भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन (HINDI)

भुवनेश्वर : 09.07.2024
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National Institute of Science Education and Research के इस दीक्षान्त समारोह में आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। मैं स्वर्ण पदक एवं पुरस्कार पाने वाले सभी विद्यार्थियों की विशेष सराहना करती हूं। मैं विद्यार्थियों के अभिभावकों और प्राध्यापकों को भी बधाई देती हूं। आपके आशीर्वाद और मार्गदर्शन की वजह से ही ये सभी विद्यार्थी आज यह उपलब्धि हासिल कर सके हैं।

देवियो और सज्जनो,

आज हमारी बेटियां आदित्य L-1 और चंद्रयान-3 जैसे प्रतिष्ठित science missions का नेतृत्व कर रहीं हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों में STEMM विषयों में अब बेटियों की भागीदारी 40 प्रतिशत से अधिक है। लेकिन, मैंने देखा है कि आज इस संस्थान में उपाधि, पदक एवं पुरस्कार पाने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या छात्रों से कम है। मुझे आशा है कि भविष्य में बेटों और बेटियों के बीच की असमानता की यह स्थिति दूर होगी। मुझे बताया गया है कि नाइसर के अनेक विद्यार्थी देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित संस्थानों में अनुसंधान कार्य कर रहे हैं। साथ ही साथ यह संस्थान देश-विदेश के अन्य कई Institutes के साथ Research collaborations कर रहा है। नाइसर की यात्रा कुछ ही वर्ष की रही है लेकिन आपके संस्थान ने कम समय में ही शिक्षा की गुणवत्ता तथा उपलब्धियों के बल पर शिक्षा जगत में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है।

देवियो और सज्जनो,

मुझे बहुत प्रसन्नता है कि विज्ञान की तार्किकता और परंपरा के संस्कारों को समन्वित करके आप आगे बढ़ रहे हैं। नाइसर के प्रतीक चिह्न में Mathematics, Biology, Chemistry तथा Physics से जुड़े डिजाइन्स के साथ ईशोपनिषद् से लिया गया कथन अंकित है –विद्ययाsमृतमश्नुते। इसका भावार्थ यह है कि विद्या से व्यक्ति को अमृत प्राप्त होता है यानि विद्या-रूपी अमृत की संजीवनी पाकर व्यक्ति के कार्य अमर हो जाते हैं। उदाहरण के लिए विश्व के महानतम वैज्ञानिकों में से एक सर सी. वी. रमन दशकों से हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनके द्वारा प्रतिपादित Raman effect प्रासंगिक है और उस वैज्ञानिक सिद्धान्त के जरिये सी. वी. रमन सदैव अमर रहेंगे। ओडिशा की पावन धरती पर ही महानतम खगोलशास्त्रियों में से एक पठाणि सामन्त ने भारतीय खगोल विज्ञान को समृद्ध किया है। अपने सिद्धांत द्वारा सामन्त चन्द्रशेखर अमर रहेंगे। उत्कल विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति, प्रोफेसर पी. के. पारिजा वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में किए गए अपने अनुसन्धानों के कारण सदैव याद किए जाएंगे।

प्रिय विद्यार्थियो,

आप एक अत्यंत प्रतिष्ठित संस्थान से उपाधि प्राप्त कर रहे हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप जहां भी कार्यरत रहेंगे, अपने कार्यक्षेत्र में श्रेष्ठता के सर्वोत्तम स्तर प्राप्त करेंगे। मुझे आशा है कि आप अपने कार्यक्षेत्र में उपलब्धियां प्राप्त करने के साथ-साथ अपने सामाजिक कर्तव्यों का निर्वहन भी पूर्ण उत्तरदायित्व के साथ करेंगे। महात्मा गांधी ने सात सामाजिक पाप परिभाषित किए हैं जिनमें एक है दयाहीन विज्ञान। यानि मानवता के प्रति संवेदनशीलता से रहित विज्ञान को बढ़ावा देना पाप कर्म करने जैसा है। उनका यह स्पष्ट संदेश आपको सदैव याद रखना चाहिए।

सार्थक विद्या एवं ज्ञान वही है जिसका प्रयोग मानवता की बेहतरी एवं उत्थान के लिए हो। मुझे इस वर्ष अप्रैल में भारत की पहली और विश्व की सबसे Affordable CAR T-Cell therapy का शुभारंभ करने का अवसर मिला। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि नाइसर में Medical Cyclotron facility की स्थापना के लिए कार्य किया जा रहा है। कैंसर के विरुद्ध हमारी लड़ाई में ये सब उपलब्धियां संपूर्ण मानव जाति के लिए एक नई आशा प्रदान करती हैं।

देवियो और सज्जनो,

विज्ञान के वरदान के साथ-साथ उसके अभिशाप का खतरा भी हमेशा बना रहा है। आज Science and Technology के क्षेत्र में बहुत तेजी से बदलाव आ रहे हैं। नए-नए तकनीकी विकास मानव समाज को क्षमताएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन साथ ही मानवता के सामने नई चुनौतियां भी पैदा कर रहे हैं। जैसे CRISPR-Cas9 से Gene editing बहुत आसान हुई है। यह तकनीक कई असाध्य बीमारियों के समाधान करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। परंतु इस technology के प्रयोग के कारण नैतिक और सामाजिक मुद्दों से जुड़े संकट भी प्रस्तुत हो रहे हैं। इसी प्रकार Generative Artificial Intelligence के क्षेत्र में हो रहे विकास से deep fake की समस्या तथा अनेक regulatory challenges सामने आ रहे हैं। मुझे आशा है कि विज्ञान शिक्षा से जुड़े आप जैसे सभी लोग एवं नीति- निर्मातागण मिलकर इन सभी समस्याओं को हल करने का प्रयत्न करेंगे, ताकि मानवता, अनुसंधान एवं विकास का अधिक से अधिक लाभ उठा सके और उसे कोई हानि न पहुंचे।

प्रिय विद्यार्थियो,

Fundamental Science के क्षेत्र में होने वाले प्रयोगों एवं अनुसंधानों के परिणाम प्राप्त करने में प्राय: बहुत अधिक समय लगता है। ऐसा भी देखा गया है कि कई बार बहुत वर्षों तक निराशा देखने के बाद break-through मिले हैं।

इसलिए ऐसा भी संभव है कि आप कई बार ऐसे दौर से गुजरें जब आपके धैर्य की परीक्षा हो। लेकिन आप कभी भी हताश न हों। यह हमेशा याद रखें कि fundamental research के विकास, अन्य क्षेत्रों में भी अत्यंत लाभकारी सिद्ध होते हैं। Fundamental research के द्वारा हम नए प्रयोग विकसित करते हैं जो कि ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने की दिशा में तथा मानवीय समझ के विस्तार के लिए नए कदम होते हैं। आज साधारण सी लगने वाली बहुत सारी असाधारण चीजें fundamental research के विकास से ही संभव हुई हैं। आधुनिक संचार के माध्यम हों, या नई चिकित्सा तकनीकें हों, ये सभी असंभव होतीं यदि अतीत में शोधकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों ने धैर्य का परिचय न दिया होता।

प्रिय विद्यार्थियो,

मैं कामना करती हूं कि आप जहां भी हों अपने संस्थान की गरिमा को बढ़ाते हुए उत्कृष्टता के उच्चतम शिखरों तक पहुंचे। मैं आशा करती हूं कि आप अपने अंदर humility और spirit of inquiry हमेशा बनाए रखेंगे। अपने ज्ञान को social enterprise समझते हुए उसका प्रयोग समाज और देश के विकास के लिए करेंगे।

आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए आपको अनेक-अनेक शुभाशीष।

धन्यवाद,  
जय हिन्द!  
जय भारत!

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