भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में सम्बोधन
रायपुर : 26.10.2024
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महान राष्ट्रवादी विचारक एवं भारतीय राजनीति की सम्मानित विभूतियों में से एक, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर स्थापित इस विश्वविद्यालय में आकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। मैं आज उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देती हूं। मुझे यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई है कि आज दिए गए स्वर्ण पदकों में से अधिकांश पदक बेटियों को मिले हैं। यह प्रदर्शन बेटियों के वर्चस्व को रेखांकित करता है। मुझे यह जानकर भी हर्ष का अनुभव हुआ है कि इस विश्वविद्यालय और इससे सम्बद्ध कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों में लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में दोगुनी है। यह एक बड़े बदलाव का प्रमाण है। आज के विद्यार्थी ही भविष्य का निर्माण करेंगे।
दो दिनों के अपने इस छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान मुझे दो इंजीनियरिंग और दो मेडिकल संस्थानों के विद्यार्थियों को संबोधित करने का अवसर मिला है। इस दौरान उनके आत्मविश्वास तथा जीवन में आगे बढ़ने की उनकी ललक को मैंने महसूस किया है। मुझे ऐसे युवाओं में नए भारत की झलक दिखती है; वह नया भारत जो पूरी मजबूती के साथ विश्व में अपना उचित स्थान पाने के लिए आगे बढ़ रहा है।
देवियो और सज्जनो,
छत्तीसगढ़ की अधिकांश जनता गांवों में रहती है। उन लोगों तक उचित स्वास्थ्य-सेवा पहुंचाना चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस संदर्भ में ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष विश्वविद्यालय’ की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य में चिकित्सा शिक्षण, प्रशिक्षण और शोध को बढ़ावा देने के लिए इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। क्षेत्रीय स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान इस विश्वविद्यालय के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है।
यह प्रसन्नता की बात है कि विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध कॉलेजों में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ-साथ आयुष प्रणालियों की शिक्षा भी दी जाती है। बहुत सारे कॉलेजों में नर्सिंग के कोर्स कराये जा रहे हैं। इस प्रकार यह विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ में स्वास्थकर्मियों की उपलब्धता बढ़ाने और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
अभी भी मलेरिया, फाइलेरिया और टीबी जैसी संक्रामक बीमारियों का पूरी तरह से उन्मूलन नहीं हो पाया है। भारत सरकार इन रोगों के उन्मूलन के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। अभी हाल ही में, ट्रेकोमा नामक संक्रामक रोग, जो अंधेपन का कारण बन जाता था, को समाप्त करने में भारत ने सफलता प्राप्त कर ली है। जनजातीय समाज में सिकल सेल एनीमिया एक बड़ी समस्या है। भारत सरकार ‘राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन’ के तहत इस समस्या को दूर करने के लिए प्रयासरत है।
मैं सरकार के इन सभी प्रयासों को आप लोगों के समक्ष इसलिए रख रही हूं, क्योंकि स्वास्थ्यकर्मी ही अग्रिम पंक्ति के योद्धा हैं। आप, सामान्य लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जागरूक बना सकते हैं। उन्हें सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से अवगत करा सकते हैं। आप नीति-निर्माताओं और सामान्य जनता के बीच सेतु का कार्य कर सकते हैं।
प्रिय विद्यार्थियों,
मैं समझती हूं कि ग्रामीण क्षेत्रों में जाने से आप देश की बहुत बड़ी जनसंख्या की वास्तविक समस्याओं से अवगत हो पाएंगे। आपका चिकित्सकीय अनुभव समृद्ध होगा। समाज तथा देश के प्रति आपका कर्तव्य-बोध मजबूत होगा। इसलिए सभी डॉक्टरों को अपने पेशेवर जीवन के कुछ वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों को समर्पित करने पर विचार करना चाहिए। मैं चाहती हूं कि सभी विद्यार्थियों को समय-समय पर गांवों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर ले जाया जाए।
शिक्षकों और डॉक्टरों के प्रति सम्मान की भावना का उपयोग लोगों को सामाजिक मुद्दों पर जागरूक बनाने के लिए किया जा सकता है। जैसे वे लोगों को समझा सकते हैं कि नशीले पदार्थों के सेवन से उनका स्वास्थ्य तो खराब होता ही है, उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति भी खराब होती है। इसी तरह चिकित्सक, लोगों को रक्तदान और अंगदान के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
देवियो और सज्जनो,
इस राज्य में जड़ी-बूटियों का अकूत भंडार है। बीजा और धावड़ा जैसे पेड़ों के औषधीय महत्व के बारे में ग्रामीण तथा जनजातीय भाई-बहन जानते हैं। इस ज्ञान भंडार का documentation और standardization करके इन्हें विलुप्त होने से बचाया जा सकता है। यहां के वनवासियों के ज्ञान भंडार पर शोध को बढ़ावा देने से, ऐसी जानकारी का विज्ञान-सम्मत उपयोग व्यापक स्तर पर हो सकेगा। इस क्षेत्र में उद्यम और रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेगी।
Climate change और global warming की समस्याओं से हम सभी अवगत हैं। विश्वस्तर पर लोगों के खान-पान का तरीका इन समस्याओं को और जटिल बना रहा है। अभी हाल ही में प्रकाशित WWF की Living Planet Report 2024 में भारत के food pattern को बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक sustainable माना गया है। यह हमारे पारंपरिक जीवन- शैली की महत्ता को रेखांकित करता है, जिसकी शिक्षा हमें आयुर्वेद से मिलती है।
निष्क्रिय जीवन-शैली भी कई बीमारियों को बढ़ावा दे रही है। ये बीमारियां हमारी चिकित्सा प्रणाली और अर्थव्यवस्था पर अनावश्यक दबाव डालती हैं। जागरूकता के द्वारा इनकी रोक-थाम संभव है। इसके लिए योग और आयुर्वेद जैसी परंपरागत प्रणालियां कारगर हैं।
प्रिय विद्यार्थियों,
दीक्षांत समारोह का यह दिन आपके जीवन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस सफलता में आपकी प्रतिभा, लगन और परिश्रम के साथ-साथ आपके माता-पिता, परिवारजनों, शिक्षकों के सहयोग और मार्गदर्शन का भी महत्वपूर्ण योगदान है। आपको उनका आभार व्यक्त करना चाहिए। आज का दिन खुशी मनाने के साथ-साथ अपने भविष्य के बारे में संकल्प लेने का अवसर भी है। आपको अपने भविष्य की रूप-रेखा बनाते समय यह ध्यान रखना है कि आपकी इस शिक्षा में समाज का भी योगदान है। समाज ने आपकी शिक्षा में जो निवेश किया है वह समाज को लौटाना आपका कर्तव्य है।
वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में ‘विकसित छत्तीसगढ़’ का महत्वपूर्ण योगदान होगा। समग्र विकास के लिए नागरिकों का अच्छा स्वास्थ्य महत्वपूर्ण होता है। अच्छा स्वास्थ्य, लोगों की उत्पादकता और रचनात्मकता को बढ़ाता है। इसलिए छत्तीसगढ़ को विकसित बनाने में राज्य के स्वास्थ्यकर्मियों की अहम भूमिका होगी। आपमें से अधिकांश विद्यार्थी छत्तीसगढ़ के निवासी हैं। आपको स्थानीय समस्याओं की बेहतर समझ है। आप राज्य की स्वास्थ्य समस्याओं पर research करें, उनका समाधान खोजने का प्रयास करें। इस प्रयास में latest technologies और AIIMS रायपुर जैसे संस्थानों का सहयोग लें। आपके शोध से न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्य भी लाभान्वित होंगे।
आपका भविष्य उज्ज्वल हो, इसी कामना के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!
जय भारत!