बेलारूस के राष्ट्रपति द्वारा उनके सम्मान में दिए गए मध्याह्न राजभोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
Palace of Independence, Belarus : 03-06-2015
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महामहिम, श्री एलेक्जेण्डर वी लुकाशेन्को, बेलारूस गणराज्य के राष्ट्रपति,
बेलारूस तथा भारतीय शिष्टमंडल के विशिष्ट सदस्यगण,
विशिष्ट देवियो और सज्जनो,
भारत से बेलारूस की पहली यात्रा पर मिंस्क आने पर मुझे वास्तव में बहुत खुशी हो रही है।
महामहिम, मैं आपके स्वागत के विनम्रतापूर्ण शब्दों के लिए तथा मुझे और मेरे शिष्टमंडल को प्रदान किए गए शानदार आतिथ्य के लिए आपको धन्यवाद देता हूं। हमने आपके खूबसूरत, हरे-भरे तथा आतिथ्यपूर्ण देश की यात्रा का भरपूर आनंद लिया है। बेलारूस की जनता की सादगी,गर्मजोशी तथा प्यार का अनुभव वास्तव में एक आनंददायक अनुभूति है।
महामहिम,
भारत और बेलारूस के ऐतिहासिक रूप से मैत्रीपूर्ण तथा परस्पर समृद्धिपूर्ण रिश्ते रहे हैं। जैसा कि मैंने आपसे बातचीत के दौरान कहा था कि 1931 में भारत के राष्ट्रीय कवि,रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मिंस्क की यात्रा की थी। उन्होंने आपके देश के प्रमुख बुद्धिजीवियों के साथ अंतरराष्ट्रीय और विभिन्न सामयिक विषयों पर सार्थक परिचर्चा की थी। भारत और बेलारूस इस गौरवशाली दार्शनिक तथा बौद्धिक परंपरा के उत्तराधिकारी हैं।
1991 में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में आपके प्रादुर्भाव के बाद से, भारत और बेलारूस ने मैत्री और परस्पर लाभ पर आधारित अपने संबंधों का सफलतापूर्वक विकसित किया है। आज हमारे संबंध व्यावहारिक रूप से व्यापार और आर्थिक सहयोग, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा सांस्कृतिक और जनता के आपसी आदान-प्रदान से लेकर सभी क्षेत्रों में मौजूद हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के प्रति भी हमारे समान दृष्टिकोण हैं। गुटनिरपेक्ष आंदोलन सहित संयुक्त राष्ट्र तथा अन्य बहुपक्षीय मंचों पर हमारा सहयोग घनिष्ठ और सार्थक रहा है। यह जारी रहना चाहिए। भारत,संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के इसके न्यायोचित दावे को बेलारूस के खुले समर्थन की अत्यंत सराहना करता है। हमें यह भी प्रसन्नता है कि बेलारूस ने संयुक्त राष्ट्र आम सभा में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित करने के भारत के प्रस्ताव को पूर्ण समर्थन किया था। भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के ढांचे के अंदर भारत के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर बेलारूस के दृष्टिकोण की सराहना की है और सदैव करता रहेगा।
राष्ट्रपति महोदय,
हमें, बेलारूस के राष्ट्रपति के रूप में 1997 और 2007 में भारत में आपका स्वागत करने पर खुशी हुई थी। आपकी सफल यात्राओं ने हमारे संबंधों को और उच्च स्तर पर पहुंचाने तथा हमारे संवाद की गुणवत्ता को बढ़ाने में अपार योगदान दिया है।
मुझे विश्वास है कि आज हमारे विचार-विमर्श तथा मेरी यात्रा के दौरान आयोजित समारोहों से भारत-बेलारूस के रिश्ते और अधिक उचाइयों पर पहुंचेंगे। मैं यह दोहराना चाहूंगा कि भारत बेलारूस के साथ और अधिक घनिष्ठ और विविधतापूर्ण रिश्ते के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।
महामहिम,
हमारे देशों के संबंधों के निर्माण में तय किए गए रास्ते का, पीछे मुड़कर संतुष्टि से अवलोकन करते हुए हम अपने संबंधों को और बढ़ाने तथा घनिष्ठ करने के लिए स्वयं को एक बार फिर से समर्पित करने की आवश्यकता को भी स्वीकार करते हैं। हम दोनों ही सहमत हैं कि हमारे संबंधों में भारी अप्रयुक्त क्षमताएं मौजूद हैं।
हमने अपने सहयोग को बढ़ाने के लिए अनेक उपयोगी विचारों और पहलों पर विचार-विमर्श किया है। यह आवश्यक है कि हम इन्हें अत्यधिक प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करें। मैं दोहराना चाहूंगा कि हम अपने आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग, अपने रक्षा संबंधों तथा वैज्ञानिक और शैक्षिक संपर्कों संबंधी प्रयासों पर जोर दें।
इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार पुन: आपके शानदार आतिथ्य के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं आपको अपनी सुविधानुसार भारत की यात्रा करने के लिए भी आमंत्रित करना चाहता हूं। नई दिल्ली में आपका एक बार फिर स्वागत करना खुशी की बात होगी।
देवियो और सज्जनो, आइए हम सब मिलकर:
- बेलारूस गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति, एलेक्जेण्डर वी लुकाशेन्का के अच्छे स्वास्थ्य;
- बेलारूस की जनता की निरंतर प्रगति एवं समृद्धि; तथा
- भारत एवं बेलारूस के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों और सहयोग की प्रगाढ़ता, की कामना करें।
बहुत बहुत धन्यवाद! (स्पासिबा बोलशोय)