भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का पंजाब सरकार द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह के अवसर पर सम्बोधन(HINDI)

मोहाली : 11.03.2025
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भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का पंजाब सरकार द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह के अवसर पर सम्बोधन

मैं संतो और बहादुरों की इस धरती को प्रणाम करती हूं। 

आप सबने जिस उत्साह और स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है, वह पंजाब की पहचान है। इस अविस्मरणीय स्वागत के लिए मैं राज्यपाल महोदय, मुख्यमंत्री महोदय तथा पंजाब के सभी निवासियों को हृदय से धन्यवाद देती हूं।

देवियो और सज्जनो,

मोहाली का यह क्षेत्र गुरु गोबिन्द सिंह साहब के साहेबजादों में सबसे बड़े, साहेबजादा अजीत सिंह जी के नाम पर, साहेबजादा अजीत सिंह नगर के नाम से विख्यात है। आस्था और स्वाभिमान की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर करने वाले चारों साहेबजादों - बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह - की स्मृति में, मैं अपना शीश झुकाती हूं।

गुरुओं के आशीर्वाद और प्रेरणा से, पंजाब की इस धरती ने बलिदानियों और क्रांतिकारियों को जन्म दिया है। 'शेर-ए-पंजाब' महाराजा रणजीत सिंह, भारतीय इतिहास का एक विराट व्यक्तित्व हैं। उन्होंने अपनी बहादुरी और कुशल नेतृत्व तथा हरी सिंह नलवा जैसे वीरों के योगदान से एक मजबूत साम्राज्य की स्थापना की। पंजाब की धरती पर, देश के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय रचे गए हैं। मैं 'पंजाब केसरी' लाला लाजपत राय, शहीद भगत सिंह, सुखदेव, सरदार उधम सिंह, तथा पंजाब के असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करती हूं। वर्ष 2022 में, Chandigarh airport का नाम बदल कर शहीद भगत सिंह International Airport किया गया। शहीद भगत सिंह का सम्मान, देश के सभी शूरवीरों तथा स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान भी है।

पंजाब के अनेक जिलों का नामकरण आध्यात्मिकता और बलिदानी वीरों के सम्मान का सूचक है। अमृतसर, गुरदासपुर, तरन-तारन साहेब, फतेहगढ़ साहेब, श्री मुक्तसर साहेब, फरीदकोट, और इस शहीद अजीत सिंह नगर के नाम, अध्यात्म और वीरता के लिए पंजाब के लोगों की भावना को व्यक्त करते हैं।

मार्च 2023 में मुझे श्री हरमंदिर साहब में मत्था टेकने और परिक्रमा करने का परम सौभाग्य मिला था। वहां की दिव्य शांति तथा सेवा-भाव की स्मृतियां मेरे जीवन के अनमोल अनुभव हैं। मैंने जलियांवाला बाग के स्मारक में उन शहीदों को नमन किया था, जिनके बलिदान ने भारत के स्वाधीनता संग्राम की धारा बदल दी थी। सभी देशवासी एकजुट होकर अत्याचारी हुकूमत के विरोध में डट गए थे।

अपनी उस यात्रा के दौरान मुझे श्री दुर्ग्याणा मंदिर तथा भगवान वाल्मीकि तीरथस्थल में आशीर्वाद लेने का अवसर भी मिला था। पंजाब की इस पवित्र धरती पर, आपलोगों के बीच आकर, मैं अपने को सौभाग्यशाली मानती हूं।

देवियो और सज्जनो,

हमारे सशस्त्र बलों के लिए पंजाब के बहादुर सैनिकों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। पंजाब की धरती ने देश और विश्व को समाज सुधार, शिक्षा, Science और Technology, उद्योग, खेल-कूद, राजनीति और समाज सेवा जैसे अनेक क्षेत्रों में योगदान देने वाली असाधारण विभूतियों को जन्म दिया है।

पंजाब ने भारतीय कृषि के विकास में अग्रणी योगदान दिया है। 1960 के दशक में जब देश में खाद्यान्न की कमी थी, तब से पंजाब के प्रगतिशील किसानों ने कड़ी मेहनत से हरित क्रांति को संभव बनाया और देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान की। मुझे विश्वास है कि पंजाब के हमारे किसान और agriculture scientists, पर्यावरण के अनुकूल खेती करते हुए, एक बार फिर, कृषि के क्षेत्र में पूरे देश को नेतृत्व प्रदान करेंगे।

पूरे विश्व में पंजाब के लोगों ने, अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर भारत की साख बढ़ाई है। आज पंजाब के लोकप्रिय गायकों का प्रभाव बहुत ही व्यापक स्तर पर देखा जा रहा है। पंजाब के नृत्य हमेशा लोकप्रिय रहे हैं। आज पूरे भारत में विवाह के उत्सवों पर पंजाब का प्रभाव दिखाई देता है। यहां का खान-पान भी देश-विदेश में अपना लिया गया है।

पंजाब के लोगों ने सेवा और समर्पण के अनेक आदर्श प्रस्तुत किए हैं। पूरे विश्व में गुरद्वारे का लंगर, बिना किसी भेद-भाव के सभी लोगों के लिए खुला रहता है।

गुरुनानक देव जी ने लंगर-सेवा की परंपरा आरंभ की थी। माता सुलखनी ने इस सेवा में हाथ बटाया। मैं ‘माता खीवी जी दा लंगर’ का विशेष उल्लेख करना चाहती हूं। माता खीवी ने लंगर सेवा को बड़े पैमाने पर व्यवस्थित रूप दिया। उन्होंने शुरू के पांच गुरु साहबों के समय यह सेवा प्रदान की थी। उनके दाह संस्कार में गुरु अर्जुन देव स्वयं पधारे थे। माता खीवी जी की पुण्य स्मृति को मैं प्रणाम करती हूं। भारत की संस्कृति में शक्ति का अन्नपूर्णा स्वरूप बहुत आदरणीय है। माता खीवी जी ने स्त्री-शक्ति के इसी अन्नपूर्णा स्वरूप को पंजाब में जन-जीवन का सहज अंग बना दिया। पंजाब के लोगों से लंगर सेवा की सीख पूरे देश और विश्व के अनेक क्षेत्रों के लोगों को मिली है।

देवियो और सज्जनो,

मैं एक बार फिर, इस स्वागत के लिए आप सबको तथा पंजाब के निवासियों को धन्यवाद देती हूं। मैं आपके इस स्नेह को हमेशा याद रखूंगी। मैं पंजाब के विकास और यहां के लोगों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपनी शुभकामनाएं देती हूं।

धन्यवाद,  
जय हिन्द!  
जय भारत!

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