भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का लखपति दीदी सम्मेलन में सम्बोधन(HINDI)

जैसलमर : 23.12.2023
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गौरवमय परम्पराओं की भूमि राजस्थान में आकर मुझे अत्यन्त हर्ष का अनुभव हो रहा है। राजस्थान वीरता की परंपरा के साथ ही अपनी इंद्रधनुषी संस्कृति, अध्यात्म, खान-पान, वेश-भूषा, लोक-संगीत और नाटक, स्थानीय चित्रकला आदि के लिए भी प्रसिद्ध है। राजस्थानवासी ‘पधारो म्हारे देस’ की भावना से अतिथि-सत्कार के लिए जाने जाते हैं। इस राज्य ने शांति, सद्भाव और भक्ति के अनेक आदर्श प्रस्तुत किए हैं जिसमें गरीब-नवाज़ ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, मीरा बाई और पन्ना धाय जैसे महान उदाहरण हैं। इस धरती को मैं नमन करती हूं। 
स्वयं सहायता समूहों द्वारा किये जाने वाले कार्य समाज के वंचित एवं पिछड़े वर्गों, खासकर महिलाओं को, आश्रित होने की स्थिति से निकालकर स्वालम्बी बनाने में प्रभावी योगदान दे रहे हैं। इसलिए इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है।    
देशवासियों का प्रण है कि भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में आजादी की शताब्दी मनाये। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए हमारा आत्मनिर्भर होना अत्यंत आवश्यक है। लेकिन यह तभी संभव है जब देश की प्रत्येक महिला सबला हो, आत्मनिर्भर हो और सशक्त हो। राजस्थान की महिलाओं ने हमेशा अपनी कर्मठता से न केवल अपने परिवारों में, बल्कि यहां के आर्थिक प्रगति में भी अमूल्य योगदान दिया है।  
इसी बात को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार ने देश में 2 करोड़ 'लखपति दीदी' बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके अंतर्गत राजस्थान में 11 लाख से अधिक ‘लखपति दीदी’ बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। यह बहुत ही खुशी की बात है कि ‘राजीविका’, जिसका उद्देश्य राज्य की ग्रामीण महिलाओं का आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण है, के द्वारा लगभग तीन लाख महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ की श्रेणी में लाया जा चुका है। इस संदर्भ में मैं रूमा देवी का उल्लेख करना चाहूँगी जो एक ग्रामीण परिवार से ही आती है और राजीविका की Brand Ambassador बन चुकी है। उन्होंने Self Help Groups के माध्यम से अनेक महिलाओं की आगे बढ़ने और स्वावलम्बी बनने में मदद की है। वह अपनी प्रतिभा के बल पर देश का नाम दुनिया में रोशन कर रही है।

देवियो और सज्जनो,

महिला सशक्तीकरण अपने आप में महत्वपूर्ण है। महिला सशक्तीकरण और महिलाओं की work-force में समान भागीदारी, सामाजिक और आर्थिक प्रगति में भी अहम योगदान देती है। कोई भी देश अपनी 50 प्रतिशत आबादी की उपेक्षा करके आगे नहीं बढ़ सकता। महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन एवं आकलन यह रेखांकित करते हैं कि अगर work-force में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर हो, तो भारत की जीडीपी में बहुत अधिक वृद्धि हो सकती है।  
हाल ही में, राष्ट्रपति भवन में, ‘Her Story My Story’ कार्यक्रम में बात करते हुए सुप्रसिद्ध समाज-सेविका सुधा मूर्ति जी ने बताया था कि कैसे सामाजिक विरोध के बावजूद, उन्होंने engineering में अपना करियर बनाया। भारत का इतिहास ऐसे असंख्य उदाहरणों से भरा हुआ है, जहां महिलाओं ने समाज के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। चाहे वैदिक काल में गार्गी हों, मैत्रेयी हों, या मध्य कालीन भारत में भक्ति काव्य धारा को प्रवाहित करने वाली महान महिला विभूतियाँ हों अथवा आधुनिक युग में साबित्री बाई फुले और रानी गाइडिनल्यू हो, भारत की संस्कृति और समाज में महिलाएं बराबर की भागीदार रही हैं।  
आज देश की महिलाएं इस परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। मुझे खुशी है कि इस राज्य की गुलाबो सपेरा जो कालबेलिया नृत्य की प्रसिद्ध कलाकार है, उषा चौमार जो समाज सेविका है और Rifle Shooter अवनि लेखरा जो Paralympics में Gold Medal भी ला चुकी है, उन सभी को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। 
मैं आज इला भट्ट जी का भी जिक्र करना चाहूंगी जिन्होंने (Self Employed Women Association) SEWA की स्थापना की। आज SEWA के 20 लाख से अधिक सदस्य हैं। इला जी ने महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने और भेदभाव को मिटाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।   
मुझे बताया गया है कि गैर सरकारी संस्था सृजन की मदद से राजस्थान के पाली जिले में custard apple के खरीद, प्रसंस्करण और विपणन के लिए 'घूमर महिला प्रोड्यूसर' नामक समूह कार्यरत है। कई गांवों में इस समूह के collection centres हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि अनेक महिलाओं को ‘घूमर’ में रोजगार प्राप्त हो रहा है। इस उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि value addition हमेशा जटिल नहीं होता है, तथा सरल तकनीक के प्रयोग से भी पर्याप्त लाभ संभव हो सकता है। 

देवियो और सज्जनो,

महिलाओं को अधिक आर्थिक स्वायत्तता, व्यक्तिगत स्वतन्त्रता और राजनीतिक शक्ति प्राप्त हो, इस दिशा में भारत सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार ने work-force में महिलाओं की भागीदारी और उनके रोजगार की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। श्रम कानूनों में कई सुरक्षात्मक और सहायक प्रावधान शामिल किए गए हैं। सरकार ने ऐसी कई योजनाएं शुरू की हैं जो महिलाओं के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में सहायक साबित हुई हैं। Working Women Hostel Scheme काम-काजी महिलाओं को सुरक्षित और सुविधाजनक आवास प्रदान करने के उद्देश्य से कार्यान्वित की गई है। वर्ष 2015 में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान शुरू हुआ है, जिसका उद्देश्य Child Sex Ratio में गिरावट से संबंधित मुद्दों का समाधान करना है। हमें सुनिश्चित करना है कि देश का प्रत्येक नागरिक आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो। इसके लिए आवश्यक है कि gender gap की खाई को जल्दी से जल्दी भरा जाये।    
सरकार ने न केवल महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कई कदम उठाये हैं, बल्कि राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पारित किया गया है जिसमें महिलाओं के लिए लोकसभा और विधान सभाओं में एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है।  
लेकिन अभी महिला सशक्तीकरण की यात्रा में बहुत आगे जाना है। आज भी सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में gender के आधार पर प्राथमिकता जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। महिलाओं को ownership and property rights के लिए संघर्ष करना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें credit या loan मिलने में कठिनाई होती है। वैश्विक महामारी कोविड-19 जैसी आपदाओं का कुप्रभाव महिलाओं पर अधिक पड़ता है तथा महिला-पुरुष असमानता की खाई और बढ़ जाती है। 

देवियो और सज्जनो,

महिलाएं आर्थिक विकास को गति प्रदान करें तथा women-led development की सोच को कार्यरूप दें, यह सबकी ज़िम्मेदारी है। जागरूकता, शिक्षा और कौशल विकास को आधार बनाकर हमें आगे बढ़ना होगा, जिससे महिला और पुरुष दोनों ही आर्थिक प्रगति करते हुए देश, समाज और विश्व-कल्याण में बराबर के साझीदार बनें।   
मुझे विश्वास है कि इस लखपति दीदी सम्मेलन से महिला सशक्तीकरण और समावेशी आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। मैं कामना करती हूं कि सभी बहनें आर्थिक रूप से समृद्ध और सामाजिक रूप से सशक्त होते हुए, राजस्थान और भारत की प्रगति में अपना योगदान देती रहें।  

 

धन्यवाद, 
जय हिन्द! 
जय भारत! 
 

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