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मॉरिशस गणराज्य के प्रधानमंत्री, डॉ. मा. नवीनचंद्र रामगुलाम द्वारा आयोजित राजभोज के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

Swami Vivekananda International Convention Center, Port Louis, Mauritius : 11-03-2013

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Speech By The President Of India, Shri Pranab Mukherjee At The State Banquet Hosted By The Prime Minister Of The Republic Of Mauritius, H.e. Dr. Navinchandra Ramgoolam

महामहिम, डॉ. मा. नवीनचंद्र रामगुलाम, मॉरिशस गणराज्य के प्रधानमंत्री और श्रीमती रामगुलाम,

विशिष्ट अतिथिगण, मित्रो, देवियो और सज्जनो,

मॉरिशस की स्वतंत्रता की 45वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर इस विशिष्ट सभा को संबोधित करते हुए मुझे विशेष सम्मान और गौरव का अनुभव हो रहा है। मैं भारत गणराज्य की सरकार तथा जनता की ओर से मॉरिशस गणराज्य की सरकार तथा जनता को हार्दिक बधाई देता हूं। आज मुझे तथा मेरे शिष्टमंडल को जो असाधारण हार्दिक सम्मान तथा आतिथ्य प्रदान किया गया है, उसके लिए मैं हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। मैं आपके स्नेहपूर्ण शब्दों के लिए आपको धन्यवाद देता हूं तथा आपकी इस बात से सहमत हूं कि भारत और मॉरिशस के संबंध अनन्य हैं। मुझे यह देखकर भी खुशी हो रही है कि हम जिस हाल में खड़े हैं, वह स्वामी विवेकानंद के नाम पर है, जिनका सहिष्णुता, करुणा और सहानुभूति का संदेश आज भी सार्वभौमिक रूप से प्रासंगिक है।.

देवियो और सज्जनो, किसी भी देश के इतिहास में ऐसी कुछ ही घटनाएं होती हैं, जो कि उसके स्वातंत्रोत्सव से अधिक, यादगार, सम्मानजनक, पवित्र, आत्मालोचन-योग्य तथा अधिक उल्लास की हकदार हों। मेरा ध्यान इस समय, लम्बे वीरतापूर्ण संघर्ष तथा साहसपूर्ण बलिदान के बाद 1947 में भारत की आजादी की ओर जाता है। हमारे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने संसद में गर्व के साथ कहा था, ‘‘एक समय आता है, और वह इतिहास में कभी-कभी आता है, जब हम प्राचीन से निकलकर नवीन में प्रवेश करते हैं, जब एक काल पूर्ण होता है, तथा राष्ट्र की आत्मा, जो बहुत समय से दमित थी, अपनी आवाज पा लेती है’’।

मॉरिशस के अपने आजादी के पुरोधा थे, ऐसे शानदार पुरुष और महिलाएं, जिनका नैतिक बल फौलादी था, और जो अपने सामने खड़ी चुनौतियों से नहीं घबराए। उन सब में महान थे, सर शिवसागर रामगुलाम, मॉरिशस के राष्ट्रपिता। चाचा रामगुलाम ने अपने देश के पुरुषों और महिलाओं के संघर्ष के सार को अपने इन शब्दों में व्यक्त किया था, ‘‘किसी भी राष्ट्र का प्राकृतिक उद्विकास रोका नहीं जा सकता। वह स्वाभाविक रूप से इसी तरह प्राप्त होगा जैसे कि रात्रि के बाद दिन आता है।’’ चाचा रामगुलाम के सपनों की अमिट छाप, इस देश द्वारा पिछले 45 वर्षों में प्राप्त शानदार प्रगति पर, विशेषकर शिक्षा तथा स्वास्थ्य के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में, जो कि किसी भी स्थिर और समृद्ध समाज की आधारशिला होते हैं, आज भी दिखाई देती है। मॉरिशस के दूरदृष्टा नेताओं के योगदान ने इस देश के भाग्य का उपेक्षाकृत बहुत कम समय में ही रूपांतरण कर दिया।

आज के इस ऐतिहासिक अवसर पर यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन लोगों की विरासत का सम्मान करें जिन्होंने उस आजादी का मार्ग प्रशस्त किया जिसका आज यहां आनंद मनाया जा रहा है।

देवियो और सज्जनो, भारत के लिए, मॉरिशस उसकी अपनी सभ्यतागत संस्कृति और विशेषताओं की विजय का प्रतीक है। मॉरिशस द्वारा जो शानदार सामाजिक-आर्थिक प्रगति प्राप्त की गई है, वह उन सिद्धांतों की जीत का प्रतीक है जिन्हें भारत सबसे प्रिय मानता है—लोकतंत्र, कानून का शासन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सहिष्णुता, सामाजिक सौहार्द तथा मानवीय उद्यमिता।

भारत की जनता, 12 मार्च को, जिस दिन महात्मा गांधी ने अपना ऐतिहासिक दांडी कूच आरंभ किया था, मॉरिशस के स्वतंत्रता दिवस के रूप में चुनकर, भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को मॉरिशस की जनता द्वारा दिए गए सम्मान की सराहना करती है। हम दोनों देशों के अधिकतर लोग एक ही ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक स्रोत से आए हैं। दोनों देशों की लोकतंत्र और पंथनिरपेक्षता के आदर्शों में अटूट आस्था है तथा दोनों ही देश स्वाभाविक रूप से आतंकवाद के खतरे, गरीबी उन्मूलन, मानवाधिकार हनन, तथा जलवायु परिवर्तन का समाधान जैसी साझा चुनौतियों के खिलाफ, वैश्विक शासन के नियम-आधारित ढांचे का समर्थन करते हैं। इसलिए, इसमें कोई हैरत की बात नहीं है कि भारत और मॉरिशस के संबंधों में अडिगता की शक्ति है।

गन्ने के खेतों में मजदूरी के लिए यहां लाए गए हजारों बहादुर पुरुषों और महिलाओं की सहनशीलता से पोषित तथा 1901 में महात्मा गांधी के ऐतिहासिक तथा क्रांतिकारी प्रवास से प्रेरणा लेते हुए हमारी साझीदारी में, समय बीतने के साथ-साथ भावनात्मक तथा मात्रात्मक रूप से और अधिक मजबूती आती गई है। नियमित मेल-मिलाप भारत-मॉरिशस के द्विपक्षीय संबंधों की विशेषता रही है। शिवसागर रामगुलाम तथा श्रीमती इंदिरा गांधी के समय से ही उच्चतम स्तर पर नियमित द्विपक्षीय संपर्कों से यह साझीदारी पोषित हुई है तथा 21वीं सदी में भी बनी रही है। हमारे सहयोग में व्यापार और निवेश, शिक्षा, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, कपड़ा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परस्पर कानूनी सहायता, सांस्कृतिक आदान-प्रदान आदि जैसे आपसी हित के विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं। कल हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि इस जीवंत तथा आपसी हित के सहयोग को आगे कैसे बढ़ाया जाए। हमारी जनता का विभिन्न स्तरों पर संपर्क हमारी मित्रता की जान है।

देवियो और सज्जनो, पिछले हजारों वर्षों से, हिंद महासागर भारतीय उपमहाद्वीप का भाग्य-विधायक रहा है। आप हिंद महासागर के लोकप्रसिद्ध सितारे तथा उसकी कुंजी हैं। स्वाभाविक तौर पर हमारे हित मिलते हैं क्योंकि हिंद महासागर एशिया और अफ्रीका को जोड़ता है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहूंगा कि भारत मॉरिशस का अडिग साझीदार बना रहेगा।

प्रधानमंत्री जी, भारत के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण, विभिन्न मुद्दों पर भारत का साथ देने के लिए हम मॉरिशस के आभारी हैं। मॉरिशस ने आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के सिद्धांतयुक्त, नैतिक तथा सुसंगत राय को अविचल समर्थन दिया है। हम संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए, भारत के न्यायसंगत दावे का समर्थन करने के लिए आपके आभारी हैं।

विशिष्ट देवियो और सज्जनो, पिछले वर्षों के दौरान, हमारे द्विपक्षीय आर्थिक तथा वाणिज्यिक संबंध बढ़े हैं परंतु अभी बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जिनकी क्षमताओं का उपयोग नहीं हो पाया है। भारत और मॉरिशस को आपसी लाभ के लिए हमारे रिश्तों को और आगे बढ़ाने और उन्हें प्रगाढ़ बनाने के मौकों और अवसरों को तलाशना चाहिए।

भारतीय मूल के समुदायों को मैं बधाई देता हूं तथा उनसे कहना चाहूंगा कि भारत को ऐसे प्रवासियों का सान्निध्य प्राप्त है जो भारत की अपनी विविधता का प्रतिबिंब हैं। भारत की विभिन्न भाषाई, सांस्कृतिक तथा धार्मिक पहचानों से समृद्ध होकर आपने इस भूमि पर भी राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे भारत को भी, इस देश के नागरिक के रूप में आप पर तथा आपकी उपलब्धियों पर गर्व होता है।

महामहिम, मैं एक बार फिर से आपको उस सम्मान के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा जो स्वतंत्रता दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करके आपने मुझे दिया है। मैं जब यह कहता हूं कि हमें मॉरिशस के साथ अपने प्रगाढ़ रिश्तों पर प्रसन्नता है तो मैं सभी भारतीयों की ओर से यह बात कहता हूं। हम इस क्षेत्र में तथा विश्व में स्थिरता, शांति तथा समृद्धि के अपने साझा स्वप्न को पूर्ण करने में आपको एक भरोसेमंद साझीदार के रूप में देखते हैं। हम अपनी साझीदारी की पूर्ण संभावनाओं के उपयोग की प्राप्ति में आपके साथ मिलकर प्रयास करने की इच्छा रखते हैं। मैं वास्तव में विश्वास करता हूं कि प्रत्येक क्षेत्र में हमारी सफलता की असीमित संभावनाएं हैं।

महामहिमगण, देवियो और सज्जनो,

आइए हम सब मिलकर : - मॉरिशस गणराज्य के प्रधानमंत्री, डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम और श्रीमती रामगुलाम के स्वास्थ्य और सुख-शांति; - मॉरिशस की जनता की निरंतर सफलता, समृद्धि और खुशहाली; तथा - भारत और मॉरिशस गणराज्य की मैत्रीपूर्ण जनता के बीच स्थाई, सफल साझीदारी की कामना करें।

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