भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा आयोजित ‘पंचायत से पार्लियामेंट’ कार्यक्रम के प्रतिभागियों को सम्बोधन (HINDI)

राष्ट्रपति भवन : 06.01.2025
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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा आयोजित ‘पंचायत से पार्लियामेंट’ कार्यक्रम के प्रतिभागियों को सम्बोधन (HINDI)

पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े जनजातीय समुदाय के आप सभी महिला प्रतिनिधियों से मिलकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है।

‘पंचायत से संसद’ कार्यक्रम की पहल के लिए मैं राष्ट्रीय महिला आयोग, लोक सभा सचिवालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय की सराहना करती हूं। मुझे बताया गया है कि सभी प्रतिभागियों ने संसद भवन परिसर में स्थित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा के सम्मुख श्रद्धांजलि अर्पित की। मुझे विश्वास है कि संसद परिसर में इस कार्यक्रम के दौरान हुई चर्चाओं से संवैधानिक प्रावधानों, संसदीय प्रक्रियाओं और शासन से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण विषयों के बारे में आपकी समझ में वृद्धि हुई होगी।

मेरी प्यारी बहनों और बेटियों,

हमारे लोकतंत्र की ताकत इसकी समावेशिता और प्रत्येक व्यक्ति, विशेषकर महिलाओं के, सशक्तीकरण में निहित है। इस महत्व को पहचान कर हमारे संविधान-निर्माताओं ने महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिया। बहुत से विकसित देशों में महिलाओं को मताधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ा था लेकिन हमारे संविधान में बिना भेदभाव के वयस्क महिलाओं और पुरुषों को मताधिकार प्रदान किया गया।

पंचायती राज संस्थाएं हमारे लोकतंत्र की आधारशिला रही हैं। ये संस्थाएं जमीनी स्तर पर शासन और सामुदायिक विकास के लिए एक मंच प्रदान करती हैं। इन संस्थाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है जिससे उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

पंचायती राज संस्थाओं ने महिलाओं के सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज पूरे देश में लगभग 14 लाख महिलाएं पंचायती राज संस्थानों तथा ग्रामीण स्थानीय निकायों के निर्वाचित सदस्यों के रूप में कार्यरत हैं, जो कुल निर्वाचित प्रतिनिधियों का 46 प्रतिशत हैं। इस भागीदारी को और सशक्त करने के लिए अधिकांश राज्यों ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है।

सशक्तीकरण की इस यात्रा को आगे बढ़ाते हुए महिला आरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत, लोकसभा और राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक- तिहाई सीटें आरक्षित की गई हैं। मुझे विश्वास है कि पंचायत स्तर से शुरू हुई आपकी नेतृत्व यात्रा विधान सभाओं और संसद तक पहुंचेगी।

मेरी प्यारी बहनों और बेटियों,

जनजातीय समाज के लोगों का सर्वांगीण विकास हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है। जनजातीय समाज की अपनी विशिष्ट पहचान बनी रहे और साथ ही उनका विकास भी होता रहे इसके लिए राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ-साथ उनके लिए अलग से विशेष योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।

हम सब जानते हैं कि हमारे अधिकांश जनजाति भाई-बहन ग्रामांचलों और वनांचलों में रहते हैं। जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखते हुए उनको विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए PESA अधिनियम बनाया गया है। मुझे विश्वास है कि इस अधिनियम के प्रावधानों को धरातल पर उतारने से जनजातीय समुदाय के विकास को और गति मिलेगी।

जब हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं, तब हम सब का यह प्रयास होना चाहिए कि जनजातीय समुदाय की विरासत का सम्मान करते हुए उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़े। जनजातीय समुदाय की बेटियों और बहनों को भी राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने के लिए उचित अवसर प्रदान किए जाएं। हमारा यह प्रयास भगवान बिरसा मुंडा को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

मेरी प्यारी बहनों और बेटियों,

भारत सरकार देश और देशवासियों के समग्र विकास के लिए कार्यरत है। नागरिकों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। मैं चाहूंगी कि आप इन योजनाओं का लाभ लेने योग्य सभी लोगों में जागरूकता बढ़ाए ताकि वे लाभार्थी बन सकें। आप ध्यान रखें कि बच्चों का टीकाकरण सही समय पर हो, गर्भवती महिलाओं को उचित पोषण मिले, बच्चे बीच में पढ़ाई न छोड़ें। आपको दहेज, घरेलू हिंसा, नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध भी अभियान चलाना चाहिए।

मेरा आप सभी से निवेदन है कि आप पंचायतों में निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन निर्भीक होकर करें। कहीं-कहीं पर महिला पंचायत प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा पंचायतों के कार्य करने की प्रवृत्ति अभी भी दिखाई देती है। आप ऐसी प्रथा का उन्मूलन करने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाएं।

पंचायत प्रतिनिधि होने के नाते आपके पास ग्रामीणों के आपसी विवाद को दूर करने का अधिकार है। आप इस अधिकार का उचित प्रयोग करें और ग्रामीणों के बीच के विवादों को पंचायत स्तर पर ही सुलझाने का प्रयास करें। इससे न केवल लोगों का संसाधन और समय बचेगा बल्कि आपसी सौहार्द भी बढ़ेगा। अंत में, मैं आप सब से अनुरोध करूंगी कि आप पूरी तत्परता से अपने समाज के लोगों की सेवा करते रहें। ऐसा करते हुए आप विकसित भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य में अपना योगदान दे पाएंगे। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

धन्यवाद,
जय हिंद! 
जय भारत!

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