भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का कोटि दीपोत्सवम् 2024 कार्यक्रम में सम्बोधन
हैदराबाद : 21.11.2024
आज इस आध्यात्मिक कार्यक्रम में उपस्थित होकर मुझे आनंद का अनुभव हो रहा है। यह प्रसन्नता की बात है कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस कोटि दीपोत्सवम् में भाग लेने के लिए आए हैं।
हमारे देश में किसी बड़े कार्य का शुभारम्भ अक्सर दिया जलाकर किया जाता है। दीप प्रज्वलन सभी को अन्धकार से प्रकाश की ओर तथा अज्ञान से ज्ञान की ओर बढ़ने का सन्देश देता है। कुछ ही दिन पहले कार्तिक अमावस्या के दिन देशवासियों ने दीपावली का त्यौहार मनाया। दीपावली की रात को सभी लोग अपने घरों में, मंदिरों में दिए जलाते हैं। कार्तिक दीपम् की परंपरा बहुत प्राचीन समय से चली आ रही है। कार्तिक दीपम् के त्यौहार में भगवान शिव की आराधना की जाती है। यह पवित्र परंपरा शक्ति और ज्ञान के संचार की परंपरा है। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।
यह पावन दीपोत्सवम् हम समृद्ध तेलुगु कला संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत की भूमि पर मना रहे हैं, यह और भी ख़ुशी की बात है। तेलुगु संस्कृति की इस दीप प्रज्वलन परंपरा के द्वारा बड़ी संख्या में दीपों के
जगमगाने से पूरा वातावरण अलौकिक और प्रकाशमय हो जाता है। इससे सभी के हृदय में नई आशा और उत्साह का भी संचार होता है। एक साथ बहुत से दिए जलाने से एकता और समरसता की भावना भी प्रकाशित होती है। मुझे बताया गया है कि 18 दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में हर दिन अलग-अलग पूजा की जाती है जैसे कि आज यादाद्रि कल्याणम् और जगन्नाथ पुरी की पूजा यहां पर की गई। देशवासियों को आध्यात्मिक कार्यक्रम के द्वारा एक दूसरे से जोड़ने का यह प्रयास सराहनीय है।
आज हमारा देश सम्पूर्ण और समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। इस लक्ष्य को पाने के लिए सभी देशवासियों को एक साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा और विकसित भारत के निर्माण में योगदान देना होगा। मुझे विश्वास है कि आधुनिकता को अपनाने के साथ-साथ अपनी गौरवशाली संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के माध्यम से हम विकास के लक्ष्यों को शीघ्र प्राप्त कर पाएंगे।
आईए, आज हम सब मिलकर अपने मन में संकल्प का दीप जलायें। यह संकल्प है - देश को निरंतर विकास के मार्ग पर बढाने का, यह संकल्प है - सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने का, और यह संकल्प है – जन-कल्याण और वंचितों के लिए कार्य करने का।
अंत में, सभी आयोजकों को इस आध्यात्मिक कार्यक्रम को सम्पन्न करने के लिए मैं बधाई देती हूं और सभी के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!