भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ‘शासन आपल्या दारी’ और ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के कार्यक्रम में सम्बोधन (HINDI)

उदगीर, महाराष्ट्र : 04.09.2024
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आज महिलाओं के सशक्तिकरण और जन-कल्याण से जुड़े इस कार्यक्रम में आकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। इस कार्यक्रम में इतनी बड़ी संख्या में एकत्र हुई महिलाओं को संबोधित करना मेरे लिए ख़ुशी की बात है।

आज यहाँ आने से पहले मुझे बुद्ध विहार का उद्घाटन करने का अवसर मिला। इस विहार में एक meditation centre भी बनाया गया है जिसमें एक हजार से भी अधिक व्यक्ति एक साथ ध्यान कर सकते हैं। भारतीय परंपरा में ध्यान साधना को बहुत महत्व दिया गया है। आज की तनावपूर्ण जीवन-शैली में ध्यान की उपयोगिता और भी बढ़ गई है। इस परिप्रेक्ष्य में meditation centre का निर्माण एक सराहनीय कदम है। इस कार्य के लिए मैं राज्य सरकार को बधाई देती हूं।

आज का यह कार्यक्रम एक समावेशी और समृद्ध समाज तथा देश के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रसन्नता की बात है कि महाराष्ट्र में महिलाएं, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ ले रही हैं और आत्मनिर्भर भी बन रही हैं। मुझे बताया गया है कि राज्य सरकार स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आवश्यक financial literacy यानि वित्तीय साक्षरता प्रदान कर रही है। साथ ही महिलाओं को कौशल प्रदान करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा आजीविका के लिए विभिन्न अवसर भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मुझे बताया गया है कि राज्य सरकार transparent और  accountable governance को बढ़ावा देने के लिए भी अनेक कार्य कर रही है। नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें, इसके लिए सरकार यह सेवाएँ उनके घर पहुंचा रही है।

देवियो और सज्जनो,

महिलाओं के आर्थिक विकास के दो आयाम हैं – आर्थिक समावेश और आर्थिक सशक्तिकरण। राज्य सरकार द्वारा ‘माझी लाडकी बहिन योजना’ के अंतर्गत महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जा रही है। बैंकों में खाते खुलने से महिलाएं आर्थिक प्रक्रिया में भागीदार भी बनती हैं। यह उल्लेखनीय है कि देश में 53 करोड़ से अधिक जन धन खातों में से लगभग 30 करोड़ से अधिक खाते महिलाओं के हैं। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए की जा रही ऐसी सभी पहलों के बारे में जानकर मुझे बहुत संतोष मिलता है। अनुभव के आधार पर ऐसा कहा जाता है कि समान परिस्थितियों में परिवार के आर्थिक संसाधनों का सबके लिए उपयोग करने की भावना और समझ, महिलाओं में पुरुषों से अधिक होती है। यह माना जाता है कि यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो केवल एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं लेकिन यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो पूरे परिवार और भावी पीढ़ी को शिक्षित करते हैं। यही बात आर्थिक सशक्तिकरण के लिए भी सही है। यदि महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं तो पूरा परिवार और आने वाली पीढ़ी भी सशक्त होती है।

देवियो और सज्जनो,

भारत सरकार की लखपति दीदी योजना के माध्यम से पूरे देश में करीब 1 करोड़ बहनें लखपति दीदी बन गयी हैं। वे अपने परिवार के लिए निर्णय ले रही हैं और अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं। भारत सरकार ने बहनों की इस प्रगति को देखते हुए लखपति दीदी योजना का लक्ष्य 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया है। यह सराहनीय है कि महाराष्ट्र सरकार ने स्वयं सहायता समूहों की 25 लाख बहनों को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य तय किया है। मुझे यह जानकर ख़ुशी हुई है कि अभी तक महाराष्ट्र में 13 लाख बहनें लखपति दीदी बन चुकी हैं। लखपति दीदी पहल के द्वारा अनेक महिलाओं के बढ़ते आत्मविश्वास, जागरूकता और नव-चेतना के उदाहरण सामने आ रहे हैं। यह सराहनीय है कि राज्य सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण को सुनिश्चित करने के लिए भी अनेक कदम उठा रही है। यह देखा जाता है कि प्राय: माताएं और बहनें परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान तो रखती हैं लेकिन अपने भोजन और स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखती हैं। मैं सभी बहनों से कहना चाहती हूँ कि आप सब अपने स्वास्थ्य पर भी जरूर ध्यान दें। बच्चों और परिवार की देखभाल करने में अपने स्वास्थ्य को अनदेखा न करें। आपको अपने और अपने परिवार के अच्छे भविष्य के लिए भी अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा।

देवियो और सज्जनो,

देश के इतिहास में महाराष्ट्र की महिलाओं के नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। वीर माता जीजाबाई ने शिवाजी महाराज को सदा मातृभूमि की सेवा व जन-कल्याण के लिए समर्पित रहने की प्रेरणा दी थी। सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया और लड़कियों की शिक्षा के लिए अनेक कदम उठाए थे। संत बहिणाबाई इसी भूमि की एक महान संत थीं जो बहुत कम आयु से ही भगवान की भक्ति में लीन रहती थी। महान कवयित्री बहिणाबाई चौधरी, जिन्होंने मानव समाज, विशेषकर महिलाओं के जीवन का चित्रण करने वाली कविताएं लिखी, वे भी इसी धरती की बेटी थीं। मैं सिंधुताई सपकाल का विशेष उल्लेख करना चाहूंगी। उन्होंने सड़कों पर रहने वाले कई बच्चों को गोद लिया। हज़ारों अनाथ बच्चों की वे मां बनीं। ऐसी महान माताओं से प्रेरणा लेकर हमारी सभी बहनें निरंतर आगे बढेंगी और देश की विकास गाथा लिखेंगी, यह मेरा विश्वास है।

देवियो और सज्जनो,

भारत सरकार के एक आकलन के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की work-force में भागीदारी में प्रभावशाली वृद्धि हुई है। सरकार की मदद से और आत्मविश्वास के साथ अब महिलाएं हर क्षेत्र में योगदान दे रही हैं। इस पर अभी और काम करने की ज़रुरत है ताकि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को और बढ़ाया जा सके। महिलाओं की इस भागीदारी को बढ़ाने में स्वयं सहायता समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

मैं सभी पुरुषों से भी कहना चाहती हूं कि आप सब का यह कर्त्तव्य है कि आप महिलाओं की क्षमता को पहचान कर, उनके सपनों को साकार करने में उन्हें पूरा सहयोग दें। हर एक बेटी, अपने रास्ते की बाधाओं को पार करके, कठिनाई से जूझते हुए अपने लक्ष्य तक पहुंचती है। उनके आगे बढ़ने में पैदा की गयी कोई भी रुकावट, समाज और देश के विकास की गति को भी कम कर देती है।

हमारी संस्कृति में देश को मातृभूमि कहा जाता है। इस प्रकार भारत में महिलाओं का सम्मान करना और उनका सहयोग करना तो हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह प्रत्येक परिवार के जीवन-मूल्यों में भी दिखाई देना चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

देश और समाज के उज्ज्वल भविष्य के लिए युवक-युवतियों में औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ कौशल और आत्मविश्वास भी होना चाहिए। मुझे बताया गया है कि महाराष्ट्र सरकार ने उद्यमियों के सहयोग से युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। हमारे बेटे-बेटियाँ ज्ञान, कौशल और अनुभव अर्जित करने के साथ-साथ पैसे भी कमा पाएंगे तो निश्चित ही वे अधिक आत्मविश्वास से जीवन में आगे बढ़ेंगे। राज्य सरकार युवाओं के लिए इस दिशा में प्रयास कर रही है, यह सराहनीय है। देश की महिलाओं और युवाओं का सर्वांगीण विकास, विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में निश्चित ही सहायक होगा।

अंत में, आप सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।

धन्यवाद!  
जय हिन्द!  
जय भारत!

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