समुद्रतट महोत्सव ‘फेस्टा डी दीव’ के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
दीव, भारत : 02.12.2015
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प्रिय अतिथिगण, देवियो और सज्जनो,
1. ‘फेस्टा डी दीव’के उद्घाटन के लिए आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए आह्लाद का विषय है। यह वास्तव में यहां उत्सव का समय है। दीव पहुंचने पर,मैं लोगों, पर्यटकों और नगर के उल्लासमय माहौल को अनुभव कर सकता हूं। मुझे बताया गया है कि दीव की सर्दियां बहुत खुशगवार और आनंदमयी होती हैं। एक ओर साफ और नीले समुद्र से महोत्सव के लिए परिवेश बढ़िया बन गया है। मैं,भारत और एशिया में अपनी तरह के अकेले,इस अनूठे समुद्रतट महोत्सव की संकल्पना के लिए प्रशासन की सराहना करता हूं। यह इस केंद्रशासित प्रदेश की मेरी पहली यात्रा है और मैं यह मानता हूं कि यह नैसर्गिक द्वीप स्थल गहरा शांतिप्रिय भाव जगाता हुआ एक नीरव दृश्य प्रस्तुत करता है। दीव भौगोलिक रूप से छोटा हो सकता है,परंतु इसके भारत और वस्तुत: विश्व के सभी हिस्सों के पर्यटकों को आकर्षित करने की अपार संभावनाएं हैं। मैं समुद्रतटीय महोत्सव के लिए शहर को स्वच्छ बनाने तथा भव्य समुद्रतटीय महोत्सव के लिए तैयार करने हेतु केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन और दीव के निवासियों को उनके प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।
भारत को पूरे विश्व में अपनी समृद्ध और विविध संस्कृति के लिए जाना जाता है। भारत के प्रत्येक भाग का एक विशिष्ट सांस्कृतिक परिवेश है जो सदियों में विकसित हुआ है। आज जब मैं मनमोहक सिद्धि धमाल नृत्य देख रहा था,मैं उस तौर-तरीके पर चिंतन किए बिना नहीं रह पाया जिससे सभ्यताएं सहस्राब्दियों के दौरान घुल-मिल गई हैं। इस विशेष जनजाति का नृत्य भारत और अफ्रीका के लोगों को बांधने वाली संस्कृतियों के संगम की श्रेष्ठ झलक है। वे दिन भी थे जब नाविक अफ्रीका के पूर्वी समुद्रतट से यात्रा शुरू करते हुए हिन्द महासागर पार करके भारत के पश्चिमी तट पहुंचा करते थे। दीव कभी एक फलता-फूलता बंदरगाह था तथा गुजरात के व्यापारी वस्त्र अफ्रीका ले जाया करते थे और वापसी में स्वर्ण और हाथी दांत लाया करते थे। उस युग में,हमारे लोग विचारों, संस्कृति और व्यापार तक सीमित थे। दीव के जरिए में ही पहली बार पारसियों ने भारत में कदम रखा था। स्वीकृति और आत्मसात्करण की इस परंपरा ने भारतीय सभ्यता को परिभाषित किया है तथा इसे विश्व का विचार केंद्र बनाया है। हमें इस भावना को सहेजना और प्रोत्साहित करना चाहिए जिसने हमारे देश को विविध संस्कृतियों का समृद्ध संगम बना दिया। हमें इस भावना को प्रोत्साहित और सहेजना चाहिए जिसने हमारे देश को अनेक संस्कृतियों का समृद्ध समागम बना दिया है।
देवियो और सज्जनो,
केंद्रशासित प्रदेश दमन और दीव की एक विशिष्ट विरासत है जो इसे भारत का एक खास हिस्सा बनाता है। मुझे याद है कि1961में भारतीय सेना ने इसे औपनिवेशिक शासन से मुक्त करवाने के लिए ऑपरेशन विजय आरंभ किया था। संपूर्ण राष्ट्र को गौरव की अनुभूति हुई क्योंकि इस प्रदेश की जनता गोवा सहित भारतीय संघ का हिस्सा बन गई। विगत पांच दशक में दमन और दीव के लोगों की यात्रा के दौरान काफी प्रगति और विकास हुआ है। अवसंरचना और औद्योगिकीकरण में इसकी उन्नति उल्लेखनीय है। यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि केंद्रशासित प्रशासन ने दीव में सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में ठोस प्रयास किए हैं। मुझे बताया गया है कि दीव पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित देश का प्रथम शहर बनने का प्रयास कर रहा है। यह देश के अन्य शहरों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल बनेगा। दीव में निर्मित किया गया आधुनिक साईकल पथ भी हरित आवागमन की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
एक छोटा द्वीप क्षेत्र होने के कारण, जिसे प्रकृति ने इतनी सुंदरता प्रदान की है,पर्यटन अर्थव्यवस्था का प्रमुख उत्प्रेरक और आजीविका का स्रोत बनना चाहिए। मुझे पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए ठोस उपायों के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई है। मुझे बताया गया है कि एयर इंडिया द्वारा संचालन की शुरुआत से बढ़े हवाई संपर्क से प्रदेश के पर्यटन अवसरों में प्रमुख तेजी आएगी। मैं महसूस करता हूं कि दीव दक्षिणी गुजरात का एक प्रमुख पर्यटन द्वार बन सकता है तथा दीव-सोमनाथ-गिर एक प्राकृतिक पर्यटन परिपथ है। बेहतर संयोजन तथा गुजरात पर्यटन के साथ सहयोग से इस क्षेत्र में असीम अवसरों की संभावना पैदा होगी। गुजरात का सौराष्ट्र क्षेत्र जीवंत संस्कृति और लोक परंपराओं से भी भरपूर है तथा दीव पर्यटन के प्रोत्साहन से सौराष्ट क्षेत्र के विकास पर बहुगुणित प्रभाव भी पड़ेगा। इस प्रकार के विशेष सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन भारतीय लोक तथा शास्त्रीय कलाकारों को प्रोत्साहन का साधन बनेगा तथा हमारे युवा निश्चित रूप से हमारी सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़े रहेंगे। मुझे बताया गया है कि विगत वर्ष लगभग17लाख पर्यटक दीव आए और प्रशासन के निरंतर प्रयासों से इनके इस वर्ष25लाख तक पहुंचने के आसार हैं।
प्यारे विद्यार्थियो,
दीव को एक अनूठा अवस्थितिक लाभ प्राप्त है और प्रकृति ने इसे भरपूर सौंदर्य प्रदान किया है। हजारों छोटे मछुआरे अपनी आजीविका के लिए समुद्र पर निर्भर है। मुझे बताया गया है कि प्रशासन दीव में मत्स्यन बंदरगाह के आधुनिकीकरण के प्रयास कर रहा है। मैं यह सुझाव देना चाहूंगा कि हमें अधिक मूल्य संवर्धन की संभावनाओं की खोज करनी चाहिए ताकि वे अपनी पकड़ की बेहतर कीमत प्राप्त कर सकें। मुझे बताया गया है कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय दीव में एक विश्वस्तरीय ओशनेरियम के निर्माण की योजना बना रहा है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था के दो प्रमुख क्षेत्रों-मात्स्यिकी और पर्यटन में तेजी आएगी। इस क्षेत्र के विकास की योजना बनाते समय,युवाओं की आकांक्षाओं का भी ध्यान रखना होगा। आधुनिक शिक्षा,कौशल निर्माण तथा पर्याप्त और समुचित रोजगार अवसर उपलब्ध करवाना प्रशासन का लक्ष्य होना चाहिए।
अंत में, मैं एक बार फिर फेस्टा डी दीव आरंभ करने के लिए प्रत्येक का स्वागत करता हूं तथा महोत्सव की वृहद सफलता की कामना करता हूं।
धन्यवाद!
जयहिन्द।