भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का एकीकृत स्वास्थ्य समाधान के लिए यूनानी चिकित्सा में नवाचार - एक नई दिशा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में संबोधन (HINDI)
नई दिल्ली : 11.02.2025

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यूनानी दिवस के अवसर पर यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों और आयोजकों को मैं बधाई देती हूं। अन्य देशों से यहां आए हुए प्रतिभागियों को मैं विशेष बधाई देती हूं। यूनानी पद्धति को योगदान देने वाले विशेषज्ञों को आज विशेष सम्मान दिया गया है, यह खुशी की बात है। यूनानी पद्धति से जुड़ी short-films तथा नए publications इस पद्धति के प्रचार-प्रसार तथा विकास में उपयोगी सिद्ध होंगे।
आज के दिन भारत में यूनानी चिकित्सा के स्तम्भ हकीम अजमल खां को याद करने का अवसर है। यूनानी चिकित्सा पद्धति को उनके असाधारण योगदान के सम्मान में आज 11 फरवरी के दिन यानी उनकी जन्मतिथि को वर्ष 2016 से यूनानी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हकीम अजमल खां ने भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति का प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने बहुत व्यापक स्तर पर research किया। वे अत्यंत सम्मानित चिकित्सक भी थे। अपने समय में उन्होंने innovation के कई उदाहरण प्रस्तुत किए।
मुझे बताया गया है कि एक अग्रणी रसायन शास्त्री ने एक महत्वपूर्ण रसायन का नाम उनके नाम पर अजमलीन रखा। Blood pressure और cardiac care में उपयोगी उस रसायन का यही प्रचलित नाम है। यह तथ्य चिकित्सकों और अनुसंधानकर्ताओं के बीच हकीम अजमल खां के लिए अत्यधिक सम्मान का प्रमाण है।
अपने समय के सबसे बड़े हकीम होने के साथ-साथ उन्होंने भारत के स्वाधीनता संग्राम में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। शिक्षा के क्षेत्र में भी उनके योगदान को याद किया जाता है।
देवियो और सज्जनो,
हकीम अजमल खां ने ‘हाज़िक़’ नाम का जो ग्रंथ लिखा वह यूनानी चिकित्सा पद्धति का विश्व-कोश है, encyclopedia है। यह उल्लेखनीय है कि हकीम अजमल खां ने वैश्विक महामारी तथा मरीजों को quarantine करने के विषय पर भी उपाय बताए हैं। जब प्रथम विश्व युद्ध के दौरान Spanish Flue नामक वैश्विक महामारी फैली थी और भारत के लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे तब हकीम अजमल खां एक वरिष्ठ चिकित्सक थे।
समकालीन परिस्थितियों और प्रगति के साथ प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को जोड़ना उन्हें विकसित करने का एक प्रभावी तरीका है। हकीम अजमल खां ने यूनानी पद्धति के आधुनिक चिकित्सकों को तैयार करने के लिए शिक्षण संस्थान की स्थापना भी की थी।
यूनान में आज से लगभग ढाई हजार साल पहले हिपोक्रेटीस ने जिस पद्धति को शुरू किया, उसे रोम में दूसरी सदी में हकीम जालिनूस ने तथा पश्चिम एशिया में दसवीं सदी में अबुल कासिम जोहरावी और ग्यारहवीं सदी में इब्ने सीना ने आगे बढ़ाया था। दसवीं सदी से भारत में विकसित हो रही यूनानी चिकित्सा पद्धति को हकीम अजमल खां के प्रयासों से, बीसवीं सदी के भारत में बड़े पैमाने पर अपनाया गया।
आज यूनान तथा मध्य एशिया के देशों में यूनानी चिकित्सा पद्धति का उतना उपयोग नहीं होता है जितना भारत में होता है। आज यूनानी पद्धति में शिक्षा, शोध और अनुसंधान, स्वास्थ्य सेवा तथा औषधियों के निर्माण की दृष्टि से भारत का विश्व में अग्रणी स्थान है। इसके लिए मैं आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में सक्रिय Central Council for Research in Unani Medicine की सराहना करती हूं।
आयुर्वेद और यूनानी जैसी प्राचीन प्रणालियों में संतुलित जीवन-शैली पर जोर दिया जाता है। प्राकृतिक परिस्थितियों के अनुरूप दिनचर्या, ऋतुचर्या और आहार-विहार पर बल दिया जाता है। स्वस्थ जीवन-शैली अपनाकर रोग से बचे रहने को प्राथमिकता दी जाती है। साथ ही, प्राचीनकाल से संचित अनुभव तथा ज्ञान-विज्ञान के आधार पर उपचार और चिकित्सा प्रदान की जाती है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि यूनानी पद्धति से जुड़े अनुसंधानकर्ता और चिकित्सक आधुनिक पद्धतियों और technology के उपयोगी आयामों को अपना रहे हैं। इस सम्मेलन में Evidence-based Recent Research Trends in Unani Medicine तथा Harnessing Artificial Intelligence and Machine learning for Ayush/ Traditional Medicine: Prospects and Challenges जैसे समकालीन विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
देवियो और सज्जनो,
हमारे देश में स्वास्थ्य के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाता है। विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को समुचित सम्मान देते हुए उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। National Health Policy 2017 के अनुसार यूनानी सहित, आयुष चिकित्सा प्रणालियों को मुख्य धारा में लाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। National Commission for Indian System of Medicine के दिशा निर्देश में अनेक यूनानी चिकित्सा के शिक्षण संस्थानों में अध्ययन और शोध कार्य चल रहा है। Unani Medical Colleges में MD और PhD programs भी शुरू कर दिए गए हैं।
मुझे विश्वास है कि यूनानी चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने वाली नई पीढ़ियां ज्ञान और अनुभव की प्राचीन विरासत को मजबूत बनाएंगी। साथ ही हमारे युवा चिकित्सक digital tools और technologies का सक्षम उपयोग करेंगे, यूनानी पद्धति में नए आयाम जोड़ेंगे। इसी विश्वास के साथ मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की मंगल-कामना करती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!