भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का दादी प्रकाशमणि पर Customised My Stamp जारी करने के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)
राष्ट्रपति भवन : 25.08.2023
सबसे पहले मैं आप सभी का राष्ट्रपति भवन में स्वागत करती हूं। आज हम सब दादी प्रकाशमणि जी की स्मृति में Customised My Stamp का विमोचन करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। आज से 16 वर्ष पूर्व 25 अगस्त के ही दिन दादी प्रकाशमणि जी का देहावसान हुआ था। मैं दादी प्रकाशमणिजी के Customised My Stamp के विमोचन के लिए आप सब को बधाई देती हूँ।
एक विशेष गर्व और ख़ुशी की बात इस अवसर पर मैं कहना चाहती हूँ। दो दिन पहले ही हम सब भारत के वैज्ञानिकों की अभूतपूर्व सफलता के साक्षी बने हैं। भारत, चांद के दुर्गम दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने वाला पहला देश बन गया है। हमारे चंद्रयान-3 मिशन के द्वारा चांद की जमीन से अनेक नई जानकारियाँ हासिल होंगी जिनका लाभ समस्त विश्व को मिलेगा। ऐसे महानतम कार्यों की सफलता के पीछे अनेक वर्षों की तपस्या होती है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए की गई तपस्या किसी महायज्ञ से कम नहीं होती।
देवियो और सज्जनो,
ऐसी ही तपस्या की प्रतीक दादी प्रकाशमणि जी के अनुकरणीय जीवन और सेवाओं को श्रद्धांजलि देने के लिए हम आज यहाँ एकत्र हुए हैं। मुझे बताया गया है कि दादी प्रकाशमणि जी लगभग चार दशकों तक ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रशासनिक प्रमुख रहीं। 70 वर्षों तक उन्होंने लोगों में ईश्वर के प्रेम का संदेश प्रसारित किया। उनके प्रभावी नेतृत्व में ब्रह्माकुमारी संस्था एक छोटे से परिवार से आगे बढ़ते हुए विश्वस्तरीय आध्यात्मिक संगठन में परिवर्तित हो गई है।
दादी प्रकाशमणि जी के जीवन से यह आदर्श प्रस्तुत होता है कि एक महान आत्मा ही प्रेम का संचार कर सकती है। महान आत्मा सदा विनम्र होती है। ऐसी शक्तिशाली आत्मा ही अन्य लोगों को आंतरिक रूप से सशक्त बना सकती है।
देवियो और सज्जनो,
कुछ लोग ऐसे काम कर जाते हैं कि वे अमरत्व प्राप्त कर लेते हैं। मनुष्य को उसकी आत्मिक शक्ति का अनुभव करवाना और दुनिया में प्रेम और सद्भाव का विस्तार करना एक महान कार्य है। इस महान कार्य की ज्योति दादी प्रकाशमणि जी ने जलाई थी। ब्रह्माकुमारी परिवार के सदस्य इस ज्योति से अनेक ज्योतियाँ जलाकर दुनिया में अध्यात्म का प्रकाश फैला रहे हैं।
दादीजी ने अध्यात्म के माध्यम से भारत के मूल्यों और संस्कृति का देश-विदेश में संचार किया। उन्होंने ब्रह्माकुमारीज को दुनिया में सबसे बड़े महिला नेतृत्व वाले आध्यात्मिक संगठन के रूप में स्थापित भी किया। एक सच्चे प्रमुख की भांति दादीजी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी विश्वास और साहस के साथ अपने ब्रह्माकुमारी परिवार के साथ खड़ी रहीं और सदा उनका मार्गदर्शन करती रहीं।
यह दुनिया का सबसे बड़ा सत्य है कि जीवन अस्थाई है। मृत्यु एक सच्चाई है जिसका सामना सबको करना है। इस जग में व्यक्ति को उसके कर्मों के कारण ही याद किया जाता है। इसलिए मनुष्य को जन-कल्याण की भावना के साथ अच्छे कर्म करते रहने चाहिए। आज दादी जी शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आध्यात्मिक और प्रसन्नचित व्यक्तित्व की स्मृतियां और उनके मानव-कल्याण के संदेश सदा हमारे बीच जीवित रहेंगे और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे।
मैं Ministry of Communications और Department of Posts की सराहना करती हूँ कि उनके द्वारा चलायी जा रही ‘My Stamp’ योजना ने बहुत लोकप्रियता प्राप्त कर ली है। इस योजना के कारण बहुत से लोग customised postage stamps खरीदते हैं। इसके माध्यम से आज लोग अपनी पसंद के अनुसार thematic commemmorative stamp के साथ अपनी तस्वीर या कोई अन्य thumbnail photograph लगा कर My Stamp खरीद रहे हैं।
मुझे विश्वास है कि दादी प्रकाशमणि जी की स्मृति में विमोचित customised My Stamp ब्रह्माकुमारीज़ परिवार के बहनों-भाइयों के साथ-साथ देश-विदेश के सभी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा। लोग दादी प्रकाशमणिजी के आध्यात्मिक मूल्यों और ज्ञान से सदैव प्रकाशित होते रहेंगे।
अंत में, ब्रह्माकुमारी संस्था के सभी भाई-बहनों को उनके जन-हित के कार्यों के लिए मैं शुभकामनाएं देती हूँ और यहाँ उपस्थित सभी लोगों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!