भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दसवें दीक्षांत समारोह में संबोधन (HINDI)

बठिंडा : 11.03.2025
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आज उपाधियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं बधाई देती हूं। उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की मैं विशेष सराहना करती हूं। सभी अध्यापकों, अभिभावकों और विश्वविद्यालय के संचालन में योगदान देने वाली पूरी टीम की मैं प्रशंसा करती हूं।

यह समारोह विद्यार्थियों के जीवन में एक चरण के सम्पन्न होने और दूसरे चरण के शुभारंभ का अवसर है। मुझे विश्वास है कि सभी विद्यार्थी, अपने आचरण और योगदान से, इस विश्वविद्यालय की, अपने परिवार की तथा देश की प्रतिष्ठा बढ़ाएंगे।

देवियो और सज्जनो,

मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय में सबसे बड़ी संख्या केरल के विद्यार्थियों की है, तथा लगभग अन्य सभी राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों के विद्यार्थी यहां शिक्षारत हैं। यहां के अध्यापक समुदाय में भी भारत की विविधता झलकती है। यह अखिल भारतीय प्रतिनिधित्व आपके संस्थान की सराहनीय विशेषता है। इस विश्वविद्यालय में छात्रों और छात्राओं की संख्या लगभग बराबर है। मुझे बताया गया है कि अनेक अन्य देशों के विद्यार्थी भी यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे संस्थान हमारे देश की जीवंत और समृद्ध संस्कृति के प्रतिनिधि-संस्थान हैं। मैं आशा करती हूं कि बठिंडा विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्य भारत की विविधता, एकता और उत्कृष्टता के प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत करते रहेंगे।

मुझे यह देखकर विशेष प्रसन्नता हुई है कि आज के पदक विजेताओं में बेटियों की संख्या लगभग 65 प्रतिशत है। मैं इन होनहार बेटियों को फिर से बधाई देती हूं।

महिलाओं का विकास समाज के विकास का दर्पण है। शिक्षित महिलाएं, सुदृढ़ समाज का निर्माण करती हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि ये बेटियां विकसित भारत के निर्माण के हमारे सपने को सुंदर स्वरूप प्रदान करेंगी।

देवियो और सज्जनो,

यह हमारा सौभाग्य है कि हम सभी तलवंडी साबो में स्थापित तख्त श्री दमदमा साहिब के निकटवर्ती क्षेत्र में एकत्र हुए हैं। इस प्रकार, यहां विश्व के एक अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल की आध्यात्मिक ऊर्जा विद्यमान है। 

यह धरती कठिनतम संघर्ष के बीच, वीरता और आध्यात्मिक स्थिरता के संगम की भूमि है। अपने विकट संघर्ष के दौरान गुरु गोबिन्द सिंह जी ने तख्त श्री दमदमा साहिब में कुछ समय बिताया था। उन्होंने नवें गुरु साहब, तेग बहादुर जी की वाणी को गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित करवाया था। इस क्षेत्र को गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ‘गुरु की काशी’ का पवित्र नाम दिया था। गुरमत के दर्शन की शिक्षा से जुड़ी यह पावन भूमि आप सबकी उच्च शिक्षा प्राप्त करने की भूमि है, यह आप सभी विद्यार्थियों के लिए गौरव की बात है। सिख गुरु साहबों के त्याग, बलिदान और उनकी शिक्षा से सिंचित इस पवित्र भूमि को मैं नमन करती हूं।

प्यारे विद्यार्थियो,

मैं आपके लिए भविष्य में काम आने वाली कुछ बातें बताना चाहती हूं। आप पांच अच्छी बातों को अपने जीवन का हिस्सा बना लीजिये। ये पांच अच्छी बातें हैं :

जिज्ञासा, 

मौलिकता, 

नैतिकता,

दूरदर्शिता, और 

सहजता। 

इन विशेषताओं को अंग्रेजी में कहा जाएगा 

Curiosity, 

Originality, 

Morality, 

Farsighted-ness, and 

Spontaneity

जिज्ञासा, अर्थात जानने की इच्छा, किसी भी व्यक्ति को निरंतर नई जानकारी पाने के लिए उत्साहित रखती है। जो लोग जिज्ञासु होते हैं, वे जीवन पर्यंत नयी चीज़ें सीखते रहते हैं। वे सही प्रश्न उठाते हैं। जिज्ञासु लोग इस बात की चिंता नहीं करते कि सवाल पूछने पर उन्हें अज्ञानी समझा जाएगा।

इस प्रसंग में, पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न से सम्मानित, आदरणीय डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम साहब के जीवन का एक उदाहरण उल्लेखनीय है। एक बार उनके विज्ञान के अध्यापक ने क्लास रूम में black board पर पक्षियों की उड़ान के विषय में समझाया था। टीचर के पूछने पर सभी बच्चों ने कहा कि वे विषय को समझ गए थे। केवल कलाम साहब ने कहा था कि वे नहीं समझे थे। असल में कोई भी बच्चा विषय को नहीं समझ पाया था। कलाम साहब के अध्यापक ने नए सिरे से पूरे विषय को समुद्र के किनारे ले जाकर बच्चों को समझाया। उन्होंने उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर, aerodynamics के basic concepts समझाये। उन मूलभूत सिद्धांतों को समझने के बाद, उत्साहित होकर, कलाम साहब ने बचपन में ही अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने का निर्णय लिया। बचपन की उस सहज जिज्ञासा के बल पर कलाम साहब ने इतिहास रचा। वे जीवन पर्यंत जिज्ञासु बने रहे।

किसी भी विषय को ठीक से समझने के बाद आपका यह प्रयास होना चाहिए कि आप उस विषय में या किसी अन्य क्षेत्र में कुछ नया कर सकें। यही मौलिकता की पहचान बनेगी। आपकी मौलिकता आपको अपने कार्यक्षेत्र में अलग पहचान दिलाएगी। मौलिकता का एक प्रभावशाली उदाहरण आपके विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राज कुमार जी ने प्रस्तुत किया है। उन्हें, पिछले सप्ताह राष्ट्रपति भवन में आयोजित Visitor’s Conference के दौरान cancer के क्षेत्र में research के लिए Visitor’s Award प्रदान करने का अवसर मुझे मिला। मौलिकता पर आधारित ऐसी उपलब्धियों से आप सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।

पहले से उपलब्ध ज्ञान को ठीक से समझकर याद रखने वाला व्यक्ति Scholar या विद्वान कहा जा सकता है। Creative या रचनाशील व्यक्ति कुछ नया करना चाहता है। Scholar होना महत्वपूर्ण है, परंतु Scholarship पर आधारित Creativity और भी अधिक मूल्यवान है।

प्यारे विद्यार्थियो,

नैतिकता ही सार्थक जीवन की आधारशिला होती है। अच्छा इंसान होना, सफल व्यक्ति होने से अधिक महत्वपूर्ण है। नैतिकता के बल पर ही कोई व्यक्ति स्थायी सफलता और सम्मान अर्जित करता है। आपका लक्ष्य और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के आपके साधन, दोनों ही नैतिकता पर आधारित होने चाहिए।

आप अपने निजी जीवन अथवा कार्यक्षेत्र के बारे में जो भी अवसर चुनें, वे तात्कालिक लाभ पर आधारित न होकर आपकी योग्यता और रुचियों का स्थायी रूप से उपयोग करने की संभावना पर आधारित होने चाहियें। प्रायः Technology और कार्यक्षेत्रों में हो रहे बदलावों की तेज गति पर ज़ोर दिया जाता है, और यह ठीक भी है। लेकिन इन बदलावों के बीच भी कुछ बातें स्थायी होती हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई संस्थान या उद्यम नैतिक मूल्यों के लिए प्रसिद्ध है, तो ऐसे संस्थान में अपेक्षाकृत कम वेतन पर काम करना आपके लिए बेहतर होगा। यदि कोई संस्थान Learning oriented है, तो वह संस्थान आपके भविष्य के लिए, केवल Profit Oriented संस्थान से बेहतर होगा।

प्यारे विद्यार्थियो,

सहजता एक मूल्यवान गुण है। सहजता के कई आयाम हैं। आडंबर या दिखावे से बचना उसका एक आयाम है। कथनी और करनी में समानता, सहजता का दूसरा आयाम है। अपनी जड़ों से जुड़े रहना भी सहजता का बहुत महत्वपूर्ण आयाम है। अपने बचपन के परिवेश और संगी-साथी, अपने स्कूल और कॉलेज, अपने बड़े-बुजुर्ग तथा अध्यापक, अपने गांव-शहर-समाज- देश के साथ हमेशा लगाव बनाए रखना और उनके लिए कुछ न कुछ योगदान देने की भावना से कार्य करना भी आपके जीवन को सहज और सार्थक बनाएगा।

प्यारे विद्यार्थियो,

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि आपके विश्वविद्यालय द्वारा जल- संसाधन सहित, पर्यावरण के अध्ययन को प्राथमिकता दी जा रही है। भारत के कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस क्षेत्र में कृषि से जुड़े गंभीर अध्ययन यहां किए जा रहे हैं। पंजाब से विदेश जाने वाले लोगों की संख्या यहां की कुल जनसंख्या की दृष्टि से अधिक रही है। यहां के उद्यमी लोगों ने देश-विदेश में भारत का गौरव बढ़ाया है। साथ ही, विदेश जाने के प्रति आग्रह को लेकर कुछ सामाजिक चुनौतियां भी प्रस्तुत होती हैं। इस विश्वविद्यालय में Diaspora और Migration विषयों पर विशेष अध्ययन को प्राथमिकता देने की मैं सराहना करती हूं। आप सब के शिक्षण और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने तथा प्रासंगिक बनाने के प्रयासों के लिए मैं इस विश्वविद्यालय के Chancellor, Vice-Chancellor, faculty members तथा उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।

मुझे विश्वास है कि देश के विकास को समग्र योगदान देते हुए आप सभी युवा विद्यार्थी वर्ष 2047 के विकसित भारत का निर्माण भी करेंगे और उसे नेतृत्व भी प्रदान करेंगे। मैं आप सबके स्वर्णिम भविष्य की मंगल कामना करती हूं।

धन्यवाद

जय हिन्द!

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