भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का श्री बागेश्वर जन सेवा समिति द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में संबोधन (HINDI)
गढ़ा, छतरपुर: : 26.02.2025

आज महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आयोजित इस सामूहिक विवाह समारोह में शामिल होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। हम सब के ऊपर देवाधिदेव महादेव की कृपा बनी रहे तथा हमारा देश और समाज प्रगति के पथ पर आगे बढ़े, यही मेरी प्रार्थना है।
यहां उपस्थित सभी नव-विवाहित दम्पतियों को मैं अपना आशीर्वाद देती हूं और उनके सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करती हूं। आपको परिणय सूत्र में बांधने और आपके जीवन में खुशी का यह अवसर उत्पन्न करने के लिए मैं, श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी और श्री बागेश्वर धाम जन सेवा समिति की सराहना करती हूं।
यह बहुत ही प्रसन्नता का विषय है कि यह विवाह-समारोह जन-सहयोग से सम्पन्न हो रहा है और विवाहित जोड़ों को गृहस्थी के जरूरी सामान के साथ- साथ उन्हें स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से सिलाई मशीन और आटा-चक्की जैसी जीवनोपयोगी वस्तुएं भी भेंट की जा रही हैं। ‘जन-सहयोग’ द्वारा ‘जन-कल्याण’ का यह बहुत ही अच्छा उदाहरण है। मुझे विश्वास है कि आज विवाह बंधन में बंधे दंपति इस दिवस की स्मृति को संजो कर रखेंगे और अपनी गृहस्थी को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाएंगे।
देवियो और सज्जनो,
भारतीय परंपरा में संतों ने सदियों से अपने कर्म और वाणी से जनमानस को राह दिखाई है। समकालीन समाज में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई है। उन्होंने समाज में फैले अंधविश्वासों के बारे में लोगों को जागरूक किया है, छुआ-छूत और ऊंच-नीच के भेद-भाव को दूर करने की सीख दी है। संतों ने महिलाओं को समाज में उचित सम्मान दिलाने के लिए भी प्रयास किया है। चाहे गुरु नानक हों, संत रविदास हों, संत कबीरदास हों, मीरा बाई हों, या संत तुकाराम हों, सबने अपने उपदेशों से लोगों को सही मार्ग पर चलने को प्रेरित किया है। भारतीय समाज में उनके योगदान ने ही उन्हें पूजनीय स्थान दिलाया है।
आज जब हमारा देश women-development से women-led development की ओर अग्रसर है तब समाज के सभी लोगों का कर्तव्य बनता है कि वे बेटियों और बहनों को सबल और सक्षम बनाने में अपना योगदान दें। उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर ध्यान दें। हमारे छोटे-छोटे प्रयास हमारी बेटियों को सशक्त बनाएंगे। मैं सभी महिलाओं से भी कहना चाहूंगी कि आप स्वयं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहें। जब आप सबल होंगी तभी हमारा समाज और देश सबल होगा।
हमने भारत को, वर्ष 2047 तक, जब हम आजादी की शताब्दी मनाएंगे, एक विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा है। एक ऐसा भारत जो न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो, बल्कि सामाजिक समरसता से परिपूर्ण हो, पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील हो, अपने आध्यात्मिक प्रकाश से विश्व समुदाय को राह दिखाने वाला हो। ऐसे भारत के निर्माण में समकालीन संतों की भी अहम भूमिका है। वे लोगों को सामाजिक एकता बढ़ाने के लिए, पर्यावरण संरक्षण के लिए तथा अपनी ऊर्जा को राष्ट्र-निर्माण में लगाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। मेरा मानना है कि हमें अपनी ज्ञान-परंपरा को जांच-परखकर कर और उसके उपयोगी अंश को अपना कर उसका उपयोग राष्ट्र-निर्माण और मानव-कल्याण में करना चाहिए।
इसी भावना के साथ कार्य करते हुए सभी आगे बढ़ते रहें, इसी शुभकामना के साथ मैं सभी दम्पतियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगलकामना करती हूं तथा अपनी वाणी को विराम देती हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द,
जय भारत!