भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का India Water Week - 2022 के उद्घाटन समारोह में सम्बोधन (HINDI)
नोएडा : 01.11.2022
आज मुझे 7th India Water Weekका उद्घाटन करके हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। मुझे खुशी है कि पांच दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में देश-विदेश से आए विशेषज्ञ,जल जैसे समसामयिक मुद्दे पर चर्चा करेंगे और इसके संरक्षण के उपाय सुझाएंगे। मैं इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए जल शक्ति मंत्री, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत जी, उनके सहयोगियों और उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना करती हूं।
जल के बिना किसी भी जीवन की कल्पना असंभव है। भारतीय सभ्यता में तो जीवन में, और जीवन के बाद की यात्रा में, भी जल का महत्व है। आपलोगों में से, ज़्यादातर लोगों ने ऋषि भगीरथ द्वारा पवित्र गंगा को जमीन पर लाने का कारण सुना होगा। अपने पुरखों को मोक्ष दिलाने के लिए, उन्होंने तपस्या की और गंगा नदी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ। विज्ञान के इस युग में यह कहानी भले ही मिथक लगे, पर इसका सार है-जल का हमारे जीवन में महत्व। भारतीय सभ्यता में पानी को दैव रूप में जाना जाता है। ऋग्वेद में लिखा है:
या आपो दिव्या उत वा स्रवन्ति खनित्रिमा उत वा या: स्वयञ्जा:।
समुद्रार्था या: शुचय: पावकास्ता आपो देवीरिह मामवन्तु॥
अर्थात
जो जल अन्तरिक्ष से उत्पन्न होते हैं, नदी के रूप में बहते हैं, जो खोद कर निकाले जाते हैं, अथवा जो अपने आप उत्पन्न होकर सागर की ओर गति करते हैं, जो दीप्तियुक्त पवित्र करने वाले हैं, वे देवीरूप जल यहां हमारी रक्षा करें।
यही वजह है कि पानी के समस्त स्रोतों को पवित्र माना गया है। लगभग हर धार्मिक स्थल, नदी के तट पर स्थित है। ताल, तलैया और पोखरों का स्थान, समाज में पवित्रता का होता रहा है। पर वर्तमान समय पर, नजर डालें तो, कई बार स्थिति चिंताजनक लगती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण हमारे नदियों और जलाशयों की हालत क्षीण हो रही है, गांवों के पोखरे सूख रहे हैं, कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गयी हैं। कृषि और उद्योगों में जल का दोहन जरूरत से ज्यादा हो रहा है। धरती पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ने लगा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अतिवृष्टि आम बात हो गयी है।
इस तरह की परिस्थिति में पानी के management पर विचार-विमर्श करना बहुत ही सराहनीय कदम है। इसके कई पहलू हैं। मिसाल के तौर पर कृषि क्षेत्र में विविधता के साथ ऐसी फसलें उगाई जाएं जिनमें पानी की खपत कम हो।
गुजरात का सौराष्ट्र क्षेत्र अपने भौगोलिक स्थिति के कारण जल-अभाव क्षेत्र था। बीस-पच्चीस साल पहले महिलाओं द्वारा सिर पर घड़ा लेकर, पानी लाना एक आम दिनचर्या थी। शहरों मेंwater-tankers द्वारा पानी की supply होती थी। पानी माफिया का बोल-बाला था। आज यह सब इतिहास का विषय है।‘सौनी योजना’ वहां पानी केmanagement का उत्कृष्ट उदाहरण है। अन्य कई राज्यों ने भी इस तरह के सफल प्रयोग किए हैं।
देवियो और सज्जनो
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि, इसWater Week के दौरान जल से जुड़े विभिन्न विषयों परSeminar और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिनमेंन सिर्फ जल संरक्षण बल्कि पर्यावरण, कृषि और विकास से जुड़े अनेक पहलुओं पर भी चर्चा होगी। ये मुद्दे सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक हैं। जल का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि उपलब्ध fresh waterका बहुत बड़ा हिस्सा दो या अधिक देशों के बीच में, फैला हुआ है। यह संयुक्त जल संसाधन किसी भी देश द्वारा, दूसरे देश के खिलाफ, हथियार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, और अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष का रूप ले सकता है। इसलिए जल संरक्षण और प्रबंधन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी आवश्यक है। यह खुशी की बात है किDenmark, Finland, Germany, Israel औरEuropean Unionइस आयोजन में भाग ले रहे हैं। मुझे आशा है कि इस मंच परविचारों औरtechnologies के आदान-प्रदान से सभी को लाभ होगा।
देवियो और सज्जनो,
आने वाले वर्षों में बढ़ती हुई जनसंख्या को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराना बहुत बड़ी चुनौती होगी। पानी का मुद्दा बहुआयामी और जटिल है, जिसके समाधान के लिए सबके प्रयास की जरूरत है। ‘जल शक्ति’ मंत्रालय इस कार्य को लेकर संकल्पबद्ध है। भारत सरकार ने वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से जल पहुंचाना है। आपको यह जानकर खुशी होगी किजल जीवनमिशन के प्रारम्भ के समय, देश में जहां केवल3.23करोड़ ग्रामीण घरोंमें नल से जल की आपूर्ति होती थी,वहीं अब करीब10.43करोड़ घरों में नल से जल की आपूर्ति हो रही है।इस मिशन से गांव के लोगों को स्वच्छ पानी पीने के लिए मिल रहा है जिससे जल-जनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है। नल से घर-घर जल की आपूर्ति ने पानी की बरबादी को तो रोका ही है, साथ ही उसके दूषित होने की संभावना को भी, कम किया है। इस मिशन से हमारी बहनों-बेटियों को पानी के लिए समय और ऊर्जा नष्ट नहीं करनी पड़ रही है। महिलाएं अब इस ऊर्जा और समय को अन्य रचनात्मक कार्यों में लगा पा रही हैं।
पानी हमारे किसानों और कृषि के लिए भी एक प्रमुख संसाधन है। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में जल संसाधन का करीब 80 प्रतिशत भाग कृषि कार्यो में उपयोग किया जाता है। अत:सिंचाई में जल का समुचित उपयोग और प्रबंधन, जल संरक्षण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। वर्ष 2015 में शुरू की गई'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना' इस क्षेत्र में एक बड़ी पहल है। देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप,यह योजना "per drop more crop" सुनिश्चित करने के लिए सटीक-सिंचाई औरwater saving technologiesको अपनाने की भी परिकल्पना करती है। सरकार ने जल संरक्षण और जल संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए, ‘जल शक्ति अभियान’ शुरू किया है। जिसके अंतर्गत पारंपरिक और अन्य जल निकायों का नवीनीकरण, Bore-well काreuseऔरrecharge, watershed विकास और गहन वनरोपण द्वारा, जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
देवियो और सज्जनो,
आगामी दशकों में,भारत की शहरी आबादी के तेज गति से बढ़ने का अनुमान है। शहरीकरण के फलस्वरूपwater managementऔरwater governance systemकी आवश्यकता होगी। इसsystemसे जल का समान और सतत वितरण तथाrecycling जैसे कार्य प्रभावी रूप से हो सकेंगे। इन कार्यों को, पूरा करने मेंtechnology की अहम भूमिका होगी। इसलिए मेरीscientists, town planners औरinnovatorsसे अपील है कि वे इन कार्यों के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने का प्रयास करें।
अभी हमने दो जल-योद्धाओं अकली टुडू जी और हीराबेन जी से उनकी सफलता की कहानियां सुनी। जिस प्रकार अकली टुडू जी ने अपने क्षेत्र में तमाम बाधाओं को पार करते हुए, तालाबों का निर्माण किया, और कृषि तथा किसानों के जीवन को बदला है, वह प्रेरणादायक है। इसी प्रकार हीराबेन जी ने जल संरक्षण और उसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए उत्तम प्रयास किए हैं। इनके जैसे और भी असंख्य लोग हैं जो जल और पर्यावरण संरक्षण में सराहनीय योगदान दे रहे हैं।
हम सब जानते हैं कि जल सीमित है और इसका समुचित उपयोग औरrecyclingही इस संसाधन को लंबे समय तक बनाए रख सकता है। इसलिए हम सब का प्रयास होना चाहिए कि इस संसाधन का मितव्ययता के साथ उपभोग करें। इसके दुरुपयोग के प्रति खुद भी जागरूक रहें और लोगों को भी जागरूक बनाएं।
मुझे उम्मीद है कि इस 7th Water Week के दौरान विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा, वह इस पृथ्वी के और मानवता के कल्याण का रास्ता होगा। मैं आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से यह अपील करूंगी कि वे जल संरक्षण को अपने आचार-व्यवहार का हिस्सा बनाएं, क्योंकि ऐसा करके ही हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और सुरक्षित कल दे सकेंगे।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!