भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का Network 18 द्वारा आयोजित Rising India - She Shakti कार्यक्रम में संबोधन (HINDI)

नई दिल्ली : 11.08.2023
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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का Network 18 द्वारा आयोजित Rising India - She Shakti कार्यक्रम में संबोधन (HINDI)

महिलाओं की उपलब्धियों को मान्यता देने, सम्मानित करने और उसका उत्सव मनाने के इस कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। मैं इस कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के अथक प्रयासों की प्रशंसा करती हूं। मैं इस आयोजन में भाग लेने वाली women achievers की सराहना करती हूँ, जिन्होंने यहाँ अपनी जीवन-कथा लोगों के साथ साझा की है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न विषयों पर अलग-अलग सत्र आयोजित हुए हैं। इस समारोह को आपने Technology से लेकर defence, वनवासियों की उपलब्धियों से लेकर entrepreneurship तक, हर क्षेत्र में महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा का मंच बनाया है।

मुझे बताया गया है कि आज के सत्रों में अनेक सफल महिलाओं ने अपने अनुभव और विचार साझा किए हैं। यहाँ पर आशा दीदी और भारत की missile woman डॉक्टर Tessy Thomas से लेकर कबिता सिंह, बुधरी ताती और पुनीता अरोड़ा जैसी हस्तियों की उपस्थिति महत्वपूर्ण है।

आप सभी ने एक सामान्य सी शुरूआत करके, अपने लगन और परिश्रम के बल पर बड़े मुकाम हासिल किये हैं। आप सभी को बहुत-बहुत बधाई! मुझे पूरा विश्वास है कि आपके अनुभव से उन लाखों लोगों को प्रेरणा मिलेगी, जो विभिन्न चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिये इस कार्यक्रम से जुड़े हैं और आपके बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।

देवियों और सज्जनों,

आज जब हमारा देश ‘अमृत काल’ में प्रवेश कर चुका है, तब इस कार्यक्रम का आयोजन अत्यंत प्रासंगिक है। हमने भारत को निकट भविष्य में ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन क्या हमारी आधी आबादी के योगदान के बिना यह संभव है? यह प्रमाणित तथ्य है कि विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की विकास-यात्रा में वहां के सभी वर्गों, सभी क्षेत्रों की भागीदारी रही है।

कुछ राज्यों की workforce में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है लेकिन बहुत से राज्य ऐसे भी हैं जहां उनकी संख्या काफी कम है। मैंने पहले भी कहा है कि स्त्री और पुरुष एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं। अगर एक पहिया ठीक से नही चलेगा, तो गाड़ी भी ठीक से नहीं चल पाएगी। शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं, शिव और शक्ति एक-दूसरे के पूरक हैं। हमारे सभी धर्म ग्रंथों और साहित्य में नारी की महिमा सदियों से रेखांकित की जा रही है। विकसित भारत के लक्ष्य को शीघ्रता से हासिल करने में हमारी बहनों और बेटियों का योगदान होना अनिवार्य है।

पिछले एक वर्ष के दौरान, देश भर में, अनेक बेटियों और बहनों से मैं मिली हूं और अपने अनुभव से यह कह सकती हूं कि उनमें जीवन में आगे बढ़ने और देश तथा समाज के लिए कुछ कर गुजरने की असीम ललक है। जरूरत है, बस उनकी क्षमता और योग्यता पर भरोसा करने की। मुझे पूरा विश्वास है कि ‘अमृत काल’ में नारी शक्ति के योगदान के बल पर भारत विकसित देशों के समूह में अपना अग्रणी स्थान बना सकेगा।

देवियों और सज्जनों,

महिला शक्ति के बिना एक स्वस्थ, सशक्त और विकसित समाज की परिकल्पना संभव ही नहीं है। हम धरती और भारतभूमि को माता के रूप में संबोधित करते हैं। विद्या, धन और बल के लिए हम मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां दुर्गा की उपासना करते हैं।

प्राचीन काल से आधुनिक भारत तक हमारा इतिहास महिलाओं के योगदान की गाथाओं से भरा हुआ है। गार्गी, मैत्रेयी, रोमशा और अपाला जैसी विदुषियों से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई होलकर, रानी वेलु नचियार और रानी चेनम्मा जैसी वीरांगनाओं के योगदान के उल्लेख के बिना हमारा इतिहास अधूरा है।

विश्व के अनेक विकसित देशों ने महिलाओं को voting rights देने में बहुत लम्बा समय लगाया था, जबकि हमारे संविधान निर्माताओं ने universal voting rights को शुरू से ही लागू कर दिया। दुनिया भर के लिए यह आश्चर्य की बात थी, लेकिन महिलाओं को बराबरी का अधिकार और सम्मान देना तो भारतीयता का मूल-भाव रहा है। भारत में मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति इन सभी महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं विश्व के कई विकसित देशों की तुलना में पहले से ही आसीन रही हैं।

नारी का सम्मान हमारी संस्कृति का आधार रहा है। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः’, यह हमारा सूत्र वाक्य रहा है। नारी के गौरव में आस्था रखने वाली हमारी परंपरा में अनेक साक्ष्य मिलते हैं कि जब-जब नारी का अपमान हुआ है तब-तब पूरे समाज ने एकजुट होकर ऐसे कुकृत्य की भर्त्सना की है और अपराधियों को दंडित किया गया है। आज भी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं जो नारी-सम्मान के हमारे सनातन मूल्य के सर्वथा विरुद्ध हैं। मुझे विश्वास है कि नारी के प्रति आदर-भाव से युक्त हमारी व्यवस्था में निहित न्याय की शक्ति के बल पर नारी-शक्ति सदैव आगे बढ़ती रहेगी।

बेटियों और बहनों को सम्मान तथा उचित अवसर देना हमारी परंपरा है और हमारा दायित्व भी। समाज को ‘पढ़ो और बढ़ो’ की सोच के साथ बेटियों का साथ देना चाहिए। सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाली हमारी बेटियाँ अपनी इच्छा- शक्ति और कठिन परिश्रम के बल पर glass ceilings को तोड़ते हुए खेल, संगीत, कला, विज्ञान और रक्षा जैसे सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। यह समारोह भी इस तथ्य का एक स्पष्ट प्रमाण है कि हम women led development के युग में प्रवेश कर चुके हैं। पूरे समाज का सकारात्मक सहयोग मिलने पर नारी-शक्ति के नेतृत्व में हो रही विकास की यह यात्रा और अधिक तेजी से आगे बढ़ेगी।

सरकार, महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। लेकिन, एक समाज के रूप में हम सबको भी बेटियों और बहनों को सबल बनाने में अपना योगदान देना चाहिए। हम सबको मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाना है, जहां सभी महिलाएं सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में पूरी तरह से भाग ले सकें और अपना भरपूर योगदान दे सकें।

मीडिया, हमारी समाज व्यवस्था का अहम हिस्सा है और लोकतंत्र का एक प्रमुख स्तम्भ है। इस नाते, मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। मीडिया का काम समाचार प्रसारित करना ही नहीं है, लोगों को शिक्षित करना और सकारात्मक दिशा में ले जाना भी है। मुझे खुशी है कि Network 18 ने इस दिशा में यह खास पहल की है। अपने-अपने क्षेत्र में सफल महिलाओं को ऐसा मंच प्रदान करने और उन्हें सम्मानित करने के लिए आयोजित यह समारोह प्रशंसनीय है। मुझे विश्वास है कि इस समारोह से प्रेरणा प्राप्त करके अन्य संस्थान भी आगे आयेंगे और महिला सशक्तीकरण के हित में ऐसे आयोजन करेंगे।

धन्यवाद, 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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