समुद्रतट महोत्सव ‘फेस्टा डी दीव’ के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
प्रिय अतिथिगण, देवियो और सज्जनो,
प्रिय अतिथिगण, देवियो और सज्जनो,
1. मुझे द टाइम्स हायर एजूकेशन ब्रिक्स एंड एमर्जिंग इकोनोमिक यूनिवर्सिटीज समिट, 2015 के प्रतिनिधियों को संबोधित करने का अवसर प्राप्त करके वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। मैं विशिष्ट प्रतिभागियों का स्वागत करता हूं। मैं टाइम्स हायर एजूकेशन और भारत में उन्हें साझीदार ओ.पी.
प्रिय मित्रो, देवियो और सज्जनो,
आज के पुरस्कार समारोह में भाग लेने के लिए इस ऐतिहासिक दरबार हॉल में आपके बीच उपस्थित होना वास्तव में मेरा सौभाग्य है।
1. उत्कृष्ट दक्ष शिल्पकारों को वर्ष 2012, 2013 और 2014के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार और शिल्पगुरु पुरस्कार प्रदान करने के लिए आज आपके बीच उपस्थित होना वास्तव में मेरे लिए एक सुखद अवसर है।
Iमुझे यहां ऊर्जा-उत्सव ‘उमंग2015’में आपके बीच इस ऊर्जात्मक और उत्साहित वातावरण,जो कि आपके बढ़-चढ़कर भागीदारी द्वारा तैयार किया गया है,आने में खुशी है। सर्वप्रथम मैं, दिल्ली के शिक्षा विभाग, टाटा कंपनी समूह और राष्ट्रपति सचिवालय के इस नवोन्मेष कार्यक्रम के लिए प्रशंसा करता हूं।
1. मैं यहां उत्तरी भारत के चर्च कोलकाता डायोसेस के द्विशताब्दी समापन समारोह पर उपस्थित होकर प्रसन्न हूं। सर्वप्रथम मैं इस ऐतिहासिक संस्था को इसकी सेवा की सफल यात्रा और कोलकाता शहर और पूरे समाज के लिए प्रतिबद्धता पर मुबारकबाद देता हूं।
1. मैं वर्ष 2013में एशियाटिक सोसायटी इंदिरा गांधी स्मृति व्याख्यान देने में अपने आपको सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं परिषद के सदस्यों और एशियाटिक सोसायटी के सलाहकार बोर्ड के सदस्यों के प्रति व्याख्यान देने हेतु मुझे आमंत्रित करने के लिए आभार प्रकट करता हूं।
1. मैं कर्नाटक के केंद्रीय विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर बहुत खुश हूं। यह विश्वविद्यालय वर्ष 2009 में आरंभ किए गए 16केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। ये विश्वविद्यालय बहुधा देश के पिछड़े क्षेत्रों में स्थापित किए गए थे ताकि लोगों को उच्चतर शिक्षा सुलभ कराई जा सके।
मैं आज इस ऐतिहासिक अवसर पर यहां आकर प्रसन्न हूं। जैसा कि हम जानते हैं कि नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ मैन्टल हेल्थ एण्ड न्यूरोलोजिकल साईंसिज अथवा निमहैन्स को मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए जाना जाता है। 1850से इसकी आरंभिक यात्रा से, निमहैन्स, आज राष्ट्रीय महत्त्व के अग्रणी संस्थान के रूप में विकसित हो गया है। नीमहन्स ने निषेध और पुनर्वास के साथ देखभाल को