भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का Sri Sathya Sai University for Human Excellence के दीक्षांत समोराह के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)
मुद्देनहल्ली, कर्नाटक : 03.07.2023
मुझे Sri Sathya Sai University for Human Excellence के इस सुन्दर परिसर में आकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। मैं आज डिग्री प्राप्त कर रहे सभी विद्यार्थियों को बधाई देती हूं। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए Honorary Doctorate की उपाधि से सम्मानित किये गए गणमान्य व्यक्तियों को मैं विशेष बधाई देती हूं।
आज गुरु पूर्णिमा का शुभ दिन है। गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर, मैं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। गुरु पूर्णिमा का यह पवित्र दिन, हमारे शिक्षकों और आध्यात्मिक मार्गदर्शकों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए समर्पित है। हमारे गुरुजन हमारे जीवन निर्माता हैं। विद्यालयों में शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षकों में भी गुरु का अंश विद्यमान होता है। मैं चाहूंगी कि आप सभी विद्यार्थीगण अपने अभिभावकों, शिक्षकों और जीवन में मार्गदर्शन देने वाले सभी व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता का भाव आजीवन बनाए रखें।
देवियों और सज्जनो,
मुझे बताया गया है कि इस शिक्षण संस्थान में सभी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा नि:शुल्क प्रदान की जा रही है। नि:शुल्क छात्रावास की सुविधा दिए जाने से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहायता प्राप्त हो रही है। इस संस्था द्वारा ‘Shri Madhusudan Sai Institute of Medical Sciences and Research’ नामक एक निःशुल्क मेडिकल कॉलेज की भी स्थापना की गई है। मुझे बताया गया है कि इस प्रयास में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और All India Institute of Medical Sciences, New Delhi सहित कई शीर्षस्थ संस्थानों के साथ सहभागिता की जा रही है। इससे healthcare और medical education के क्षेत्रों में और अधिक विकास संभव होगा।
गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं किसी भी समाज और देश की प्रगति के लिए बुनियादी आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि प्रत्येक नागरिक को उनकी आर्थिक सीमाओं के बावजूद, सस्ती और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हों। यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार विशेष प्रयास कर रही है। विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना भारत में चलाई जा रही है जिससे अनेक गरीब परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।
श्री सत्य साई बाबा के आदर्श इस संस्था का मार्गदर्शन कर रहे हैं। उनका मानना था कि शिक्षा केवल अकादमिक उत्कृष्टता तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि शिक्षा से व्यक्ति के चरित्र, नैतिक मूल्यों और सामाजिक चेतना के समग्र विकास को भी बढ़ावा मिलना चाहिए। मैं इस संस्था से जुड़े सभी लोगों को समाज सेवा के इस कार्य के लिए विशेष बधाई देती हूं।
देवियो और सज्जनो,
आज हमारी बेटियां जीवन के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं। मुझे यह जानकार प्रसन्नता हो रही है कि इस संस्थान में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों में से 66 प्रतिशत से अधिक लड़कियां है। और आज स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालें 17 विद्यार्थियों में से 11 यानि लगभग 65 प्रतिशत लड़कियां हैं। पहले झारखण्ड की राज्यपाल और बाद में राष्ट्रपति के रूप में मैंने अनेक दीक्षांत समारोहों में भाग लिया है। मैंने देखा है कि विश्वविद्यालयों में हमारी बेटियां बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। राष्ट्रपति भवन में आयोजित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े अनेक पुरस्कार समारोहों में भी बड़ी संख्या में महिलाएं पुरस्कार प्राप्त कर रही हैं। इस सन्दर्भ में, मुझे यह देख कर बहुत प्रसन्नता हुई है कि इस वर्ष की सिविल सर्विसेज परीक्षा में सर्वोच्च चार स्थान हमारी बेटियों ने प्राप्त किये हैं। यह इस बात का संकेत है कि बराबर अवसर मिलने पर हमारी बेटियां, बेटों से भी अच्छा प्रदर्शन करती हैं। यह भारत में हो रहे बदलाव और देश के सुनहरे भविष्य की झलक है।
मैंने अपने देश की परंपराओं को, संस्कृति को, जन-जीवन को तथा उसकी लोक परंपराओं में निहित ममता और करुणा जैसे मूल्यों को समझने का प्रयास किया है। मुझे भारत की समृद्ध परम्पराओं पर गर्व होता है। परम्पराओं के सुदृढ़ आधार पर आधुनिकता को अपनाते हुए महिलाएं देश के विकास में और भी बड़ी भूमिका निभा सकती हैं।
देवियो और सज्जनो,
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस संस्थान में पचास प्रतिशत विद्यार्थी ऐसे हैं जो मेरी ही तरह अपने परिवार में स्नातक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले विद्यार्थी हैं। आजकल मैं देखती हूं कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अच्छे colleges में एडमिशन लेने और फिर academic excellence हासिल करने पर बढ़ते दबाव के कारण छात्रों में तनाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। मैं सभी विद्यार्थियों को कहना चाहूंगी कि परीक्षाएं आपकी शिक्षा का केवल एक आयाम हैं। परीक्षा में सफलता आपकी क्षमताओं का एकमात्र मापदंड नहीं है। आपका व्यक्तित्व, आचरण और चरित्र आपकी शैक्षणिक उपलब्धियों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। माता-पिता और शिक्षण संस्थानों का भी कर्तव्य बनता है कि वे विद्यर्थियों को स्वस्थ वातावरण प्रदान करें और उन्हें अपनी रुचि के अनुसार करियर चुनने और आगे बढ़ने में मदद करें।
देवियो और सज्जनो,
अंत में, मैं एक बार फिर सभी विद्यार्थियों को बधाई देती हूं। इक्कीसवीं सदी में निर्मित यह शिक्षण संस्थान अनुपयोगी परम्पराओं के बोझ से मुक्त है। मेरा विश्वास है कि इस संस्थान को अत्याधुनिक सोच के साथ विश्व-स्तरीय संस्थान बनाने की दृष्टि से आगे बढ़ाया जाएगा। मेरी शुभकामना है कि शीघ्र ही यह संस्थान और यहां के विद्यार्थी अपनी प्रभावशाली पहचान बनाने में सफल हों। मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करती हूं।
जय हिन्द!
जय भारत!