भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार समारोह में सम्बोधन (HINDI)
राष्ट्रपति भवन : 26.12.2024
आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी बच्चों को मैं ढेर सारा आशीर्वाद देती हूं और हृदय से बधाई देती हूं।
इस पुरस्कार समारोह के आयोजन के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्री, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी जी तथा उनकी पूरी टीम की मैं सराहना करती हूं।
देवियो और सज्जनो,
आज के दिन देश-विदेश में रहने वाले, भारत के सभी लोग, गुरु गोबिन्द सिंह साहब के छोटे साहिबजादों के सम्मान में शीश झुकाते हैं। दिसंबर के इसी सप्ताह में गुरु गोबिन्द सिंह जी के दो बड़े साहिबजादों - बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह ने - आस्था और स्वाभिमान की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। बड़े साहिबजादों के अमरत्व प्राप्त करने के चार दिन के बाद, केवल नौ साल के बाबा जोरावर सिंह और सात साल के बाबा फतेह सिंह अपना बलिदान देकर महानतम अमर शहीदों में उच्च स्थान पर सदा के लिए आसीन हो गए। आजादी के अमृतकाल में, वर्ष 2022 से, आज के दिन को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। मैं सभी देशवासियों की ओर से साहिबजादों की स्मृति को सादर नमन करती हूं।
प्यारे बच्चो,
मुझे आप सभी पर गर्व है। मुझे ही नहीं, पूरे देश को, पूरे समाज को आप सभी पर नाज है। आपने जो काम किए हैं वे असाधारण हैं। आपने जो हासिल किया है वह आश्चर्यजनक है। आप सब में जो क्षमताएं हैं वे असीम हैं। आप सब में जो गुण हैं वे अतुलनीय हैं। आपने देश के बच्चों के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है। आपके बारे में जानकर सभी देशवासियों को प्रेरणा मिलेगी। मैं चाहूंगी कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा आपकी उपलब्धियों से सभी देशवासियों को अवगत कराया जाए। यह पुरस्कार समारोह आपके योगदान के विषय में जानकारी देने का शुभारंभ है। यह जानकारी अधिक से अधिक माध्यमों के जरिए अधिक से अधिक देशवासियों तक पहुंचनी चाहिए।
मैं आज पुरस्कार पाने वाले हर एक बच्चे के बारे में बात करना चाहती हूं। किसी ने अपनी जान जोखिम में डालकर बहादुरी के साथ लोगों की जान बचाई है। किसी ने medical condition के बावजूद दिव्यांगजन की सहायता के लिए कार्य किया है। किसी ने information technology में चमत्कार किया है तो किसी ने खेल-कूद अथवा कला के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है। किसी ने healthcare और innovation के जरिए लोगों के जीवन पर अच्छा प्रभाव डाला है तो किसी ने देश-प्रेम का आदर्श प्रस्तुत किया है।
बच्चों में देश-प्रेम की भावना के उदाहरण से देश के स्वर्णिम भविष्य के प्रति विश्वास और अधिक मजबूत होता है। देश-प्रेम की भावना ही बच्चों और बड़ों को राष्ट्र-हित के लिए समर्पित होने के मार्ग पर ले जाती है।
प्यारे बच्चो,
मैं आप सभी पुरस्कार विजेताओं की एक समान सराहना करती हूं। लेकिन, समय की सीमा के कारण मैं कुछ बच्चों का ही नाम ले पाऊंगी।
ओडिया भाषा में एक लोकप्रिय कहावत है:
तुलसी दुई पत्र रु बासे
अर्थात
केवल दो पत्तों के उगने से ही तुलसी का पौधा अपनी सुगंध बिखेरने लगता है। हमारे मास्टर अनीश की प्रसिद्धि उसी तरह बढ़ रही है।
आज के समारोह में, सबसे कम आयु के पुरस्कार विजेता, कोलकाता में रहने वाले मास्टर अनीश सरकार उस age group में हैं जब बच्चे play school और nursery में होते हैं। मास्टर अनीश विश्व में सबसे कम उम्र में world ranking पाने वाले chess player बन गए हैं। मुझे विश्वास है कि वे भविष्य में विश्व-स्तर पर अपनी पहचान बनाएंगे।
हमारी पंद्रह साल की बेटी हेमबती नाग के माता-पिता का स्वर्गवास हो चुका है। वे छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आती हैं। तमाम चुनौतियों के बीच अपने धीरज, साहस और कौशल के बल पर हेमबती ने जूडो में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।
प्यारे बच्चो,
बच्चों की प्रतिभा को अवसर देना तथा उसका सम्मान करना हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है। इस परंपरा को और मजबूत बनाना चाहिए। कोणार्क का सूर्य मंदिर भारत की सर्वश्रेष्ठ कला और विज्ञान का अद्भुत संगम है। किसी भी मंदिर का शिखर दूर से दिखाई देता है और मंदिर की पहचान होता है। यह लोक-मान्यता है कि कोणार्क के मंदिर के शिखर के निर्माण में वरिष्ठ शिल्पकार स्वयं को असमर्थ महसूस कर रहे थे तब धर्मपद नाम के एक छोटे से बच्चे ने उस मंदिर के शिखर को भव्य और दिव्य स्वरूप प्रदान किया था।
आप जैसे बच्चों की उपलब्धियां ही भारत को उन्नति के शिखर पर ले जाएंगी, यह मेरा विश्वास है। वर्ष 2047 में जब हम स्वाधीनता की शताब्दी मनाएंगे तब आज के पुरस्कार विजेता लगभग 25 से 40 वर्ष की आयु के प्रबुद्ध नागरिक होंगे। ऐसे प्रतिभाशाली बालक और बालिकाएं विकसित भारत के निर्माता बनेंगे।
मैं आप सभी पुरस्कार विजेता बच्चों को एक बार फिर बधाई देती हूं। बच्चों के स्वर्णिम भविष्य में ही भारत का भविष्य निहित है। मैं देश के सभी बच्चों के स्वर्णिम भविष्य की मंगल-कामना करती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!