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भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा राजभोज में राष्ट्रपति अब्बास के उद्बोधन के प्रत्युत्तर में अभिभाषण

Ramallah, Palestine : 12-10-2015

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Speech By The President Of India, Shri Pranab Mukherjee In Response To President Abbas' Remarks At The State Banquet

महामहिम राष्ट्रपति महमूद अब्बास, फिलस्तीन राष्ट्र के राष्ट्रपति

देवियो और सज्जनो,

एक भारतीय राष्ट्रपति की फिलस्तीन की प्रथम राजकीय यात्रा पर यहां उपस्थित होना वास्तव में एक महान अवसर है।

2. मैं सम्मानपूर्ण शब्दों के लिए महामहिम का धन्यवाद करता हूं। मुझे और मेरे शिष्टमंडल को प्रदान किए गए हार्दिक स्वागत और भावपूर्ण आतिथ्य सत्कार की मैं गहरी सराहना करता हूं। महामहिम,फिलस्तीन नेतृत्व ने भारत के साथ सम्बन्धों में गहरा विश्वास और भरोसा व्यक्त किया है। यह महामहिम तथा दिवंगत राष्ट्रपति यासर अराफात की भारत की यात्राओं से स्पष्ट होता रहा है।

3. सर्वप्रथम मैं 30 सितंबर, 2015को संयुक्त राष्ट्र में फिलस्तीन के राष्ट्रीय ध्वज की ऐतिहासिक स्थापना के लिए आपको बधाई देता हूं। हम इस ऐतिहासिक अवसर पर फिलस्तीन के गौरव और उल्लास तथा इस उम्मीद को भी साझा करते हैं कि यह एक पृथक देश के लिए फिलस्तीन की जनता के स्वप्न को साकार करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

4. महामहिम, भारत फिलस्तीन के साथ अपनी चिरस्थायी मैत्री को अत्यधिक महत्त्व देता है। फिलस्तीन मुद्दे के साथ भारत की समानुभूति तथा फिलस्तीन के लोगों के साथ मैत्री हमारी विदेश नीति का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है। भारत सदैव फिलस्तीन के साथ मौजूद रहा है। फिलस्तीन पर भारत की नीति के तीन प्रमुख आयाम हैं : फिलस्तीनी जनता के साथ एकजुटता;फिलस्तीन के मुद्दे को समर्थन;तथा फिलस्तीन राष्ट्र और इसके क्षमता विकास प्रयासों में साझीदारी। भारतीय नेतृत्व राजनीतिक दायरे में फिलस्तीनी मुद्दे को अपने समर्थन के प्रति दृढ़ और अडिग रहेगा।

5. भारत, घनिष्ठ राजनीतिक रिश्तों के तीन स्तंभों—गहन आर्थिक संबंध और शैक्षिक सहयोग तथा सांस्कृतिक संपर्कों और जन आदान-प्रदान पर आधारित हमारे भावी संबंध के उन्मुखीकरण और ढांचे पर फिलस्तीन के साथ कार्य करने के लिए भी उत्सुक है।

6. महामहिम, क्षेत्र में शांति और स्थिरता भारत के हित में है। हम इस विचार को साझा करते हैं कि चिरस्थायी फिलस्तीनी मुद्दे के समाधान से इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता में योगदान मिलेगा। इसलिए हम रुकी हुई शांति प्रक्रिया से चिंतित है। भारत एक वार्तागत समाधान का समर्थन करता है जिससे अपनी राजधानी पूर्वी येरूशलम सहित फिलस्तीन एक संप्रभु,स्वतंत्र,व्यवहार्य और संगठित देश बने। हम चाहते हैं कि फिलस्तीन की जनता अरब शांति पहल,क्वार्टेट रोडमैप तथा सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अनुमोदन के अनुसार इजराइल के साथ और शांतिपूर्ण ढंग से सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर रहे।

7. हमारा यह दृढ़ विश्वास है कि फिलस्तीन मुद्दे के एक न्यायपूर्ण,स्थायी,व्यापक और शांतिपूर्ण समाधान की खोज के लिए संवाद ही एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है। स्थायी और टिकाऊ शांति की खोज में कूटनीति और राजनेतृत्व को घृणा और हिंसा पर नियंत्रण करना होगा।

8. मैं सभी संबंधित पक्षों के बीच शांति प्रक्रिया के दोबारा शीघ्र आरंभ होने की गहरी उम्मीद व्यक्त करता हूं और यह कामना करता हूं कि शीघ्र ही इससे इस क्षेत्र में संघर्ष का सौहार्दपूर्ण समाधान होगा।

9. महामहिम, मुझे विश्वास है कि मेरी यात्रा के दौरान हुए विचार-विमर्श से हमारे आपसी हित के सभी क्षेत्रों में उपयोगी संबंध बनेंगे और सार्थक निष्कर्ष निकलेंगे।

10. हमारे बीच सद्भावनापूर्ण परामर्श की परंपरा को जारी रखने के लिए,मैं महामहिम को परस्पर सुविधाजनक समय पर भारत की यात्रा का निमंत्रण देता हूं। आपका नई दिल्ली में स्वागत करना हमारा सम्मान होगा।

11. महामहिम, इन्हीं शब्दों के साथ मैं एक बार फिर आपके सम्मानजनक आतिथ्य सत्कार के लिए धन्यवाद देता हूं तथा फिलस्तीन की शांति और प्रगति के आपके प्रयासों की सफलता की कामना करता हूं।

12. मैं आपके माध्यम से फिलस्तीन के भाइयों और बहनों को भारत की जनता की हार्दिक बधाई देता हूं तथा आने वाले दिनों में उनकी समग्र प्रगति,खुशहाली और समृद्धि की शुभकामनाएं व्यक्त करता हूं।

धन्यवाद।

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