building-logo

राष्ट्रपति द्वारा 13 मार्च, 2013 को मॉरिशस से वापसी की यात्रा के दौरान विशेष विमान में मीडिया कर्मियों को दिया गया वक्तव्य

Rashtrapati Bhavan : 15-03-2013

मैंने, मॉरिशस की स्वतंत्रता की 45वीं वर्षगांठ के मुख्य अतिथि के रूप में मॉरिशस की तीन दिवसीय यात्रा अभी पूरी की है। भारत के राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने के बाद यह मेरी दूसरी विदेश यात्रा और अफ्रीका की पहली यात्रा थी।

मुझे तथा मेरे शिष्टमंडल को प्रदान किए गए हार्दिक स्वागत तथा भरपूर सत्कार से मैं अभिभूत हुआ। मैं एक बार फिर से मॉरिशस की सरकार और जनता को मेरी इस यात्रा के लिए की गई शानदार व्यवस्थाओं के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।

जैसा कि आप जानते ही हैं, भारत और मॉरिशस के बीच पूर्वजों के प्रगाढ़ रिश्तों पर आधारित, ऐतिहासिक संबंधों के कारण अनन्य और विशिष्ट संबंध हैं। मैंने मॉरिशस के नेतृत्व के साथ बहुत ही मैत्रीपूर्ण माहौल में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक हित के विभिन्न मुद्दों पर गहन, विस्तृत तथा उपयोगी विचार विमर्श किया।

पिछले दो दिनों के दौरान मुझे मॉरिशस के मंत्रिमण्डल के सभी सदस्यों से मिलने तथा राष्ट्रीय असेंबली के अध्यक्ष, विपक्ष के नेता तथा मॉरिशस के उच्चतम् न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी उपयोगी चर्चा करने का मौका मिला। मुझे खुद यह अनुभव करके बहुत खुशी हुई कि मॉरिशस के सभी जिम्मेदार लोगों में भारत के साथ रचनात्मक संबंधों को बढ़ाने की इच्छा है। भारत और मॉरिशस लोकतंत्र, कानून के शासन तथा पंथनिरपेक्षता के मूल्यों में विश्वास करते हैं। सभी बड़े मुद्दों पर भारत तथा मॉरिशस की राय समान है। सभी मामलों में, भारत के लिए गर्मजोशी से पूर्ण तथा सद्भावनापूर्ण भावना दिखाई देती थी।

इस यात्रा के दौरान, तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए और मेरा मानना है कि इनसे पर्यटन, स्वास्थ्य तथा चिकित्सा और वरिष्ठ नागरिक तथा विकलांगजन के नए क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा और इससे दोनों देशों को परस्पर फायदा होगा। भारत की ओर से, सभी करारों पर गृह राज्यमंत्री, श्री आर.पी.एन. सिंह ने हस्ताक्षर किए और मैं समझता हूं कि मॉरिशस ओर से विदेश मंत्री ने हस्ताक्षर किए। ये दोनों देशों द्वारा आपसी सहोग के बहुत से क्षेत्रों की मात्र एक झलक है।

अप्रवासी घाट की मेरी यात्रा एक भावुकता भरा क्षण था क्योंकि यह स्थान उन भारतीय के अदम्य जज्बे का प्रतीक है जिन्होंने यहां आकर सभी प्रतिकूल चुनौतियों का सामना करते हुए उन पर विजय पाई। स्वतंत्रता के पच्चीस वर्ष बाद, मॉरिशस ने सामाजिक-आर्थिक विकास में बहुत तरक्की कर ली है तथा मैं उनके और अधिक समृद्ध भविष्य की कामना करता हूं। मुझे मॉरिशस विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्राप्त करते हुए गौरव का अनुभव हो रहा है।

मेरी मॉरिशस की यात्रा के अंत में ग्रांड बोइस की जनता ने मेरा नागरिक अभिनंदन किया। यह अवसर मॉरिशस की उस ग्रामीण जनता से मिलने का अवसर था जिसे प्रधानमंत्री रामगुलाम मॉरिशस की आत्मा कहते हैं। मैं मॉरिशस की जनता द्वारा दिखाई गई गर्मजोशी और सद्भावना से तथा उन मूल्यों तथा विचारों के प्रति उनके आदर से अत्यंत अभिभूत हुआ हूं जिनका भारत प्रतिनिधित्व करता है। मुझे इस बात की खुशी है कि श्री आर.पी.एन. सिंह, गृह राज्य मंत्री, भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों से तीन संसद सदस्य, श्री सत्यव्रत चतुर्वेदी, श्री रघुवंश प्रसाद सिंह तथा श्रीमती कुसुम राय, मॉरिशस के नेताओं से मेरे विचार-विमर्श के दौरान मेरे साथ थे।

मैं इस विश्वास के साथ भारत लौट रहा हूं कि भारत एवं मॉरिशस हमारे वर्तमान बहुआयामी, परस्पर रूप से लाभदायक संबंधों को और प्रगाढ़ कर सकते हैं। मुझे विश्वास है कि भारत को मॉरिशस का हर तरह से सहयोग करना चाहिए तथा हम दोनों को मिलकर इन संबंधों को और अधिक ऊंचाइयों की ओर ले जाने का प्रयास करना चाहिए।
 

धन्यवाद।

Subscribe to Newsletter

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
The subscriber's email address.