अल-कुड्स विश्वविद्यालय द्वारा मानद डाक्टरेट की डिग्री प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा स्वीकृति अभिभाषण
Ramallah, Palestine : 13-10-2015
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माननीय प्रधान मंत्री, महामहिम श्री रामी हमदल्लाह,
माननीय शिक्षा मंत्री, महामहिम श्री साबरी सैदम,
माननीय अध्यक्ष, अल-कुड्स विश्वविद्यालय श्री इमाद अबु किशेक,
संकाय और शैक्षिक समुदाय के सदस्य,
विशिष्ट अतिथिगण,
मैं अल-कुड्स विश्वविद्यालय के अध्यक्ष को उनके उदारतापूर्ण शब्दों के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं उनकी हार्दिक संवेदनाओं के प्रत्युत्तर में अपनी बात आरंभ करना चाहूंगा। इस प्रख्यात विश्वविद्यालय द्वारा मुझे मानद डाक्टरेट प्रदान करने पर इसकी भावभीनी अभिव्यक्ति से मैं अभिभूत हूं। मैं इसे मैत्री का प्रतीक और फिलीस्तीन के लोगों का भारत और मेरे प्रति सम्मान समझता हूं। मैं राष्ट्रपति के रूप में अपनी हैसियत से और भारत के लोगों की ओर से सम्मानपूर्वक स्वीकार करता हूं।
2. मैं फिलीस्तीन के सभी विश्वविद्यालयों के अध्यक्षों और वरिष्ठ प्रतिनिधियों,शिक्षा मंत्री और माननीय मंत्री, श्री रामी हमदल्लाह को धन्यवाद देता हूं और उन्हें संदेश देता हूं कि मैं उच्चतर शिक्षा के इस प्रीमियर संस्थान से जुड़कर गौरवान्वित हूं।
3. मैं जानता हूं कि इस विश्वविद्यालय ने शैक्षिक श्रेष्ठता में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इसमें,इसका प्रेरणादायक दृष्टिकोण यह रहा कि केवल एक शिक्षित और ज्ञानवान नागरिक वर्ग ही फिलीस्तीन के भविष्य को सुरक्षित रख सकता है। आपके वैज्ञानिक ज्ञान और अग्रिम अनुसंधान की कोशिश ने इस विश्वविद्यालय को फिलीस्तीन के राष्ट्रीय विकास कार्यक्रम में स्थान दे दिया है।
देवियो और सज्जनो,
4. मैं भारत के राष्ट्रपति के रूप में फिलीस्तीन की पहली सरकारी यात्रा पर हूं। इसलिए मेरे लिए आपको मिलने का यह अवसर बड़े सौभाग्य की बात है। मेरी यह यात्रा भारत की रुचि उन समृद्ध और ऐतिहासिक संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने को प्रतिबिंबित करती है जो हमने फिलीस्तीन के साथ बनाए हैं।
5. फिलीस्तीन के लोगों के प्रति भारत की एकता और फिलीस्तीन के लिए इसके सैद्धांतिक समर्थन के कारण की शुरुआत हमारे स्वतंत्रता संग्राम में छिपी हुई है। विगत वर्षों में फिलीस्तीन के प्रति हमारा दृष्टिकोण तीन आयाम युक्त एक नीति में परिवर्तित हो गया है। फिलीस्तीन के लोगों के साथ एकता : फिलीस्तीन कारकों को समर्थन;और फिलीस्तीन के राष्ट्र निर्माण और निर्माण क्षमता के प्रयासों को समर्थन। समग्र भारतीय राजनीतिक नेतृत्व इन नीतियों के प्रति निष्ठापूर्वक प्रतिबद्ध है।
6. भारत सदैव फिलीस्तीन के हेतु-संवर्धन में अग्रणी रहा है—भारत ने1947 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा में फिलीस्तीन के विभाजीकरण के विरुद्ध वोट दिया था। हमने1974 में फिलीस्तीन के एकमात्र और तर्कसंगत प्रतिनिधि के रूप में फिलीस्तीनी मुक्ति संगठन को मान्यता दी; 1988में फिलीस्तीन राज्य को मान्यता देने में भारत प्रथम गैर अरब देश था। हमने2012 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा फिलीस्तीनी राज्य के दर्जे की मान्यता के लिए अग्रणी भूमिका निभायी। भारत ने पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में फिलीस्तीनी ध्वज लहराने के लिए सफल संकल्प में समर्थन दिया। हम फिलीस्तीन के लोगों को संयुक्त राष्ट्र में अपना राष्ट्रीय ध्वज को खोलने के लिए,जो 30 सितंबर, 2015को इतिहास में पहली बार हुआ था, बधाई देते हैं।
देवियो और सज्जनो,
7. भारत ने संयुक्त राष्ट्र आम सभा के53वें सत्र के दौरान ‘फिलीस्तीनी अधिकार आत्म-प्रण तक’पर एक प्रारूप संकल्प में सह-समर्थन दिया। तत्पश्चात भारत ने अक्तूबर2003 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा संकल्प के अनुसार इस्राइल द्वारा पृथकता की दीवार के निर्माण के विरुद्ध वोट किया और इस संबंध में संयुक्त राज्य आम सभा को संकल्पों का निरंतर समर्थन किया। भारत ने यूनेस्को के पूर्व सदस्य के रूप में फिलीस्तीन सहमति के हित में वोट किया।
8. सशक्त मूल सिद्धांत और फिलीस्तीन के लोगों के प्रति हमारा शांति,खुशहाली और विकास में साझा विश्वास हमें और आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। मेरी फिलीस्तीन की यात्रा के उद्देश्यों में से एक हमारे संबंधों के भविष्य हेतु फ्रेमवर्क का सुझाव देना है। फिलीस्तीन की पारंपरिक नीति का अनुकरण करते हुए,हम देख सकते हैं कि हमारी साझीदारी का फ्रेमवर्क तीन प्रमुख स्तंभों के द्वारा लागू हो सकता है,वे हैं :
प्रथम, निकट राजनैतिक संवाद
द्वितीय, गहनतर आर्थिक व्यवस्था और शैक्षिक सहयोग
तृतीय : व्यापक सांस्कृतिक संपर्क और लोगों में आपसी आदान-प्रदान
9. भारत को अनुभव है कि अरब-इजराइली विवाद में फिलीस्तीनी मामला केंद्र बिंदु है। इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता भारत के हित में है। आज जिस तीव्रता से विश्व के एक कोने में कुछ होता है और प्रतिक्रिया दूसरी ओर से आती है, प्रभाव और पैमाने के प्रसंग में अपूर्व है। हमारे संबंधों में समानता के अनेक क्षेत्र हैं जिन्हें हम अपने सूचना विनिमय के द्वारा तीव्र करके और आगे जा सकते हैं। बहुपक्षीय स्तर पर,हमने अरब राज्य लीग के साथ पहले ही प्रक्रिया आरंभ कर दी है।
देवियो और सज्जनो,
10. हमारे आर्थिक संबंधों के विस्तार से नए अवसर पैदा होंगे। मैं जानता हूं कि ब्रांड इंडिया यहां लोकप्रिय है और हममें प्रेरित करती है। भारत की‘मेक इन इंडिया’योजना भारत में आपका निर्माण करने के लिए स्वागत करती है। भारत आपको उपभोक्ता से निर्माण होने में सुविधा प्रदान कर सकता है। हम फिलीस्तीनी जनता की प्रचुर प्रतिभा और उद्यम के प्रति विश्वस्त हैं। वस्तुओं के द्विपक्षीय व्यापार को छोड़कर,यहां सेवाओं के व्यापार का बड़ा स्कोप है। भारत की सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी युक्त सेवाओं और परामर्शदात्री संबंधी ताकत से सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नौकरी के व्यापक अवसर निकाले जा सकते हैं। मुझे आज आईसीटी में भारत-फिलीस्तीन उत्कृष्ट केंद्र का उद्घाटन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसका रामाल्लाह में एक सैटेलाइट केंद्र स्थापित होगा और यह उद्योग ेह संबद्धता को बढ़ाएगा। भारत गाज़ा में भी ऐसे ही एक केंद्र का निर्माण करेगा। हम रामल्लाह में टेक्नो-पार्क की सफलता की उम्मीद करते हैं। इसे फिलीस्तीन निवेश निधि और भारतीय सार्वजनिक और निजी क्षेत्र द्वारा निर्मित/संचालित किया जाएगा।
मित्रो,
भारत शिक्षा की प्रगति में फिलीस्तीन का साझेदार होने में सदैव प्रसन्न रहा है। विगत वर्षों में,लगभग 12,000 फिलीस्तीनी छात्र भारतीय विश्वविद्यालयों से स्नातक की डिग्री पा चुके हैं,उनमें से अनेक भारत सरकार द्वारा दी गई छात्रवृत्ति भी ले चुके हें। आज ये छात्र हम दोनों देशों के बीच सेतु का कार्य कर रहे हैं।
12. यह भी अच्छा संकेत है कि भारतीय सांस्कृतिक एवं अनुसंधान परिषद द्वारा दी गई छात्रवृत्ति का फिलीस्तीन में सामान्यत: पूर्ण सदुपयोग किया जाता है। मुझे यह घोषणा करने में अच्छा महसूस हो रहा है कि मेरी सरकार ने इन छात्रवृत्तियों की संख्या 10 से 15प्रतिवर्ष करने का निर्णय लिया है।
13. मैं इस अवसर पर अल-कुड्स विश्वविद्यालय में एक इंडिया चेयर की स्थापना की भी घोषणा करता हूं।
मित्रो,
14. भारत गाज़ा शहर के अल अजहर विश्वविद्यालय में जवाहरलाल नेहरू लाइब्रेरी और गाज़ा के देर अल्लाह में फिलीस्तीन तकनीकी कॉलेज में लाइब्रेरी एवं छात्र कार्यकलाप केंद्र का निर्माण करके गौरवान्वित है। हम असीरा अल-श्यामलिया में लड़कियों के लिए जवाहरलाल नेहरू माध्यमिक स्कूल का निर्माण करके प्रसन्न हैं। आज मैं आबू दीस में लड़कों के लिए जवाहरलाल नेहरू माध्यमिक स्कूल का उद्घाटन करूंगा। भारत फिलीस्तीन में सात व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों में उपकरण लगा कर भी प्रसन्न है।
15. मैंने आज सुबह प्रथम भारत-फिलीस्तीन शैक्षिक गोलमेज के सफल निष्पादन को भी संतोषजनक पाया है। मैंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में माननीय शिक्षा मंत्री,महामहिम श्री साबरी सैदाम, विभिन्न फिलीस्तीनी विश्वविद्यालयों के अध्यक्ष और प्रीमियर भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के योगदान को महसूस किया है। इस अन्योन्य से हमारे शैक्षिक संबंध में व्यापक रूप से बेहतर हुए हैं। आज हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन हमारे सतत् संबंधों को सुविधाजनक बनाएंगे और हमारे संयुक्त अनुसंधान और विकास नवान्वेषण,छात्र और संकाय आदान-प्रदान आदि के मार्ग प्रशस्त होंगे और भारत में उच्चतर शिक्षा के114 केंद्रीय संस्थानों का कुलाध्यक्ष होने के नाते,मैं वैश्विक साझेदारी में उनके उत्साह के प्रति सजग हूं।
16. भारत आई टी ई सी छात्रवृत्ति कार्यक्रम के अंतर्गत फिलीस्तीन के क्षमता निर्माण प्रयासों के प्रति दीर्घ काल से प्रतिबद्ध रहा है। अब तक, 760फिलिस्तीनी राष्ट्रिकों ने इस योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण लिया है। मुझे यह घोषणा करने में खुशी है कि भारत सरकार ने फिलीस्तीन के लिए स्लॉट की संख्या50 से बढ़ाकर 100प्रतिवर्ष कर दी है।
17. हम अपने फिलीस्तीनी मित्रों का भारतीय संस्कृति विशेषकर योग में रुचि रखने का स्वागत करते हैं। हम दोनों देशों के लोग इस वास्तविकता से परिचित हैं कि हमारे सांस्कृतिक संबंधों की जड़ें प्राचीन इतिहास में है। पूर्वी जेरूसलम में अवस्थित भारतीय आश्रम इस वास्तविकता के साक्ष्य हैं। हम इन प्राचीन संबंधों को सुदृढ़ करने की उम्मीद करते हैं।
18. इन शब्दों के साथ,मैं एक बार दोबारा मुझे यह मानद प्रदान करने के लिए अल-कुड्स विश्वविद्यालय को धन्यवाद देता हूं। मैं भारत के साथ आपकी सतत् मैत्री और लाभदायक आदान-प्रदान की उम्मीद करता हूं। फिलीस्तीन के छात्र इस देश के भावी नेता हैं। आप समृद्ध हों और अपने देश को प्रगति और खुशहाली को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। मैं आप सभी को आपके शैक्षिक कैरियर में सफलता और एक अच्छे भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद।