‘सतत सांस्कृतिक निर्माण का महत्व’ पर कोच्चि मुजीरिस द्विवार्षिक सेमिनार के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का संबोधन
कोच्चि, केरल : 02.03.2017
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1. कोच्चि मुजीरिस द्विवार्षिक के अद्यतन कार्यक्रम पर आज कोच्चि में आने पर मुझे प्रसन्नता हो रही है।
2. द्विवार्षिक कार्यक्रम, जिसे आज जनता के द्विवार्षिक कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है, हमारे देश के सांस्कृतिक कैलेंडर का आंतरिक भाग बन गया है। इसने दृष्टिगत कला और संस्कृति में केरल के लंबे समय से चले आ रहे योगदान को पुनर्जिवित कर दिया है और कोच्चि के स्तर को एक विश्वजनीन शहर के रूप में पुष्ट कर दिया है जो क्षमता और विचारों से परिपूर्ण है।
3. समकालीन कला विचारों, भावनाओं, हितचिंताओं और विचारों को अभिव्यक्त करने के उन सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपायों में से एक है जो हमारे लिए उस समय में प्रासंगिक है जिसमें हम रह रहे हैं। यह तथ्य कि केरल इतिहास और परंपरा की भूमि अब क्षेत्र में समकालीन कला का सबसे बड़ा प्रदर्शन करती है और वह भी एक ऐसा प्रदर्शन जिसकी शुरुआत सरकार द्वारा की गई थी, इस राज्य और उसके लोगों के अपूर्व तरीकों की अभिव्यक्ति है।
4.केरल सदैव कला और संस्कृति के प्रति अपने निरपेक्ष दृष्टिकोण के लिए जाना जाता रहा है। कोच्चि-मुजीरिस-द्विवार्षिक कार्यक्रम इस दृष्टिकोण और एकता की भावना और यहां मौजूद समावेशिता का गौरवपूर्ण प्रतीक है।
5.कोच्चि द्विवार्षिक फाउंडेशन ने अपने पूर्ववर्ती मुजीरिस एक वित्तीय और व्यापार केंद्र जो 1314 ईस्वी में बाढ़ में समाप्त हो गया समझा जाता है, को मौजूदा कोच्चि की ऐतिहासिक विरासत से जोड़ने की कला के उपयोग संबंधी प्रयासों से आश्चर्यचकित नवोन्वेष किया है। इस घटना की सफल गूंज को इस तथ्य से आंका जा सकता है कि इसने अब तक एक लाख से भी अधिक आगंतुकों को आकर्षित किया है।
6.सरकार और कोच्चि द्विवार्षिक फाउंडेशन के बीच भागीदारी की सामूहिक प्रकृति और उस भागीदारी का सफल परिणाम इस बात की पुष्टि करता है कि यदि सरकार संस्कृति में निवेश करे तो क्या उपलब्धि हो सकती है। कलाओं के लिए सरकारी निधिपोषण समर्थन, प्रस्ताव और सुनिश्चिता की व्यवस्था करता है और बड़ी संख्या में लोगों के जीवन को छूने का अवसर प्रदान करता है।
7.सरकारी निधि में प्रारंभिक मूलधन के रूप में कार्य करने कोच्चि द्विवार्षिक फाउंडेशन, जो केरल सरकार के साथ सांस्कृतिक प्रबंधन की व्यवस्था कर रही है और हमारी अपनी भूमि पर वैश्विक कलात्मक चिरों को स्थान दे रही है जैसे सांस्कृतिक संगठनों के सृजन और नवोन्मेष में निवेश के लिए आत्मविश्वास भरने की शक्ति विद्यमान है। जब आप नवोन्मेषात्मक विचारों और एक अद्वितीय विचारबिंदु के साझेदार बनाते है तो परिणाम आश्चर्यजनक और सुंदर हो सकते हैं।
8.हमारे लिए कला आवश्यक है। खर्चे को कम करने के लिए सभी विश्व सांस्कृतिक गतिविधियां सुलभ लक्ष्य हैं। परंतु यदि हम एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने लग जाएं तो इसकी भूमिका क्या होनी चाहिए? किस प्रकार के संस्थान निर्मित किए जाने चाहिए और आत्मविश्वास के कौन से उपाय किए जाने चाहिए? जब विभिन्न एजेंसियां गहन मूल्यों के अनुसरण के लिए एक साथ हो जाएं तो संस्कृति के मूल्य और मानव भावना की उपलब्धि के लिए, मानव कल्पना का जश्न मनाने के लिए और इन उपलब्धियों को विकास के मुख्य चिह्न बनाने के लिए क्या संभव हो जाए, इसके लिए कोच्चि द्विवार्षिक फाउंडेशन का मामला एक अच्छा अध्ययनशील मामला है परंतु सबसे अधिक महत्वपूर्ण है इस मॉडल को देश के विभिन्न भागों में दोहराना। मैं उम्मीद करता हूं कि पैनल के सदस्य इन प्रश्नों पर पर चर्चा कर सकते हैं और विचार कर सकते हैं। मैं आप सभी को एक सार्थक बातचीत के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
9.और इन शब्दों के साथ मैं चर्चा के लिए इस सेमिनार का आरंभ करता हूं। मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं।
जय हिंद