भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु​ का गोवा विधान सभा में अभिभाषण (HINDI)

पोरवोरिम : 23.08.2023
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भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु​ का गोवा विधान सभा में अभिभाषण (HINDI)

आज मुझे लोकतन्त्र के इस मंदिर में आप सभी गणमान्य सदस्यों के बीच उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। आप सभी को इस महत्वपूर्ण संस्था का सदस्य होने की हार्दिक बधाई। आप उस जनता के प्रतिनिधि हैं जो भिन्न- भिन्न धर्म, आस्था और पंथ को मानते हुए भी एक गोवा और एक भारत में विश्वास रखते हैं।

भारत के साथ अभिन्नता का यह विश्वास गोवा-वासियों में सदैव विद्यमान रहा है। भारत की आज़ादी भी गोवा की मुक्ति के बिना अधूरी थी। इसी भावना से ओत-प्रोत होकर देशभर के लोगों ने गोवा मुक्ति अभियान में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। राजनैतिक कार्यकर्ताओं और सिविल सोसाइटी के लोगों ने गोवा की स्वतन्त्रता के लिए आंदोलन किया। गोवा के क्रांतिकारियों द्वारा आंदोलन के दौरान ‘तिरंगा’ और ‘जय हिन्द’ का प्रयोग भी इस बात का प्रमाण था विदेशी शासन से मुक्त होकर गोवा के लोग भारत के साथ एकीकृत होना चाह रहे थे। स्वतन्त्रता सेनानी, सिंधु देशपांडे के शब्दों में “Goa is geographically, historically and culturally a part of India and the freedom of India is not complete till Goa is liberated.” गोवा में राष्ट्रवाद के जनक, डॉ. टी.बी. कुन्हा से लेकर राममनोहर लोहिया, मधु लिमये, मोहन रानाडे और पुरुषोत्तम काकोडकर जैसे गोवा मुक्ति संघर्ष में भाग लेने वाले सभी सेनानियों की राष्ट्र-भक्ति अप्रतिम थी। मैं आज उन सभी महान विभूतियों को नमन करती हूँ। आपको उन आदर्शों पर चलना है जिनके लिए उन्होंने त्याग और बलिदान किया था।

1960 के दशक में विदेशी शासन से मुक्त होने के बाद गठित हुई गोवा विधान सभा के आगामी जनवरी में 60 वर्ष पूरे हो जाएंगे। वर्ष 1987 में गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा भी प्राप्त हुआ। आरंभ से ही, इस विधान सभा में वाद-विवाद-संवाद की स्वस्थ परंपरा रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि गोवा विधान सभा के सदस्य-गण गोवा के निवासियों की आशाओं और आकांक्षाओं को व्यक्त करने तथा उन्हें कार्यरूप देने के अच्छे उदाहरण प्रस्तुत करते रहेंगे।

इस सदन में आने पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व रक्षामंत्री, श्री मनोहर पर्रिकर जी का स्मरण स्वतः हो जाता है। उन्होंने अपने जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते हुए भी देश और राज्य की असाधारण सेवा की। उनका सरल व्यक्तित्व और जुझारूपन हम सब के लिए प्रेरणादायी है। मैं उनकी और इस विधान सभा के उन सभी हस्तियों की स्मृति को नमन करती हूँ जिनके योगदान के बल पर गोवा आज इस मुकाम पर पहुंचा है।

माननीय सदस्यगण,

गोवा पर्यटन के लिए देश और दुनिया भर में जाना जाता है। गोवा की multi-cultural और multi-faith society सभी को आकर्षित करती है। यहाँ पर बिना किसी धार्मिक भेद-भाव के मनाए जाने वाले festivals, और यहां के cuisines विश्व भर में विख्यात हैं।

प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ गोवा खनिज संसाधनों से भी सम्पन्न है। लोहा, मैग्नेशियम, मैगनीज, बॉक्साइट जैसे खनिज यहाँ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। तटीय राज्य होने के कारण इनका निर्यात भी सुगम है। यही कारण है कि पर्यटन के आय का प्रमुख साधन बनने से पहले, खनन ही इस राज्य के राजस्व का अहम स्रोत था। आज Mining के क्षेत्र में भी पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जा रही है। Sustainable Mineral Development के लिए आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण तीनों आयामों पर समान रूप से ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि गोवा pharmaceutical, bio-technology और IT सहित knowledge-based उद्योगों को बढ़ावा दे रहा है। उच्च साक्षरता दर और करीब 67 प्रतिशत working-age group की जनसंख्या वाला राज्य होने के नाते, गोवा इन उद्योगों के लिए उपयुक्त स्थान है। मुझे यह बताया गया है कि गोवा भारत का चौथा सबसे बड़ा pharma producer है और देश के कुल pharma export में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान देता है। यह उपलब्धि सराहनीय है।

माननीय सदस्यगण,

यह बहुत ही संतोष का विषय है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से इस राज्य ने अभूतपूर्व प्रगति की है। आज विकास के अनेक मानकों पर गोवा अग्रणी राज्यों में शामिल है। इस राज्य में प्रति-व्यक्ति जीडीपी राष्ट्रीय औसत से लगभग ढाई गुना अधिक है। Water management, export preparedness, innovation, education और health जैसे मानकों पर गोवा देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। लेकिन एक क्षेत्र जिसमें आपको चिंता करने की जरूरत है, वह है सार्वजनिक जीवन में और workforce में महिलाओं की भागीदारी। मैं देख सकती हूँ कि इस सदन में बहनों का प्रतिनिधित्व अत्यंत कम है। मुझे बताया गया है कि गोवा में कामकाजी महिलाओं का अनुपात अपेक्षाकृत कम है। यह गोवा जैसे उदारवादी समाज के लिए उचित स्थिति नहीं है। इस स्थिति को बदलने की दिशा में आप सब को प्रयास करना चाहिए।

माननीय सदस्यगण,

संसद और राज्य विधानमंडल वे पवित्र संस्थान हैं, जो लोगों की sovereignty का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहाँ पर जन-प्रतिनिधिगण जनहित के विषय पर चर्चा करते हैं और उस पर निर्णय लेते हैं। इसलिए सदन में सदस्यों की सार्थक और प्रभावी भागीदारी महत्वपूर्ण है। मुझे ज्ञात हुआ है कि पिछले कई वर्षों से इस सदन की कार्यवाही का विभिन्न माध्यमों से सीधा प्रसारण किया जाता है। इस प्रसारण के द्वारा आम लोग देखते हैं कि उनके प्रतिनिधि सदन में किस प्रकार व्यवहार कर रहे हैं और उनके हित से जुड़े मुद्दों को कैसे उठा रहे हैं। यह live streaming लोगों के साथ आपके संबंधों को सुदृढ़ करता है लेकिन आपके ऊपर अतिरिक्त ज़िम्मेदारी भी डालता है। सदन में आपका व्यवहार सभ्य हो, इसकी अपेक्षा की जाती है। यह हर्ष और संतोष का विषय है कि गोवा विधान सभा के सदस्यों ने सदन में हमेशा सद्भाव के वातावरण में - मतभेद हो, लेकिन मनभेद नहीं - की भावना के साथ कार्य किया है।

देवियो और सज्जनो,

वर्ष 2047 तक, हमें एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है, जो अपने गौरवशाली अतीत को आत्मसात किए हुए, आधुनिकता के हर सुनहरे पहलू को समाहित करे। हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है, जो आत्मनिर्भर हो और साथ ही अपने मानवीय दायित्वों को पूरा करने में सक्षम भी हो। एक ऐसा भारत जिसका युवा और नारी शक्ति समाज और राष्ट्र को दिशा देने में सबसे आगे रहे। एक ऐसा भारत जिसकी विविधता और भी जीवंत हो और जिसकी एकता और भी अटूट हो।

आज भारत के प्रति दुनिया का दृष्टिकोण बदल गया है। हम विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की और अग्रसर हैं। ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के मंत्र के साथ, भारत, जी-20 देशों के सहयोग से वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का सामूहिक समाधान खोजने का प्रयास कर रहा है। हमारे सामने भारत की क्षमता और संस्कृति को प्रदर्शित करने का उचित अवसर है। हमें इस अवसर का भरपूर लाभ उठाना है।

माननीय सदस्यगण,

देश के इतिहास के इस महत्वपूर्ण काल खंड में आपका यह प्रयास होना चाहिए कि गोवा एक ऐसा विकास का model स्थापित करें जो अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय हो। यह देश के लिए इस अमृत काल में आपका महत्वपूर्ण योगदान होगा। मुझे पूरा विश्वास है कि गोवा उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का संवर्धन करके, तटीय सीमा का लाभ उठाते हुए, शिक्षित, जागरूक और कर्मठ गोवा-वासियों के बल पर यह लक्ष्य अवश्य हासिल करेगा।

मैं सभी गोवा-वासियों को उनके स्वर्णिम भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए अपनी वाणी को विराम देती हूं।

जय हिन्द! 
जय भारत! 
जय गोवा!

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