भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राज्यपाल सम्मेलन-2024 में आरम्भिक उद्बोधन (HINDI)

राष्ट्रपति भवन : 02.08.2024
Download : Speeches भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राज्यपाल सम्मेलन-2024 में आरम्भिक उद्बोधन (HINDI)(106.87 KB)
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राज्यपाल सम्मेलन-2024 में आरम्भिक उद्बोधन (HINDI)

मैं आप सभी का राष्ट्रपति भवन में हार्दिक स्वागत करती हूं। इस सम्मेलन में पहली बार भाग ले रहे राज्यपालों तथा हाल ही में नियुक्त हुए राज्यपालों को मैं विशेष बधाई देती हूं।

इस सम्मेलन की कार्यसूची में सम्मिलित विषय हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

जैसा कि आप सभी को ज्ञात है आपराधिक न्याय से जुड़े तीन नए कानूनों के लागू होने से हमारे देश में न्याय व्यवस्था के एक नए युग का आरंभ हुआ है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नामों से ही हमारी सोच में बदलाव स्पष्ट होता है। इस नई सोच के अनुसार अब हमें दंड विधि एवं दंड प्रक्रिया को न्याय विधि एवं न्याय प्रक्रिया के रूप में देखना है।

लोकतंत्र के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए, यह अत्यंत आवश्यक है कि देश में कार्य कर रही विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां सभी राज्यों में बेहतर समन्वय के साथ कार्य करें। राज्य के संवैधानिक प्रमुख के तौर पर आप कैसे इस समन्वय को बढ़ावा दे सकते हैं, इस पर विचार करें।

गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा एक अमूर्त संपत्ति है, जो व्यक्तिगत विकास और सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ नवाचार और आर्थिक उन्नति को बढ़ावा देती है। ज्ञान केंद्रों, तथा चरित्र एवं राष्ट्र निर्माण के संस्थानों के रूप में विश्वविद्यालयों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का एक वक्तव्य आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा था and I quote “Dynasties may come and go; parties may rise and fall; universities as centres of the pursuit of truth and practice of virtue, as seats of knowledge and power, will for ever continue.” Unquote

शिक्षण संस्थानों की Accreditation और Assessment व्यवस्था में सुधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जोर दिया गया है। राज्य सरकारों के अंतर्गत आने वाले अधिकतर विश्वविद्यालयों के आप कुलाधिपति हैं। अपने इस अधिकार का सदुपयोग करते हुए आप सुधार प्रक्रिया में योगदान दे सकते हैं।

भारत सरकार गरीबों, सीमावर्ती क्षेत्रों, वंचित वर्गों और विकास यात्रा में पीछे रह गए क्षेत्रों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। हमारे देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा Scheduled एवं Tribal क्षेत्रों में रहता है। वर्ष 2018 में Aspirational District Programme शुरू किया गया था जिसका लक्ष्य देश के सबसे कम विकसित जिलों का सामाजिक-आर्थिक विकास था। इस Programme की सफलता को देखते हुए Aspirational Blocks Programme की शुरुआत की गई थी। इन क्षेत्रों के लोगों का समावेशी विकास कैसे हो इस पर आपके सुझावों का स्वागत है।

युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक एवं रचनात्मक कार्यों में लगा दिया जाए तो ‘युवा विकास’ और ‘युवा नेतृत्व वाले विकास’ को और गति मिल जाती है। इसके लिए “मेरा युवा भारत” अभियान एक सुविचारित व्यवस्था प्रदान करता है। इसका उद्देश्य ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक शिक्षा प्रदान करना है। आपके राज्य में इस अभियान से जुड़े लोगों को आप प्रोत्साहित कर सकते हैं ताकि अधिक से अधिक युवा इससे लाभान्वित हो सकें।

विभिन्न राज्यों और संघ-राज्य क्षेत्रों के निवासी एक दूसरे को समझें और आपसी जुड़ाव महसूस करें, इसके लिए भारत सरकार ने “एक भारत श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम शुरु किया है। एकता एवं एकजुटता की भावना को बढ़ाने का यह अभियान बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। राज्यपाल के तौर पर आप कैसे एकता की भावना को और अधिक मजबूत कर सकते हैं, इस पर आप विचार करें।

Climate Change और global warming जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान का शुभारंभ किया है। राज्यपाल अपने-अपने राज्यों में इस अभियान को मजबूत जन-आन्दोलन के रूप में आगे बढ़ाने में योगदान दे सकते हैं।

प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देकर मिट्टी की उर्वरता के साथ-साथ किसानों की आय भी बढ़ायी जा सकती है। मैं जानती हूं कि कई राज्यपाल कृषि के साथ गहराई से जुड़े रहे हैं। गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत जी प्राकृतिक खेती के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। आप सभी राज भवनों से प्राकृतिक खेती के उदाहरण प्रस्तुत करके लोगों के बीच जागरूकता बढ़ा सकते हैं।

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान केंद्र में Viceroy तथा ब्रिटिश Provinces में Governors निरंतर भव्यता का प्रदर्शन करते थे ताकि आम जनता उन्हें बहुत ऊंचा समझे और दूरी बनाकर रखे। जाने-अनजाने तब की कुछ परम्पराएं बची रह गई हैं। ऐसी परंपराओं को समाप्त किया जा रहा है। कर्तव्य पथ एवं लोक कल्याण मार्ग जैसे नामकरण, जनता से सरकार के जुड़ाव का स्पष्ट संदेश देते हैं। राष्ट्रपति भवन में 'दरबार हॉल' को 'गणतंत्र मंडप' और 'अशोक हॉल' को 'अशोक मंडप' नाम दिया गया है। राजभवनों में भी आपके द्वारा ऐसे संदेश दिए जा सकते हैं। कुछ राजभवनों द्वारा ऐसा किया भी जा चुका है।

मुझे आशा है कि आप सभी अपने द्वारा ली गई शपथ के साथ न्याय करते हुए जनता की सेवा और उनके कल्याण में अनवरत अपना योगदान देते रहेंगे। इसी आशा और विश्वास के साथ मैं राज्यपाल सम्मेलन के आरम्भ की घोषणा करती हूं।

धन्यवाद,  
जय हिन्द!  
जय भारत!

Subscribe to Newsletter

Subscription Type
Select the newsletter(s) to which you want to subscribe.
The subscriber's email address.