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आसियान-भारत विशेष स्मारक शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के सम्मान में आयेजित राज-भोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

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कम्बोडिया के प्रधानमंत्री, महामहिम, सामडेक हुन सेन,

ब्रुनेई दारुस्सलाम के सुल्तान, महामहिम हाजी हसनअल बोलकिया,

आसियान के सदस्य राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्ष एवं शासनाध्यक्ष,

भारत के उपराष्ट्रपति श्री मो. हामिद अंसारी,

भारत के प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह,

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 9वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

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इलाहाबाद के इस ऐतिहासिक शहर में, इस दीक्षांत व्याख्यान के लिए आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।

गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर बसा हुआ इलाहाबाद परंपरागत रूप से आध्यात्मिकता, ज्ञान और अध्ययन का केंद्र रहा है। यह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र भी था और इस शहर के नागरिकों ने हमारे स्वतंत्रता संघर्ष की अगुआई की।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के विशेष दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

speechमहान राष्ट्रभक्त महमना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की 150वीं जन्म शताब्दी के अवसर पर वर्ष भर आयोजित समारोहों के समापन के अवसर पर उनके द्वारा स्थापित ज्ञान की इस प्रसिद्ध पीठ में आकर बहुत मुझे प्रसन्नता हो रही है।

चौथे विश्व तेलुगु सम्मेलन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

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मुझे चौथे विश्व तेलुगु सम्मेलन में आकर और तेलुगु भाषा और साहित्य के लब्ध-प्रतिष्ठ विद्वानों को संबोधित करते हुए बहुत खुशी हो रहा है।

एस.आर.एम. विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

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मुझे एस.आर.एम. विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेकर प्रसन्नता हो रही है। देश के कुछ अत्यंत प्रतिभावान युवाओं के बीच होना खुशी की बात है।

मुंबई विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

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मुझे, मुंबई विश्वविद्यालय के इस दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। यह संस्थान वास्तव में भारत में उच्च शिक्षा का उद्गम स्थल है। इसकी स्थापना पूर्व मद्रास और कोलकाता विश्वविद्यालयों के साथ 1857 में की गई थी और इसकी ऐसे अनेक नेताओं को शिक्षित करने में प्रमुख भूमिका थी जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलवाई।

स्वर्गीय श्री पी.वी. नरसिम्हा राव स्मृति व्याख्यान के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

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मुझे आज भारत के महान सपूत स्वर्गीय श्री पी.वी. नरसिम्हा राव के प्रथम स्मृति व्याख्यान के लिए यहां आकर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। वह हमारे प्रधानमंत्री थे, और व्यावहारिक राजनीति के माहिर प्रयोगकर्ता, महान बुद्धिजीवी, प्रकांड विद्वान, विचारक, लेखक और भाषाविद् थे तथा एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें देश को उनके ऐतिहासिक योगदान के लिए याद किया जाएगा।

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