building-logo

प्रवासी भारतीय दिवस के चौदहवें आयोजन में समापन संबोधन और प्रवासी भारतीय सम्मान प्रदान करने के अवसर पर प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

speech1. प्रवासी भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र के अवसर पर आपके बीच उपस्थित होना वास्तव में मेरे लिए प्रसन्नतादायक है। 102 वर्ष पूर्व इसी ऐतिहासिक दिन अब तक के महानतम प्रवासी भारतीय महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उच्च शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थियों और शिक्षकों तथा सिविल सेवा अकादमियों के अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों को भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का संबोधन

speechकेंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपतियो,

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानो, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानो,

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों तथा अन्य शिक्षण संस्थाओं के निदेशको,

विभिन्न सिविल सेवा अकादमियों के अध्यक्षो,

संकाय सदस्यो,

सिविल सेवा के अधिकारी प्रशिक्षणार्थियो,

मेरे प्यारे विद्यार्थियो,

भारत के राष्ट्रपति द्वारा संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधन

माननीय सदस्यगण,

1. नूतन और नवजीवन की प्रतीक इस बसंत ऋतु में , मैं संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र में आप सभी का स्वागत करता हूं। यह एक ऐतिहासिक संयुक्त सत्र है,जिसमें स्वतंत्र भारत में पहली बार बजट सत्र के निर्धारित समय को इस वर्ष आगे लाया गया है एवं आम बजट के साथ रेल बजट का विलय किया जा रहा है। हम एक ऐसे लोकतंत्र के उत्सव के लिए पुन: एकत्र हुए हैं,जिसके मूल्य और संस्कृति इस देश के लंबे इतिहास के हर दौर में फलते-फूलते रहे हैं। वास्तव में इसी संस्कृति ने मेरी सरकार को सबका साथ , सबका विकास की ओर प्रेरित किया है।

छठे के.एस. राजामणी स्मृति व्याख्यान के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

speechप्रख्यात अधिवक्ता और केरल लोकजन जांच आयोग के पूर्व सदस्य, श्री के.एस. राजामोनी के सम्मान में आयोजित छठा स्मृति व्याख्यान देने के लिए केरल आकर प्रसन्नता हुई है।

समाचार पत्रिका के लिए सदस्यता लें

सदस्यता का प्रकार
वह न्यूज़लेटर चुनें जिसकी आप सदस्यता लेना चाहते हैं।
सब्सक्राइबर का ईमेल पता