भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय आदिम जाति सेवक संघ के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित समारोह में सम्बोधन (HINDI)

नई दिल्ली : 22.10.2024
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ठक्कर बापा द्वारा स्थापित किए गए ‘भारतीय आदिम जाति सेवक संघ’ ने सेवा कार्य के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इसके लिए, मैं भारतीय आदिम जाति सेवक संघ तथा इससे जुड़ी लगभग 105 संबद्ध इकाइयों के सभी पूर्ववर्ती और वर्तमान कार्यकर्ताओं की सराहना करती हूं।

इस समारोह में देश के विभिन्न क्षेत्रों से यहां आए जनजातीय भाई-बहनों को ठक्कर बापा की प्रेरक स्मृति से जोड़ने के लिए मैं भारतीय आदिम जाति सेवक संघ की सराहना करती हूं। आज प्रस्तुत किए गए आदिवासी लोकनृत्यों के सभी कलाकारों की मैं प्रशंसा करती हूं।

‘ठक्कर बापा स्मारक सदन’ के इस परिसर में आकर मुझे एक महापुरुष के प्रति देशवासियों की ओर से कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर मिला है। मैं बहुत बड़े परिसरों में आयोजित समारोहों में जाती हूं लेकिन ‘ठक्कर बापा स्मारक सदन’ के इस परिसर का महत्व एक पवित्र स्थल की तरह है। मैं पीड़ितों, वंचितों और जनजातीय समाज के लिए आजीवन महान योगदान देने वाले ठक्कर बापा की पुण्य स्मृति को नमन करती हूं।

देवियो और सज्जनो,

ठक्कर बापा के जीवन के प्रसंगों को याद करके मुझे भी प्रेरणा मिलती है। उन्होंने Chief Engineer जैसे बड़े पद और उससे जुड़े वेतन और सुविधाओं को छोड़कर जनसेवा का प्रण लिया और आजीवन उसे निभाया। वे गोपाल कृष्ण गोखले से मिले और वर्ष 1914 में उनके द्वारा स्थापित की गयी Servants of India Society के सक्रिय सदस्य बन गए।

वर्ष 1923 में ठक्कर बापा ने ‘भील सेवा मण्डल’ की स्थापना की और भील समुदाय के बीच रहने लगे। भील समुदाय में शिक्षा का प्रसार करने तथा अंधविश्वासों को दूर करने सहित, बहुत से काम वे करते रहे। इस कार्य में उन्हें जोखिम भी उठाने पड़े।

ठक्कर बापा की सेवा भावना और कर्मठता से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बहुत प्रभावित रहते थे। गांधीजी ने उन्हें ‘हरिजन सेवक संघ’ में सचिव की जिम्मेदारी दी थी। वर्धा में स्थापित कुष्ठ निवारण परिषद के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने रोगियों की बड़ी सेवा की। महात्मा गांधी और सरदार पटेल के बाद उन्हें कस्तूरबा ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया। ठक्कर बापा के बारे में गांधीजी के कुछ शब्दों को मैं आपसे साझा करना चाहती हूं। गांधीजी ने कहा था “ठक्कर बापा एक विरले लोकसेवक हैं। वे विनम्र स्वभाव के हैं।... अपने काम में ही उन्हें परिपूर्ण सन्तोष और विश्राम प्राप्त होता है।... वे स्वयं एक संस्था हैं।... अपने जीवन-कार्य में वे जिस प्रकार अपनी शक्ति लगा रहे हैं, उसे देखकर तो उनके आसपास रहनेवाले नवयुवक भी लज्जित हो जाते हैं।” गांधीजी के इन वाक्यों से बापा की महानता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ठक्कर बापा ने सेवा को ही तपस्या मानकर, परोपकार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

देवियो और सज्जनो,

ठक्कर बापा, भारत की संविधान सभा के सदस्य चुने गए थे। जन-जातीय समुदाय से जुड़े मुद्दों पर गठित की गयी संविधान सभा की एक उपसमिति के वे अध्यक्ष थे। संविधान की पांचवीं अनुसूची में निहित अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन से जुड़े प्रावधानों को ठक्कर बापा की अध्यक्षता में गठित उपसमिति द्वारा बनाया गया।

डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे और जैसा कि सभी जानते हैं, वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने। राजेंद्र बाबू, ठक्कर बापा का बहुत सम्मान करते थे। संविधान सभा की बैठकों के दौरान वे ठक्कर बापा की जनजातीय समाज के प्रति निष्ठा से भली-भांति अवगत हुए थे। बापा ने राजेंद्र बाबू से ‘भारतीय आदिम जाति सेवक संघ’ का अध्यक्ष बनने का आग्रह किया और डॉ राजेंद्र प्रसाद इस संस्थान के पहले अध्यक्ष बने।

इस संस्थान ने ठक्कर बापा के विचारों के अनुरूप जनजातीय समाज में व्याप्त गरीबी, अशिक्षा तथा खराब स्वास्थ्य जैसी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया है। साथ ही शासन व्यवस्था में जनजातीय समाज के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता का प्रसार भी किया है।

इस परिसर से ‘भारतीय आदिम जाति सेवक संघ’ का अतीत और वर्तमान जुड़ा हुआ है। आज बापा की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके मैंने दलितों और वंचितों के एक मसीहा का सम्मान किया है। यह एक अच्छा संयोग है कि ‘ठक्कर बापा स्मारक सदन’ डॉक्टर आंबेडकर मार्ग पर स्थित है। बाबासाहब और बापा ने सामाजिक न्याय के लिए जो प्रयास किए हैं वे पूरी मानवता के लिए अनुकरणीय हैं।

देवियो और सज्जनो,

पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री श्री यू.एन. ढेबर भारतीय आदिम जाति सेवक संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। ढेबर आयोग की संस्तुति पर ही अति पिछड़े जनजातीय समुदायों का वर्गीकरण किया गया था जिन्हें आजकल PVTG के नाम से जाना जाता है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि प्रताड़ित और पीड़ित महिलाओं के कल्याण एवं सशक्तिकरण हेतु भारतीय आदिम जाति सेवक संघ द्वारा शक्तिसदन नामक आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं। Old Age Homes तथा Creche की सुविधाएं विकसित की गयी हैं। दिल्ली में जनजातीय बालकों के लिए छात्रावास स्थापित किया गया है। इस परिसर में जनजातीय समुदाय की छात्राओं के लिए संचालित ‘कात्यायनी बालिका आश्रम’ नामक छात्रावास के बारे में जानकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है।

कक्षा 7 तक की पढ़ाई अपने गांव में करने के बाद मैंने आगे की पढ़ाई भुवनेश्वर जाकर की थी। अपने विद्यार्थी जीवन के उस चरण में, मैं भी एक ऐसे ही छात्रावास में रहती थी, जो ठक्कर बापा ने स्‍थापित किया था। उसी समय से भुवनेश्वर में ठक्कर बापा के नाम पर लड़कों का एक छात्रावास भी है।

देवियो और सज्जनो,

मुझे यह देखकर बहुत प्रसन्नता होती है कि पिछले दशक में जनजातीय समुदाय के विकास और कल्याण हेतु अनेक बड़ी योजनाएं विकसित की गयी है और उन्हें कार्यरूप दिया गया है। आज से बीस दिन पहले, गांधी जयंती के दिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ का शुभारंभ किया है। इस अभियान का लाभ देश के 5 करोड़ से अधिक जनजातीय भाई-बहनों तक पहुंचेगा। PVTG समुदाय के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा-अभियान यानि PM-जनमन के तहत कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। एकलव्य विद्यालयों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। ऐसी अनेक योजनाएं सरकार द्वारा आदिवासी समाज को दी जा रही प्राथमिकता का प्रमाण हैं।

मैं आशा करती हूं कि ठक्कर बापा द्वारा स्थापित किए गए लोकसेवा के आदर्शों पर चलते हुए ‘भारतीय आदिम जाति सेवक संघ’ के कार्यकर्ता भविष्य में भी अपनी कर्तव्यनिष्ठा को बनाए रखेंगे। मैं जनजातीय समाज सहित, सभी देशवासियों के स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूं।

धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!

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