भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन (HINDI)

फरीदाबाद : 21.08.2024
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भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन (HINDI)

 

आज जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं बधाई देती हूं। स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की मैं विशेष रूप से सराहना करती हूं। विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने और उनकी सफलता में निरंतर योगदान देने के लिए मैं सभी प्राध्यापकों, माता-पिता और अभिभावकों को भी बधाई देती हूं।

‘दीक्षांत समारोह’ का दिन हर विद्यार्थी के जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस दिन आपको, आपके कई वर्षों के परिश्रम का फल प्राप्त होता है और आप अपने career के नये चरण में प्रवेश करते हैं। आज पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वाले 13 शोधार्थियों में आठ 8 छात्राएं हैं। यह हर्ष की बात है कि उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में हमारी बेटियां आगे बढ़ रही हैं। मुझे बताया गया है कि आज उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी लगभग 43 प्रतिशत बेटियां हैं। मैं चाहूंगी कि यह अनुपात और भी बेहतर हो।

देवियो और सज्जनो,

मुझे खुशी है कि पिछले पाँच दशकों से भी अधिक समय से यह संस्थान युवाओं को कुशल और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस संस्थान के पूर्व विद्यार्थियों की एक प्रभावशाली सूची है जो देश- विदेश में कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय के Alumni Association में दस हजार से अधिक सदस्य हैं जो इस संस्थान के विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता एवं परामर्श प्रदान करके आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं। यहां पर स्थित विश्वकर्मा भवन और Business Incubation Centre की स्थापना में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मेरा सुझाव है कि Alumni Association के योगदान को और अधिक मजबूत एवं प्रभावशाली बनाने के लिए कदम उठाए जाएं।

प्रिय विद्यार्थियो,

इस विश्वविद्यालय का नाम महान वैज्ञानिक एवं आधुनिक विज्ञान के अग्रदूत जगदीश चन्द्र बोस के नाम पर है। J.C. Bose का नाम सुनते ही हर भारतीय को गर्व की अनुभूति होती है। संभवत: वे विश्व के पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने यह scientific तरीके से प्रमाणित किया कि पेड़-पौधों में भी feelings होती है। उनके इस क्रांतिकारी खोज ने वनस्पति जगत को देखने के हमारे नजरिए को बदल दिया। उन्होंने ‘radio science’ के क्षेत्र में अध्ययन और महत्वपूर्ण अनुसंधान भी किए। उनके जीवन और कार्यों से, आप technology के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा ले सकते हैं।

देवियो और सज्जनो,

हरियाणा हरित क्रांति का प्रदेश है। इस राज्य ने देश की खाद्यान आत्मनिर्भरता में अहम भूमिका निभाई है। आज पूरी दुनिया Fourth Industrial Revolution के दौर में है। भारत भी इस क्रांति की चुनौतियों का सामना करने और इससे पैदा हो रहे अवसरों का लाभ उठाने के लिए तत्पर है। इस राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति में जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। यह संस्थान हरियाणा में research और innovation में अग्रणी भूमिका निभाते हुए अन्य संस्थाओं को राह दिखा सकता है।

मुझे बताया गया है कि इस संस्थान में उन्नत शोध सुविधाएं उपलब्ध की जा रही है। युवा शोधार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए J.C. Bose Young Scientist Award की शुरुआत की गई है। शोध के लिए seed money भी दी जा रही है। यह खुशी की बात है कि अनुसंधान गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के सकारात्मक परिणाम भी आ रहे हैं। जैसे पिछले दो वर्षों में यहां के संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं के करीब 25 patents पंजीकृत हुए हैं।

मुझे बताया गया है कि विगत कुछ वर्षों में इस विश्वविद्यालय ने अनेक औद्योगिक और अकादमिक संस्थानों के साथ सहयोग समझौते किए हैं। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भी विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने के लिए यहां पर Centre of Excellence स्थापित किए हैं। मैं आशा करती हूं कि इन सभी प्रयासों के सकारात्मक परिणाम आ रहे होंगे।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी अनुसंधान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। शोध की मानसिकता को मजबूत करने के लिए सभी उच्चतर शिक्षण संस्थाओं में holistic education, under- graduate courses में research और internship के समावेशन आदि पर बल दिया गया है। देश में गुणवत्तायुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए इस नीति के तहत एक राष्ट्रीय अनुसंधान फ़ाउंडेशन की स्थापना भी की गई है। यह प्रसन्नता का विषय है कि इस विश्वविद्यालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया है और उसके लक्ष्यों के अनुरूप यहां शिक्षा प्रदान की जा रही है।

आज technology के विकास से उन्नति के कई मार्ग खुले हैं। जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों में internet पहुँचने से online रोजगार के अनेक अवसर पैदा हुए हैं। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि technology का उपयोग समुचित एवं सतत विकास और जनहित के लिए हो। इसका गलत प्रयोग विनाशकारी हो सकता है।

प्रिय विद्यार्थियो,

वर्ष 2047 में जब हमारा देश आजादी की शताब्दी मनाएगा तब आप विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी नेतृत्व प्रदान कर रहे होंगे। भारत की समृद्ध विरासत हमें सदैव गौरवान्वित करती है। आप सभी इस समृद्ध विरासत का हिस्सा हैं और इसका ध्वज-वाहक आपको ही बनना है। इसलिए अपनी क्षमता और योग्यता पर भरोसा करें और अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आत्म-विश्वास के साथ आगे बढ़ें। मुझे विश्वास है कि आप अपनी शिक्षा का सदुपयोग करके समाज और देश को बेहतर बनाने में अपना समुचित योगदान देंगे। आपके विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य है - ‘विद्या परम्भू षणम्’। मैं चाहूंगी कि आप लोग अपने संस्थान के ध्येय वाक्य को आत्मसात करते हुए सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुंचे और इस संस्थान को विश्व के अग्रणी संस्थानों में स्थान दिलाएं।

धन्यवाद,   
जय हिन्द!   
जय भारत!

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