्मान के साथ जीवन जीने में है। मैं जनजातीय समाज से आती हूं। मैंने देखा है कि सीमित संसाधनों में भी जनजातीय समाज के लोग प्रसन्न और संतुष्ट रहते हैं।
भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्तियों की नियति हमेशा बुरी होती है। वे कभी भी खुश नहीं रह पाते हैं। वे हमेशा इस भय में रहते हैं कि न जाने कब उनकी अनैतिक और गैर-कानूनी गतिविधियां सभी के सामने आ जाएंगी। कई ऐसे लोगों का बचा हुआ जीवन कारागार में बीतता है। ऐसे व्यक्तियों के परिजनों को समाज में अपमान सहना पड़ता है।
देवियो और सज्जनो,
सही भावना और दृढ़ संकल्प के साथ कोई कार्य किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। हमने देखा है कि कुछ लोगों द्वारा अस्वच्छता को हमारे देश की नियति मान लिया गया था। लेकिन सशक्त नेतृत्व, राजनैतिक इच्छा-शक्ति और नागरिकों के योगदान से स्वच्छता के क्षेत्र में सुखद परिणाम आए हैं। ऐसे ही, कुछ लोगों द्वारा भ्रष्टाचार के उन्मूलन को असाध्य मान लेना एक निराशावादी दृष्टिकोण है जो उचित नहीं है।
भारत सरकार ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं। जैसे Direct Benefit Transfer से कल्याणकारी सहायता के वितरण में पारदर्शिता आई है। सार्वजनिक खरीद में ई-टेंडरिंग का कार्यान्वयन किया गया है। गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस की शुरूआत की गई है। एक प्रोबिटी पोर्टल संचालित किया जा रहा है। वर्ष 2018 में Prevention of Corruption Act को संशोधित किया गया है। Economic Offenders Act लागू किया गया है। पिछले दस वर्षों में, Prevention of Money Laundering Act के तहत सरकार ने बारह बिलियन डॉलर से अधिक की संपत्तियां जब्त की है। मुझे विश्वास है कि भारत सरकार की “Zero Tolerance Against Corruption’ की नीति से भ्रष्टाचार जड़ से समाप्त हो जाएगा। ऐसा कहा जा सकता है कि भ्रष्टाचार से मुक्ति का कार्य भी देश की स्वच्छता के अभियान का ही एक रूप है।
देवियो और सज्जनो,
भ्रष्ट व्यक्तियों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्रवाई में देरी या कमजोर कार्रवाई से अनैतिक व्यक्तियों को हौसला मिलता है। लेकिन यह भी आवश्यक है कि हर कार्य और व्यक्ति को संदेह की दृष्टि से न देखा जाए। हमें इससे बचना चाहिए। व्यक्ति की गरिमा को ध्यान में रखते हुए कोई भी कार्रवाई दुर्भावना से प्रेरित न हो। किसी भी कार्रवाई का उद्देश्य समाज में न्याय और समता स्थापित करना होना चाहिए।
प्रसिद्ध हिन्दी कहानीकार श्री सुदर्शन जी की एक कहानी है ‘हार की जीत’ जो स्कूल स्तर पर विद्यार्थियों को पढ़ाई जाती है। इस कहानी में बाबा भारती नाम के एक सज्जन व्यक्ति के घोड़े को एक डाकू गरीब भिखारी के भेष में धोखेबाजी करके ले भागता है। बाबा भारती उस डाकू से विनती करते हैं कि वह इस घटना की चर्चा न करे क्योंकि ‘लोग किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे’। बाबा भारती की यह बात याद करके डाकू का हृदय-परिवर्तन होता है और वह घोड़ा वापस कर देता है। आप में से बहुत से लोग इस कहानी से परिचित होंगे। भारतीय मानस के इन्हीं शाश्वत मूल्यों के कारण गलत व्यक्ति भी सही राह पर आने की कोशिश करता है।
CVC की जिम्मेदारियां काफी महत्वपूर्ण हैं और यह संस्थान इन जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है। जिनके जन्मदिन पर Vigilance Awareness सप्ताह मनाया जाता है, उन सरदार पटेल का जीवन एक अनुपम आदर्श था। वे सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता, सदाचार, संयम और दृढ़ता के प्रतीक थे। आइए एक बार फिर, हम यह संकल्प लें कि भ्रष्टाचार का सम्पूर्ण उन्मूलन कर भारत को समग्र रूप से श्रेष्ठ राष्ट्र बनाएंगे।
धन्यवाद।
जय हिन्द!
जय भारत!