राष्ट्रपति ने कहा, संगठित, स्थाई और शांतिपूर्ण नेपाल भारत के हित में है
राष्ट्रपति भवन : 03-11-2016
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (03 नवम्बर, 2016) काठमांडू, नेपाल में भारत प्रतिष्ठान और नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान नेपाल द्वारा आयोजित एक सेमिनार ‘नेपाल एंड इंडिया : एक्सप्लोरिंग न्यू विजटा’ को संबोधित किया।
उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की रुचि एक एकीकृत, स्थायी और शांतिपूर्ण नेपाल देखने में है जिसकी जनता विकास और शांति की फलों का आस्वादन करे। भारत एक खुशहाल नेपाल देखना चाहेगा जो अपने प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर उपयोग करे। भारत उसकी जनता द्वारा पोषित अभिलाषाओं को हासिल करने में नेपाल की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच सभ्यतागत संबंधों के अनूठे बंधन, हमारे अक्षुण्ण भाइचारे के संबंध, हमारी मुक्त सीमाएं और एक दूसरे के नागरिकों के प्रति हमारा अनुकूल राष्ट्रीय संव्यवहार हमारे इस साझे विश्वास को रेखांकित करते हैं कि हमारा भाग्य एक है। महान हिमालय द्वारा संरक्षित, इसकी नदी प्रणालियों से पोषित, हमारे दोनों लोगों की सामूहिक प्रगति और बेहतरी तथा क्षेत्र की शांति में महत्त्वपूर्ण भागीदारी है। भारत नेपाल संबंध हमारे दोनों देशों के लोगों की सामाजिक-आर्थिक और विकासात्मक आवश्यकताओं द्वारा चिह्नित की जाएगी। व्यापार और आर्थिक सहयोग भारत-नेपाल साझीदारी के स्थापना स्तंभ हैं। हमने द्विपक्षीय व्यापार और परस्पर निवेश में सीधे वृद्धि की है परंतु हम व्यापार की सुविधा और निवेश बढ़ाने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। यह महत्त्वपूर्ण है कि हम अपने-अपने निजी क्षेत्रों को उनकी संलग्नता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सशक्त लोकतांत्रिक संस्थान के निर्माण में अपने अनुभव नेपाल के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं। भारत अपने संविधान के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इसके समाज के सभी वर्गों को शामिल करने के लिए नेपाल की सरकार के मौजूदा प्रयासों का स्वागत करता है। हम नेपाल के लोगों को इस परिश्रम की प्रत्येक सफलता के लिए शुभकामनाएं देते हैं। हम इतिहास के राजनीतिक घटनाओं और पक्षपात के बंधन के रूप में नहीं रह सकते, ना ही हम उन नीतियों का अनुसरण कर सकते हैं जो हमारे लोगों को गरीबी से उठाने में असफल रही हों। संप्रभु देशों के रूप में हमें बेहतर जीवन के लिए अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक साथ मिलकर चलने की आवश्यकता है। हम नेपाल का भारत की विकास गाथा के एक भाग के रूप में स्वागत करते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे सुरक्षा हित परस्पर संबंधित हैं इसलिए हमें अपने साझे सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए मिलकर परामर्श और समन्वय करते रहना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक उप-क्षेत्रीय स्तर पर, हमने नेपाल और भूटान के माध्यम से बांग्लादेश से सरलता से माल लाने-ले जाने के लिए पारस्परिक लाभदायी प्रबंधन किए हैं। नि:संदेह बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल के बीच सम्पन्न मोटर वाहन करार, क्षेत्र में आर्थिक विकास के सामान्य लक्ष्य में महत्त्वपूर्ण योगदान देगा। बीम्सटेक और सार्क के फ्रेमवर्क में क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए भारत प्रतिबद्ध है परंतु पारस्परिक लाभदायी सहयोग को सीमापार आतंकवाद के रहते बढ़ाया नहीं जा सकता। हमें निर्णायक रूप से मानवता के लिए इस अभिशाप के विरुद्ध कार्य करने की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन्हें विफल करने के संयुक्त प्रयास करने होंगे जो राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में सीमापार आतंकवाद का सहारा लेते हैं। किसी भी राज्य को आतंकवाद के कायरतापूर्ण कार्य को प्रायोजित करने और अपराधियों को शरण देने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। हमें सतर्क रहना चाहिए तथा उनसे अपनी खुली सीमाओं के दुरुपयोग को रोकना चाहिए जो मूलत: भारत और नेपाल के हितों के विरुद्ध हैं।
यह विज्ञप्ति 1845 बजे जारी की गई