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भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का भूटान की यात्रा के अंत में मीडिया को दिया गया वक्तव्य

राष्ट्रपति भवन : 08-11-2014

भूटान की 7-8 नवंबर, 2014 की मेरी यात्रा बहुत सफलतापूर्वक संपन्न हुई है। जैसा कि आप जानते हैं, इस यात्रा में मेरे साथ रेल राज्य मंत्री, श्री मनोज सिन्हा और संसद सदस्य, श्री मुख्तार अब्बास ऩकवी, श्री अनिल शिरोले, डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय तथा श्री गौरव गोगोई तथा भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी थे।

मुझे, खुशहाली के घर, भूटान में फिर से आकर खुशी हुई। मैं पहले भी भूटान कई बार विभिन्न क्षमताओं में आ चुका हूं तथा इस सुंदर देश के साथ मेरा संबंध काफी पहले अस्सी के दशक की शुरुआत से है,जब मैंने अपना सार्वजनिक जीवन आरंभ किया था। इन पिछले दशकों के दौरान मैंने सदैव हमारे दोनों देशों के बीच मजबूत और बेहतर रिश्तों के लिए प्रयास किया है। मुझे भूटान का मित्र होने पर गर्व है।

मुझे जो गर्मजोशी से भरा सत्कार मिला उससे मैं बहुत प्रभावित हुआ तथा पूरे देश में उल्लास का माहौल देखकर मुझे खुशी हुई। मैं उन हजारों लोगों, खासकर स्कूली बच्चों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं जो पारो से थिंपू तक के पूरे रास्ते में खड़े होकर भारत और भूटान के ध्वज को लहराकर मेरा स्वागत कर रहे थे। भूटान के द्वारा सांस्कृतिक पहचान सुरक्षित रखते हुए अपनी जनता के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में शानदार प्रगति से मैं प्रभावित हुआ हूं।

मेरी यात्रा का मुख्य उद्देश्य हमारे बहु-आयामी रिश्तों को और मजबूत बनाना तथा अपने रिश्तों को प्रगाढ़ करना था। हमारे, दीर्घकालीन ऐतिहासिक तथा सभ्यतागत संबंधों तथा जनता के आपसी संपर्कों के अनुरूप हमारे बीच साझा मूल्यों तथा समान हितों और लक्ष्यों पर आधारित बहुत प्रगाढ़ संबंध हैं।

मैंने महामहिम जिग्मी खेसर नामग्येल वांग्चुक और चतुर्थ नरेश जिग्मी सिंगे वांग्चुक तथा प्रधानमंत्री सेरिंग तोबगे के साथ द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय महत्त्व के मुद्दों सहित आपसी हित के सभी मुद्दों पर चर्चा की। मुझे भारत-भूटान संबंधों पर भूटान नेताओं, अधिकारियों, पेशेवरों तथा प्रबुद्ध नागरिकों को संबोधित करने का सुअवसर मिला।

हमारे सुरक्षा हित एक-दूसरे से बहुत जुड़े हुए हैं। सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में हमारा सहयोग शानदार रहा है। दोनों पक्षों ने दूसरे के प्रति शत्रुतापूर्ण उद्देश्यों के लिए अपने क्षेत्र का प्रयोग न होने देने के प्रति अपने निश्चय को दोहराया है।

भारत को भूटान की प्रगति और विकास में साझीदार होने पर गर्व है। हम भूटान की वर्तमान 11वीं पंचवर्षीय योजना के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को समयबद्ध ढंग से पूरा करेंगे। मुझे खुशी है कि हमारी सहायता का शिक्षा, सड़क तथा पुल, कृषि, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक संरक्षण तथा जल-विद्युत जैसे महत्त्वपूर्ण सेक्टरों में कारगर ढंग से उपयोग किया जा रहा है। मैंने भूटान की शाही सरकार की एक महत्त्वपूर्ण शैक्षणिक पहल, स्कूल सुधार कार्यक्रम का शुभारंभ किया है जिसके लिए भारत 348.7 करोड़ की सहायता प्रदान करेगा। मैंने भूटान में उत्तरी पूर्व-पश्चिम पार्श्विक राजमार्ग परियोजना का भी शुभारंभ किया जिसे 463.3 करोड़ की हमारी सहायता से कार्यान्वित किया जा रहा है। यह उच्चीकृत राजमार्ग सुदूर के पूर्वी जिलों और पश्चिम भूटान के शहरों के बीच संपर्क का प्रमुख जरिया होगा।

भूटान में भारत से सहायता प्राप्त कुल 2940 मेगावाट की तीन जारी जल विद्युत परियोजनाएं संतोषजनक ढंग से आगे बढ़ रही हैं तथा उनका निर्माण 2017-18 में पूरा हो जाएगा। जिन चार अन्य संयुक्त उद्यम मॉडल जल विद्युत परियोजनाओं पर हमारी सहमति हुई है उनके द्वारा हम 2022-23में 6476 मेगावाट जल विद्युत का उत्पादन कर पाएंगे।

मैंने भूटान के पहले विद्युत प्रशिक्षण संस्थान के निर्माण की आधारशिला रखी जिसके लिए हम 33.7 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान कर रहे हैं। हमने इस संस्थान में प्रशिक्षण कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए तकनीकी और मानव संसाधन सहायता की भी पेशकश की है।

शिक्षा इस यात्रा का प्रमुख क्षेत्र था। भूटान ने नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से संचालित करने के लिए हमारे अंतरराष्ट्रीय सहयोग में भागीदारी के लिए सहमति देते हुए नालंदा विश्वविद्यालय पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके साथ ही, भूटान के शाही विश्वविद्यालय तथा अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय,हैदराबाद, भूटान के शाही विश्वविद्यालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय नवाचार फाउंडेशन तथा रायल सिविल सर्विसेज कमीशन और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, अहमदाबाद के बीच तीन अन्य समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए।

भारत भूटान के विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा का प्रमुख गंतव्य है। इस बात के मद्देनजर, हमने भारतीय विश्वविद्यालय और संस्थानों में भूटानी विद्यार्थियों द्वारा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए राजदूत की छात्रवृत्ति को दोगुना करते हुए 2 करोड़ रुपए प्रति वर्ष कर दिया है।

विभिन्न सेक्टरों के दरम्यान क्षमता निर्माण के लिए दी गई हमारी सहायता से आगे बढ़ते हुए हमने कृषि, खाद्य प्रसंस्करण तथा कटाई पश्चात प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और सशक्त करने पर सहमति दी है। अंत में मैं कहना चाहूंगा कि भारत और भूटान एक दूसरे के साथ अत्यंत सौहार्द के साथ रहने वाले, एक दूसरे की जरूरतों और चिंताओं के अनुरूप अपने नजरियों में सामंजस्य करने वाले, निकट के पड़ोसी हैं। हमारे रिश्ते शेष दक्षिण एशिया तथा विश्व के लिए मॉडल हैं।

मेरी यह यात्रा सबसे यादगार विदेशी यात्राओं में से है। मुझे विश्वास है कि हमारे द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ से प्रगाढ़तम होने की दिशा में आगे बढ़ते रहेंगे।

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