भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन(HINDI)
हिसार : 10.03.2025

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के इस दीक्षांत समारोह में आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। आज उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। आपकी यह उपलब्धि न केवल आपके लिए बल्कि आपके परिवार, आपके अध्यापकगण और इस विश्वविद्यालय के लिए भी गर्व का विषय है। मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई है कि आज Ph.D. की उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में बेटियों की संख्या 60 प्रतिशत से अधिक है। साथ ही पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी बेटियों की संख्या लगभग 75 प्रतिशत है। यह हम सबके लिए अत्यंत हर्ष और गौरव का विषय है। इस उपलब्धि के लिए मैं सभी बेटियों और उनके परिवारजनों तथा शिक्षकों की सराहना करती हूं। यह हरियाणा ही नहीं बल्कि हमारे देश के विकास और समाज में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का प्रमाण है।
देवियो और सज्जनो,
गुरु जम्भेश्वर जी जिनके सम्मान में इस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है, वे एक महान संत और दार्शनिक थे। वे वैज्ञानिक सोच, नैतिक जीवनशैली, और पर्यावरण संरक्षण के समर्थक थे। मैं उनकी स्मृति को सादर नमन करती हूं। उनका मानना था कि प्रकृति की रक्षा करना, सभी जीवों के प्रति करुणा और दया का भाव रखना तथा उन्हें संरक्षण प्रदान करना, मानव का नैतिक दायित्व है। आज जब हम पर्यावरण-संबंधी समस्याओं का समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं, तब गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाएं बहुत ही प्रासंगिक हैं। मुझे विश्वास है कि इस विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी, गुरु जम्भेश्वर जी द्वारा दिखाये हुए मार्ग पर चलते हुए समाज और देश की उन्नति में अपना योगदान देते रहेंगे।
देवियो और सज्जनो,
भारत को Global Knowledge Super Power के रूप में स्थापित करने में उच्च शिक्षण संस्थानों में किए गए विश्व-स्तरीय शोध अहम भूमिका निभाएंगे। पिछले सप्ताह राष्ट्रपति भवन में आयोजित Visitor’s Conference को संबोधित करते हुए, मैंने उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षण के साथ-साथ शोधकार्य पर भी बल देने का आग्रह किया था। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस विश्वविद्यालय की 30 वर्षों की यात्रा में, यहां के विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों ने विभिन्न शोध और अनुसंधान परियोजनाओं में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। यह सराहनीय है कि यहां पर Incubation, start- up, patent filing और research projects के लिए special departments बनाये गए हैं। मुझे विश्वास है कि ये सभी प्रयास यहां के विद्यार्थियों में innovation और entrepreneurship की भावना को विकसित करते हुए भारत को Global Knowledge Super Power के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होंगे।
बदलती global demands के अनुसार युवा पीढ़ी को तैयार करना उच्च शिक्षण संस्थानों के समक्ष चुनौती है। देश के संतुलित और सतत विकास के लिए यह भी आवश्यक है कि education और technology का लाभ गाँव-गाँव तक पहुंचे। इस संदर्भ में, गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। मुझे बताया है कि इस विश्वविद्यालय में छोटे शहरों और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों की संख्या अधिक है। मैं उन विद्यार्थियों से अपील करूंगी कि वे अपने गाँव और शहर के लोगों को शिक्षा के महत्व को बताएं, उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें।
शिक्षा प्रणाली में समय की मांग के अनुसार महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गई है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस विश्वविद्यालय के सभी कोर्स राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप हैं। मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप ग्रहण की गई शिक्षा, विद्यार्थियों में मौलिक सोच और रचनात्मक क्षमता को बढ़ावा देगी और रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराएगी।
प्यारे विद्यार्थियो,
आज के दिन आपके जीवन की नयी यात्रा शुरू हो रही है। इस यात्रा में चुनौतियां भी होंगी और अवसर भी होंगे। निरंतर सीखते हुए और अपने कौशल को बेहतर करते हुए आप चुनौतियों को अवसर में बदल सकते हैं। तेजी से बदलते हुए परिवेश में अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए आपको हमेशा नवीनतम तकनीकों और रुझानों से अवगत रहना होगा। साथ ही सदैव नैतिकता का पालन करना और अपनी जड़ों से जुड़े रहना विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत और धैर्य प्रदान करता है।
शिक्षा, केवल ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का साधन नहीं है। शिक्षा मनुष्य के भीतर नैतिकता, करुणा और सहिष्णुता जैसे जीवन-मूल्यों को विकसित करने का माध्यम भी है। शिक्षा, आपको रोजगार के योग्य बनाने के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक भी करती है।
उद्यमशीलता, सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने में आपके लिए सहायक हो सकती है। उद्यमशीलता की मानसिकता आपको अवसरों की पहचान करने, जोखिम उठाने और मौजूदा समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोजने में सक्षम बनाती है। एक उद्यमी के रूप में आप अपने नवीन विचारों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं का समाधान खोज सकते हैं और समाज की प्रगति में योगदान दे सकते हैं। मेरा आप सभी से आग्रह है कि आप रोजगार पाने की मानसिकता के बदले रोजगार उत्पन्न करने की मानसिकता के साथ आगे बढ़ें। इस प्रकार से आगे बढ़ते हुए आप अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग समाज के कल्याण में और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में, बेहतर तरीके से कर पाएंगे।
अंत में, मैं एक बार फिर उपाधि और पदक पाने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देती हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि आप अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग देश और समाज की उन्नति के लिए करेंगे। मैं इस विश्वविद्यालय से जुड़े सभी लोगों को शुभकामनाएं देती हूं और आशा करती हूं कि वे अपने प्रयासों के बल पर इस संस्थान को शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में शिखर पर ले जाएंगे।
धन्यवाद,
जय हिंद!
जय भारत!