भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ब्रह्माकुमारी केंद्र, हिसार के स्वर्ण जयंती समारोह में सम्बोधन (HINDI)
हिसार : 10.03.2025

हिसार में स्थित ब्रह्माकुमारी केंद्र द्वारा मानवता की सेवा के 50 वर्ष सम्पन्न करने के उपलक्ष में इस समारोह का आयोजन करने के लिए मैं आप सभी को हार्दिक बधाई देती हूं और सराहना करती हूं।
आपकी 50 वर्षों की यात्रा की सफलता के मूल में पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के आशीर्वाद की शक्ति विद्यमान है। मैं प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की पावन आध्यात्मिक ऊर्जा को सादर नमन करती हूं।
आप सबने त्याग और तपस्या के बल पर अपने केंद्र के माध्यम से संस्थान और समाज को अमूल्य योगदान दिया है। आप सबके प्रयासों से लोगों के लिए भौतिक, मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक उन्नति के रास्ते खुले हैं।
हरियाणा में आकर श्रीमद्भगवद्-गीता का संदेश सहज ही याद आता है। योगेश्वर श्रीकृष्ण ने स्थितप्रज्ञ के लक्षण बताए थे, हर परिस्थिति में समत्व बनाए रखने की शिक्षा दी थी, कर्म के फल पर तनिक भी ध्यान न देते हुए पूरी निष्ठा के साथ कर्म करने की प्रेरणा दी थी। जैसे पांडवों के सामने कौरवों की चुनौती थी, वैसे ही प्रत्येक व्यक्ति के अंदर और बाहर नकारात्मक प्रवृत्तियों और विपरीत परिस्थियों की चुनौती होती है। जिस प्रकार गीता की शिक्षा के बल पर अर्जुन Positive Energy से भर गए, उसी तरह जीवन के संग्राम का सामना करने और उसमें विजय पाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करना चाहिए।
अध्यात्म मानव निर्मित सीमाओं से ऊपर उठकर पूरी मानवता को एक सूत्र में जोड़ता है। आध्यात्मिक आधार पर निर्मित सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक या अन्य किसी प्रकार की व्यवस्था नैतिक और टिकाऊ बनी रहती है। आध्यात्मिक चेतना को हमेशा जगाए रखने वाला व्यक्ति मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, तथा आंतरिक शांति का अनुभव करता है। आध्यात्मिकता की धारा सहज ही पूरी मानवता को आकर्षित करती है। आध्यात्मिकता की शक्ति के बल पर आज ब्रह्माकुमारी केंद्र विश्व भर में फैले हैं और सामाजिक, आर्थिक तथा आध्यात्मिकता शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
मुझे बताया गया है कि इस सभागार के भवन का नाम Peace Palace है। भवन का यह नाम अत्यंत अर्थपूर्ण है। इस भवन के नाम से, मुझे रूस के महान लेखक और विचारक टॉल्सटॉय की एक छोटी सी पुस्तक याद आई जिसका अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उस पुस्तक के हिन्दी संस्करण का नाम है ‘वैकुंठ तुम्हारे हृदय में है’। इस पुस्तक का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सादर उल्लेख किया करते थे। वैकुंठ यानी Paradise परम शांति और आनंद का धाम है। अध्यात्म के रास्ते पर चलने वाले व्यक्ति का लक्ष्य उस आंतरिक अनुभव को प्राप्त करना होता है, जहां राग-द्वेष से मुक्त, भय और आकांक्षा से परे होकर व्यक्ति को गहन शांति की अनुभूति होती है। उच्च आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर लेने वाले व्यक्ति के भीतर ही शांति-भवन, शांति-कुंज या शांति-प्रासाद विद्यमान होता है। आध्यात्मिक शिक्षा के बल पर holistic well being को प्राप्त करने का उद्देश्य एक ऐसी समग्रता-पूर्ण जीवन-शैली का निर्माण करना है जो आंतरिक शांति प्रदान करे। आध्यात्मिक शांति का अनुभव करने वाला व्यक्ति अपने और दूसरों के जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से समृद्ध बनाता है।
आध्यात्मिक शांति की वास्तविक उपयोगिता समाज से अलग रहकर शांत बने रहने में नहीं है। आध्यात्मिक शांति की वास्तविक उपयोगिता एक स्वस्थ, सशक्त और समृद्ध समाज तथा राष्ट्र का निर्माण करने में है। हमें कर्मयोगी युवाओं की पीढ़ी तैयार करनी है। स्वामी विवेकानंद की अध्यात्म चेतना देशप्रेम और मानवता के सुधार से ओतप्रोत थी। वे भारत के युवाओं को शक्ति और ऊर्जा से भरपूर होकर देश की सेवा करने की प्रेरणा देते थे।
देवियो और सज्जनो,
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि ब्रह्माकुमारी संस्था राष्ट्रसेवा और समाजसेवा के अनेक अभियानों में सक्रिय योगदान दे रही है। नशामुक्त भारत अभियान, जल-आपूर्ति से जुड़े राष्ट्रीय कार्यक्रम, नारी सशक्तीकरण के प्रयासों तथा ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसे पर्यावरण संवर्धन के पुण्य कार्य में योगदान देकर आप सबने अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा का राष्ट्र और समाज के हित में सुनियोजित उपयोग किया है, ऐसे योगदानों के लिए मैं आप सभी को साधुवाद देती हूं।
मैं आशा करती हूं कि ब्रह्माकुमारी परिवार अध्यात्म के बल पर लोगों के holistic health तथा देश के समग्र विकास में अपना योगदान देता रहेगा। मैं ब्रह्माकुमारी परिवार के सभी सदस्यों के स्वर्णिम भविष्य की मंगलकामना करती हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!