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भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का सीएलईए-कॉमनवेल्थ अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल सम्मेलन के समापन समारोह में संबोधन।

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मुझे यहां अटॉर्नी और सॉलिसिटर जनरलों, कानूनी और न्यायिक संस्थान के अन्य सदस्यों और राष्ट्रमंडल देशों के कानूनी विद्वानों की गरिमामयी सभा में आकर प्रसन्नता हो रही है। आप में से अनेक लोग दूर-दूर से आए हैं, और आप सभी ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे, अर्थात् न्याय प्रदान करने में सीमा पार की चुनौतियों पर विचार-मंथन के लिए दो दिन का समय निकाला है। मुझे आशा है कि सम्मेलन के दौरान आप सब ने औपचारिक और अनौपचारिक यादगार चर्चाएँ तथा विचारों और अनुभवों का उपयोगी आदान-प्रदान किया होगा।

भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अरुण जेटली राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान में प्रोबेशनर्स प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के 31वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों से मुलाकात के अवसर पर संबोधन

मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है की आज आप सब से बातचीत करने का अवसर मिला। मैं, सिविल सेवा परीक्षा में आपकी सफलता के लिए आपको बधाई देती हूं। इस बात में कोई संदेह नहीं है की आप सब अपने दृढ़ संकल्प, दृढ़ता और स्मार्ट कार्यप्रणाली के माध्यम से इन प्रतिष्ठित सेवाओं में चयनित होकर आए हैं।

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 37वें सूरजकुण्ड अन्तरराष्ट्रीय शिल्प मेला-2024 के उद्घाटन के अवसर पर सम्बोधन

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मैं इस मेले में भागीदारी करने वाले सभी शिल्पकारों को बधाई देती हूं। मुझे बताया गया है कि इस अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का आयोजन केंद्र सरकार तथा हरियाणा की राज्य सरकार के सहयोग से किया जाता है। इस मेले के आयोजन से जुड़े सभी मंत्रालयों और विभागों की मैं सराहना करती हूं। इस मेले में उत्साह से भाग लेने वाले सभी आगंतुक भी प्रशंसा के पात्र हैं।

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संसद के समक्ष अभिभाषण

माननीय सदस्यगण, 

1. इस नए संसद भवन में यह मेरा पहला संबोधन है।

आज़ादी के अमृतकाल की शुरुआत में यह भव्य भवन बना है।

यहां एक भारत श्रेष्ठ भारत की महक भी है।

भारत की सभ्यता और संस्कृति की चेतना भी है।

इसमें, हमारी लोकतांत्रिक और संसदीय परंपराओं के सम्मान का प्रण भी है।

साथ ही, 21वीं सदी के नए भारत के लिए, नई परंपराओं के निर्माण का संकल्प भी है।

मुझे पूरा विश्वास है कि इस नए भवन में नीतियों पर सार्थक संवाद होगा।

ऐसी नीतियां जो आज़ादी के अमृतकाल में विकसित भारत का निर्माण करेंगी।

मैं आप सभी को अपनी शुभकामनाएं देती हूं।

फ्रांस के राष्ट्रपति महामहिम इमैनुएल मैक्रों के सम्मान में आयोजित भोज में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का अभिभाषण

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यह कई मायनों में एक ऐतिहासिक और यादगार क्षण है। शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा, कि दो देशों के नेता, लगातार एक-दूसरे के राष्ट्रीय दिवस परेड और समारोह में मुख्य अतिथि रहे हैं।

हमारी दोस्ती की गहराई और हमारी साझेदारी की मजबूती का, 14 जुलाई 2023 और 26 जनवरी 2024 से बेहतर कोई प्रतीक नहीं हो सकता।

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 14वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर संबोधन

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आज, भारत के निर्वाचन आयोग के पचहत्तरवें स्थापना दिवस तथा राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर मैं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई देती हूं। चुनाव प्रक्रिया में सराहनीय योगदान देने के लिए चुने गए सभी पुरस्कार विजेताओं को मैं विशेष बधाई देती हूं।

भारत की राष्‍ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का प्रधानमंत्री राष्‍ट्रीय बाल पुरस्‍कार प्रदान करने के अवसर पर संबोधन

आज मुझे आप सभी के बीच उपस्थित होकर हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। खासकर यहां आए हुए बच्चों को देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। यह पुरस्कार समारोह young achievers की अद्भुत क्षमता और प्रतिभा को प्रोत्साहित करने का अवसर है। यह बच्चों की उपलब्धियों का उत्सव मनाने का अवसर भी है। मैं सभी पुरस्कार विजेता बच्चों को बहुत-बहुत बधाई देती हूँ।

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का MNR Educational Trust के स्वर्ण जयंती समारोह में सम्बोधन

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शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रमों को मैं विशेष महत्व देती हूं। शिक्षा के माध्यम से ही जीवन में आगे बढ़ने के द्वार खुलते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के बल पर ही कोई भी व्यक्ति सक्रिय रह सकता है।

आपके इस संस्थान ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में योगदान दिया है, इसके लिए मैं संस्थापकों, प्रबंधन के सदस्यों तथा सभी विद्यार्थियों और लाभार्थियों को बधाई देती हूं।

भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का मेघालय में नागरिक अभिनंदन समारोह में संबोधन

मेघालय, जैसा कि इसका नाम ही कहता है, दिव्य सुंदरता से भरी भूमि है। शिलांग की असाधारण शांति से लेखकों, संतों, स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों को प्रेरणा मिली है। गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की रचनात्मकता इस क्षेत्र के परिवेश से प्रेरित हुई और उन्होंने 'शेशेर कोबिता' उपन्यास लिखा। सेंट एडमंड कॉलेज में, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता के लिए एक प्रेरक भाषण दिया। वर्तमान में रामकृष्ण मिशन विवेकानन्द सांस्कृतिक केन्द्र के नाम से प्रसिद्ध क्विंटन मेमोरियल हॉल में स्वामी विवेकानन्द ने जीवन की तुलना तीर्थयात्रा से की थी। मैं, स्वतंत्रता सेनानी यू सिब चरण को भी याद करती हूँ, जिन्होंने असहय

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