भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ब्रह्माकुमारी संस्थान के राष्ट्रीय अभियान ' Rise – Rising India Through Spiritual Empowerment' के शुभारंभ, हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित Silence Retreat Centre के उद्घाटन तथा इंदौर में ऑडिटोरियम और Spiritual Ar
माउंट आबू : 03.01.2023
पिछले वर्ष सितम्बर में मेरा यहां आने का कार्यक्रम था लेकिन अपरिहार्य कारणवश उस समय मैं आप सब के बीच उपस्थित नहीं हो सकी। इसलिए आज आप सब के बीच आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा शुरू किये जा रहे राष्ट्रव्यापी अभियान‘RISE–Rising India through Spiritual Empowerment’का शुभारंभ करने का अवसर मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। इस अभियान का उद्देश्य है,लोगों में जागरूकता बढ़ाना और उन्हें यह समझने में मदद करना कि आध्यात्मिक सशक्तीकरण के माध्यम से कैसे वे अपने जीवन को शांतिपूर्ण,आनंदमय और सफल बना सकते हैं। मुझे विश्वास है कि यह अभियान आध्यात्मिक सशक्तीकरण द्वारा,उभरते भारत को स्वर्णिम भारत बनाने में,अपना योगदान देगा। मैं इस अभियान की सफलता की मंगल-कामना करती हूं।
पिछले वर्ष नवम्बर में,सिक्किम केनामची में,ब्रह्माकुमारीWorld Renewal Spiritual Centreका शिलान्यास करने का अवसर मुझे मिला था।आज मैं यहीं से हैदराबाद में स्थित,मानवता की सेवा के लिए समर्पितब्रह्माकुमारीSilence Retreat Centreका उद्घाटन कर रही हूं। मुझे विश्वास है कि यहSilence Retreat Centre,अध्यात्म के माध्यम से हैदराबाद और आस-पास के क्षेत्र के निवासियों के सामाजिक उत्थान में सहायक होगा। इंदौर में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व-विद्यालय के ऑडिटोरियम, Spiritual Art Galleryऔर साधना कुटीर का शिलान्यास करके मुझे प्रसन्नता हुई है। मुझे विश्वास है कि इन सुविधाओं का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने पर इन केन्द्रों पर आने वाले लोगों को सहूलियत होगी।
देवियो और सज्जनो,
इस धरती पर प्रत्येक मनुष्य मानसिक शांति चाहता है और उसके लिए प्रयास भी करता है। हम चाहे किसी भी देश,धर्म,जाति या संप्रदाय के हों,भोजन और पानी की तरह शांति भी हमारी मूल आवश्यकता है। यह प्रसन्नता की बात है कि ब्रह्माकुमारी संस्थान शांति और आनंद के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
ब्रह्माकुमारी संस्थान से मेरा गहरा संबंध रहा है,और बना रहेगा। मैंने इस संस्थान में राजयोग की पद्धति सीखी। बाहरी भौतिक सुविधाओं और घटनाओं के स्थान पर आंतरिक आध्यात्मिक शक्ति को महत्व देने वाली इस पद्धति ने,मेरे जीवन में उस समय प्रकाश व उत्साह का संचार किया,जब मुझे अंधकार व निराशा का अनुभव हो रहा था।
यह गर्व की बात है कि,विगत लगभग अस्सी वर्षों से,ब्रह्माकुमारी संस्थान,आध्यात्मिक उन्नति,व्यक्तित्व में आंतरिक परिवर्तन तथा विश्व-समुदाय के पुनरुद्धार के लिए,अमूल्य योगदान देता रहा है। शांति,अहिंसा और प्रेम पर आधारित सेवा-भावना के जरिए,इस संस्थान ने holistic education,ग्राम-विकास,स्वास्थ्य,महिला सशक्तीकरण, disaster management,दिव्यांग-जनों की सेवा,अनाथ बच्चों के कल्याण तथा पर्यावरण-संरक्षण जैसे अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इन कार्यों के लिए आप सबकी जितनी सराहना की जाय,वह कम है। ब्रह्माकुमारी संस्थान की प्रतिनिधि माताएं व बहनें,रक्षाबंधन के दिन,विश्व में जहां कहीं भी हों,वहां के लोगों को राखी बांधती हैं। इस प्रकार,ब्रह्मा-कुमारियां,विश्व-समुदाय के अनेक लोगों को,प्रेम के अटूट बंधन में बांधती हैं। ऐसे प्रयासों का भी,विश्व शांति के प्रसार पर,सार्थक प्रभाव पड़ता है।
मुझे बताया गया है कि आज यह संस्थान एक सौ सैंतीस (137) देशों में,लगभग पांच हजार ध्यान-केन्द्रों का संचालन करने के साथ-साथ,अन्य क्षेत्रों में भी,मानवता की सेवा कर रहा है। इस संस्थान के संचालन में,महिलाओं की अग्रणी भूमिका होती है,औरspiritual brothersइस कार्य में सहायता करते हैं। यह संस्थान,महिलाओंद्वारा चलाया जाने वाला,विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक संस्थान है। ब्रह्माकुमारी संस्थान की सफलता यह सिद्ध करती है कि,अवसर मिलने पर,महिलाएं,पुरुषों के बराबर,या शायद उनसे भी बेहतर काम कर सकती हैं।
परम पूज्य पिताश्री ब्रह्मा बाबा ने,जिस सोच के साथ,महिलाओं को अग्रणी भूमिका दी,उसी सोच की और अधिक आवश्यकता,आज के विश्व-समुदाय को है। अनेक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने वाली महिलाओं की कार्य-शैली,और उनके जीवन-मूल्यों को देखकर,बहुत से लोगों ने यह विचार व्यक्त किया है कि,यदि विश्व-समुदाय का नेतृत्व महिलाओं द्वारा किया जाए,तो ऐसा विश्व शायद अधिक सक्षम,सुरक्षित,शांतिपूर्ण,न्यायपूर्ण और प्रेमपूर्ण होगा। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि,ब्रह्माकुमारी संस्थान ने,महिलाओं के सशक्तीकरण,तथा उनकी उन्नति में,सक्रिय भूमिका निभाई है। ब्रह्माबाबा का मानना है कि महिलाओं के आध्यात्मिक,सामाजिक और बौद्धिक सशक्तिकरण में ही विश्व का समग्र विकास निहित है।
देवियो और सज्जनो,
मेरा मानना है कि अध्यात्म ही वह प्रकाश-पुंज है जो पूरी मानवता को सही राह दिखा सकता है। अमृत काल में,सन दो हजार सैंतालीस (2047) के स्वर्णिम भारत की ओर आगे बढ़ते हुए,हमारे देश को,विश्व शांति के लिए विज्ञान और अध्यात्म दोनों का उपयोग करना है। हमारा लक्ष्य है कि भारत एकknowledge super powerबने। हमारी आकांक्षा है कि इसknowledgeका उपयोगsustainable developmentके लिए हो,सामाजिक सौहार्द के लिए हो,महिलाओं तथा वंचित वर्गों के उत्थान के लिए हो,युवाओं की ऊर्जा के समुचित उपयोग के लिए हो तथा विश्व में स्थाई शांति की स्थापना के लिए हो।
भारत इस वर्षG-20की अध्यक्षता कर रहा है। जिसकाthemeहै‘वसुधैव कुटुंबकम’यानि One Earth, One Family, One Future। हमारे देश ने,कोरोना की वैश्विक महामारी का सामना करने में भी,अनेक देशों की मदद की। इस प्रकार की सेवा और सहायता द्वारा भारत ने विश्व-बंधुत्व का प्रभावी उदाहरण प्रस्तुत किया है।
विश्व-कल्याण का यही भाव गीता में स्थान-स्थान पर दिखाई देता है। एक अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने प्रिय भक्तों के लक्षण बताए हैं। भगवान कहते हैं,कि उन्हें ऐसे भक्त सर्वाधिक प्रिय लगते हैं जो, "सर्व-भूत-हिते रताः”,अर्थात सभी प्राणियों के हित में,निरंतर कार्यरत रहते हैं।
देवियो और सज्जनो,
आज हमारे सामने,जलवायु परिवर्तनके कारण,अस्तित्वकाखतरामंडरा रहाहै। COVID-19 महामारी नेभीजलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभावों को उजागरकिया है।पर्यावरण का संरक्षण भी एक तरह से आध्यात्मिक सशक्तीकरण ही है। क्योंकि स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण,हमें शांति प्रदान करते हैं। पर्यावरण और अध्यात्म का यह परस्पर संबंध हमारे लिए नई बात नहीं है। हम सदियों से पेड़ों,पहाड़ों और नदियों की पूजा करते आ रहे हैं। भगवान बुद्ध ने शांति की खोज एक वृक्ष के नीचे ही की थी। अनेक ऋषि-मुनि पहाड़ों पर,गुफाओं और कन्दराओं में ज्ञान के लिए तप करते रहे हैं। अपने जीवन में शांति लाने के लिए,हमें पर्यावरण की रक्षा करनी ही होगी।
जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने में भारत ने महत्वपूर्ण पहल की है। हमारे देश ने वर्ष दो हजार सत्तर (2070) तक नेट जीरो उत्सर्जन वाली अर्थ-व्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है। भारत ने"Green Grid Initiative:One Sun–One World–One Grid”की पहल भी की है। पर्यावरण संरक्षण से जुड़े इन संकल्पों ने,हमारे देश को अग्रणी और संवेदनशील राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठा प्रदान की है।
देवियो और सज्जनो,
युद्ध और कलह के वातावरण में,विश्व-समुदाय,समाधान के लिए,भारत की ओर देख रहा है। अनिश्चितता के इस दौर में,अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के साथ-साथ,भारत,विश्व में शांति के अग्रदूत की भूमिका भी निभा रहा है। अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुरूप,हमारा देश अध्यात्म व नैतिकता पर आधारित विश्व व्यवस्था के निर्माण हेतु,सक्रिय है।
भगवान बुद्ध,भगवान महावीर,आदि शंकराचार्य,गुरु नानक देव,संत कबीर और महात्मा गांधी की शिक्षाओं ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है।‘ॐ शान्तिः’का मंत्र,अधिकांश भारतवासियों के जीवन का हिस्सा रहा है। आदिकाल से ही,हम भारतवासी,जल,थल,आकाश,वनस्पति आदि सहित,सर्वत्र शांति की प्रार्थना करते रहे हैं। दया और करुणा की भावना,भारतवासियों के जीवन-मूल्यों में शामिल रही है।
भाइयो और बहनों,
मेरी मंगल-कामना है कि,माउंट आबू से शुरू हुआ यह‘RISE’अभियान सभी देशवासियों को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाते हुए,भारत को भी एक सशक्त राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दे तथा पूरी मानवता के कल्याण को संबल प्रदान करे।
ॐ शांति:!
धन्यवाद,
जय हिन्द!