भारत की राष्‍ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का लद्दाख में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में संबोधन (HINDI)

लेह : 01.11.2023
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सिंधु घाट पर स्थित इस उत्सव स्थल पर आकर और लद्दाख के स्नेही लोगों से मिलकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। आप सभी के स्वभाव की मिठास यहां की प्राकृतिक सुंदरता पर चार चांद लगाती है। आप सब के उत्साह और स्नेह भरे स्वागत के लिए मैं लद्दाख के सभी निवासियों को बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं। इस समारोह के आयोजन के लिए मैं लेफ्टिनेंट गवर्नर डॉक्टर बी. डी. मिश्र जी तथा उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं।

सिंधु नदी, जिसे दरिया सिंध भी कहते हैं, सभी भारतवासियों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना की गहराई में विद्यमान है। इसीलिए वर्ष 1997 में, यहां हर साल Sindhu Darshan Festival आयोजित करने की परंपरा शुरू की गई। सिंधु नदी की धाराएं, पवित्र कैलाश पर्वत का आशीर्वाद लेकर यहां आती हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि सिंधु-दर्शन का उत्सव बड़े उत्साह के साथ यहां मनाया जाता है।

यहां की सभी नदियों और ग्लेशियर से उपलब्ध जल-संसाधनों का संरक्षण और उनका समुचित उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। लद्दाखी Glacier Man के नाम से प्रसिद्ध श्री छेवांग नोरफेल जी ने artificial glacier की technology को विकसित करके यहां के लोगों, विशेषकर किसानों को, बहुत सहायता पहुंचाई है। उनके योगदान के महत्त्व को रेखांकित करते हुए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि पिछले लगभग चार वर्षों के दौरान ‘जल जीवन मिशन’ की सहायता से हुई प्रगति के कारण 80 प्रतिशत से अधिक घरों में पीने का साफ पानी उपलब्ध होने लगा है। सभी देशवासियों के हृदय में आप सबके लिए विशेष स्नेह और आदर का भाव है। वे जानते हैं कि शूर-वीरों की भूमि लद्दाख के सामान्य नागरिकों ने भी सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की रक्षा में सदैव अपना योगदान दिया है।

Ladakh Scouts Regiment के गौरवशाली इतिहास पर सभी देशवासी गर्व का अनुभव करते हैं। लद्दाख की धरती पर जन्म लेने वाले बहादुर योद्धाओं की सूची बहुत लंबी है और उन सब की वीरता को मैं नमन करती हूं। वर्ष 1948 और वर्ष 1971 में हुए युद्धों में अद्भुत पराक्रम का प्रदर्शन करने वाले, दो बार महावीर चक्र से सम्मानित किए गए कर्नल छेवांग रिंगचेन का नाम देश के वीरों की सूची में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। कारगिल के युद्ध में अपनी असाधारण वीरता से भारत-माता की रक्षा में योगदान देने वाले कर्नल सोनम वांगचुक को भी महावीर चक्र से अलंकृत किया गया है।

इस क्षेत्र के लोग, युद्ध में वीरता और बुद्ध में आस्था, दोनों के लिए जाने जाते हैं। भगवान बुद्ध का अमर और जीवन्त संदेश लद्दाख के जरिए दूर-सुदूर देशों में प्रसारित हुआ। जैसा कि सभी जानते हैं लेह का यह क्षेत्र बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र है। इसी तरह कारगिल के सूफी संतों और महापुरुषों ने भारत की आध्यात्मिक परंपरा को मजबूत बनाया है।

लद्दाख को अपने बहु-आयामी योगदान से समृद्ध करने वाले श्री कुशोक ठिक्से रिन्पोछे जी ने आध्यात्मिक शिक्षा, सामान्य शिक्षा एवं जनसेवा के क्षेत्रों में अमूल्य योगदान दिया है। इस वर्ष राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित करने का अवसर मुझे मिला।

लद्दाख में Mahabodhi International Meditation Centre द्वारा जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य किया जा रहा है। जन-कल्याण के ऐसे कार्यों की मैं सराहना करती हूं।

देवियो और सज्जनो,

लद्दाख में spiritual tourism, adventure tourism और eco-tourism के विकास की अनंत संभावनाएं हैं। कारगिल, सुरू, नुबरा, लेह, जंस्कर और द्रास सहित सभी क्षेत्र इतने सुंदर हैं कि उनका वर्णन करने के लिए विशेष प्रतिभा चाहिए। लेकिन यहां की सुंदरता का आनंद सभी को आकर्षित करता है। वर्ष 2020 में पद्मश्री से सम्मानित श्री चेवांग मोटुप गोबा जी ने लद्दाख में Adventure Sports के विकास को नई ऊर्जा दी है। वे पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी बहुत सचेत रहते हैं। उनके उदाहरण से अनेक युवा उद्यमी प्रेरणा ले सकते हैं।

लद्दाख में wellness tourism या health tourism के विकास की भी प्रचुर संभावना है। सोवा-रिगपा यानी आमची चिकित्सा पद्धति के प्रति लोगों में बड़े पैमाने पर रुझान दिखाई देता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ-साथ ऐसी प्राचीन, परन्तु वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणालियों को प्रोत्साहित करना holistic healthcare के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

Ladakh Institute of Prevention के संस्थापक डॉक्टर छेरिंग नोरबू ने बीमारियों की रोक-थाम, चिकित्सा, जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े अनुसंधान के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है। उन्हें वर्ष 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

आधुनिक चिकित्सा पद्धति के संदर्भ में लेह लद्दाख की पहली Gynecologist डॉक्टर छेरिंग लंडोल जी का मैं उल्लेख करूंगी। वर्ष 2020 में पद्म-भूषण से सम्मानित, डॉक्टर लंडोल ने लगभग 45 वर्षों से महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल में अग्रणी योगदान दिया है। मैं आशा करती हूं कि डॉक्टर लंडोल जैसी महिलाओं से प्रेरणा प्राप्त करके लद्दाख की बेटियां विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान बनाएंगी।

लद्दाख में अनेक जनजातीय समुदायों यानी tribal communities की समृद्ध परंपराएं जीवंत हैं, यह प्रसन्नता की बात है। हम सब जानते हैं कि जनजातीय समुदायों की जीवन-शैली में, उनकी कलाओं में, नृत्य और गीतों में, प्रकृति के प्रति स्नेह, संरक्षण और सम्मान तथा प्राकृतिक सुंदरता के प्रति उल्लास दिखाई देता है। हम सब का यह प्रयास होना चाहिए कि Life-style for the Environment के अनुरूप जनजातीय समुदायों की ऐसी जीवन-शैली संरक्षित रहे। साथ-साथ उन समुदायों के लोग आधुनिक विकास की अच्छाइयों को भी अपनाएं। परंपरा और आधुनिकता का यह संगम ही लद्दाख सहित, सभी देशवासियों के लिए sustainable development का सही रास्ता सिद्ध होगा।

देवियो और सज्जनो,

लद्दाख की खुबानी, Raktsey Karpo Apricot को GI Tag प्रदान किया गया है। लद्दाख की पशमीना ऊन को GI Tag प्राप्त हुआ है। लद्दाख की wood carving को भी GI Tag प्रदान किया गया है। वर्ष 2022 में पद्मश्री से सम्मानित श्री सेरिंग नामग्याल जैसे शिल्पकारों की कई पीढ़ियों ने यहां की wood carving को आगे बढ़ाया है। ऐसे शिल्पकारों की मैं सराहना करती हूं। असाधारण योगदान देने वाले लद्दाख के लोगों में कारगिल जिले के श्री छुलटिम छोन्जोर जी का मैं उल्लेख करना चाहूंगी। परोपकार और मानव कल्याण के लिए निरंतर कार्य करने के जो आदर्श उन्होंने स्थापित किए हैं उनसे सबको प्रेरणा लेनी चाहिए। इसी तरह कारगिल में खुबानी की खेती को बढ़ावा देते हुए श्री अखोन असगर अली ‘बशारत’ जी ने उर्दू और बाल्टी भाषाओं के साहित्य को समृद्ध किया है। उन्हें वर्ष 2022 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

इस नागरिक अभिनंदन में, कारगिल और लेह जिलों के पुरस्कृत नागरिकों का उल्लेख मैंने मुख्यतः इसलिए किया है कि, उनसे प्रेरणा लेकर, लद्दाख के सभी नागरिक अपने-अपने क्षेत्रों में योगदान देते रहेंगे तो लद्दाख का समग्र विकास होता रहेगा।

मैं एक बार फिर आप सब को इस अभिनंदन समारोह के आयोजन के लिए धन्यवाद देती हूं। मेरी शुभकामना है कि जिस तरह यहां की भौगोलिक ऊंचाई विश्व के सबसे ऊंचे स्थानों में शामिल है उसी तरह लद्दाख के सभी निवासी तरक्की के ऊंचे मुकाम हासिल करें। लद्दाख प्रगति के शिखर पर पहुंचे, इसी शुभकामना के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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