भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ‘The Year of Positive Change’ के थीम के launch के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)

सड्डू, रायपुर : 31.08.2023
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पूरी मानवता के कल्याण के उद्देश्य से ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। मनुष्य की सोच और व्यक्तित्व में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए शुरू किए गए ऐसे कार्यक्रमों के लिए मैं ब्रह्माकुमारी परिवार की सराहना करती हूँ। पिछले महीने 27 जुलाई को मैंने ओडिशा में भी 'The Year of Positive Change' के theme से जुड़े कार्यक्रम में भाग लिया था। आज छत्तीसगढ़ में भी इस प्रयास का आरम्भ करते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है। आज मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि मुझे छत्तीसगढ़ की धरती पर आकर आप सबसे मिलने का अवसर मिला। राष्ट्रपति के रूप में छत्तीसगढ़ आकर अपने देशवासियों से मिलने की मेरी इच्छा आज पूरी हुई है। एक कहावत है – ‘छत्तीसगढ़िया सब ले बढ़िया’- और ऐसी कहावतों के माध्यम से सदियों से चले आ रहे सत्य को मात्र शब्दों में कह दिया जाता है।

देवियो और सज्जनो,

एक ओर, हमारा देश नित नई ऊँचाइयों को छू रहा है। चाहे चाँद पर तिरंगा लहराना हो या विश्व स्तर पर खेल-कूद के क्षेत्र में नए अध्याय लिखने हों, हमारे देशवासी अनेक कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। यह बदलते भारत की खूबसूरत तस्वीर है। दूसरी ओर, एक अत्यंत गंभीर विषय है जिसे मैं आपके समक्ष रखना चाहती हूँ। कुछ दिनों पहले ही NEET की तैयारी करने वाले दो विद्यार्थियों ने अपने जीवन, अपने सपनों और अपने भविष्य का अंत कर दिया। Competitive exams के लिए पढ़ाई कर रहे कई बच्चों ने पिछले दिनों आत्महत्या की है। प्रतिस्पर्धा एक सकारात्मक भाव है जिससे जीवन सँवरता है। हार-जीत तो जीवन का हिस्सा है। मुझे बहुत दुख होता है जब कुछ बच्चों में कई कारणों से नकारात्मक भाव उत्पन्न हो जाते हैं।

इस बात के अनेक उदाहरण हैं कि क्षणिक असफलता में भविष्य की सफलता निहित होती है। मेरी इस भावी पीढ़ी के परिवार के लोगों, दोस्तों, अध्यापकों और समाज से अपील है कि वे इन बच्चों की मानसिकता को समझकर इनकी सहायता करें। मैं सभी stakeholders से कहना चाहूंगी कि अगर बच्चों पर पढाई का, competition का pressure है, तो positive thinking के द्वारा, उसे दूर करके उनको आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने में मदद करें। जितना जरूरी उनका career है उतना ही ज़रूरी यह है कि वे जीवन की चुनौतियों का डट कर सामना करें।

देवियो और सज्जनो,

हर एक व्यक्ति को ईश्वर ने अलग बनाया है और सब में अनोखी प्रतिभाएं होती हैं। दूसरों से प्रेरणा लेना अच्छी बात है लेकिन अपनी रुचियों, अपनी क्षमताओं को समझकर अपने लिए सही दिशा का चुनाव करना चाहिए। इसके लिए स्वयं से संवाद करना आवश्यक है। हमारे ब्रहमाकुमारी परिवार के सदस्य इस दिशा में कई वर्षों से कार्यरत हैं। मनुष्य के अंतर्मन को जागृत करके उसकी क्षमताओं को बढ़ाया जा सकता है। सकारात्मक सोच और कार्यों से केवल अपनी ही नहीं बल्कि आस-पास के सब लोगों का जीवन भी बेहतर बनाया जा सकता है। मेरी आध्यात्मिक यात्रा में भी ब्रह्माकुमारी संस्था ने मेरा बहुत साथ दिया। कठिनाइयां तो हर व्यक्ति के जीवन में आती हैं लेकिन एक जागरूक मनुष्य कठिनाइयों को पार कर जाता है। सही अर्थों में सचेत व्यक्ति संवेदनशील और विनम्र होने के साथ-साथ आत्म-विश्वास से भरा होता है।

देवियो और सज्जनो,

आज हम सब technology के युग में जी रहे हैं और बच्चे भी आज कल Artificial Intelligence की बात करते हैं। लेकिन यह भी आवश्यक है कि हम दिन का कुछ समय electronic gadgets से दूर रहकर बिताएं। हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह बहुत जरूरी है। एक बात मैं हर बच्चे, युवा और बुजुर्ग से कहना चाहती हूँ कि अपनी आंतरिक शक्ति के विकास के लिए अपनी रुचि के अनुसार सकारात्मक कार्य करते रहिए और सदा positive thoughts और good company के साथ रहिए। ऐसे लोगों के बीच में रहिए जो आपको सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा भी दें और आगे बढ़ने में आपका साथ भी दें। जीवन को सही ढंग से जियें तो हर पल खूबसूरत और यादगार बना सकते हैं। ब्रहमाकुमारी बहनें और भाई भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी प्रेम, सद्भाव और शान्ति के विस्तार के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। किसी की सोच में बदलाव लाना आसान नहीं होता लेकिन हम यह भी जानते हैं कि प्रबल इच्छाशक्ति से किये गए कार्य में सफलता जरूर मिलती है। संकल्प शक्ति और निरंतर प्रयास के बल पर महिला नेतृत्व वाला यह ब्रह्माकुमारी संगठन जन- कल्याण की भावना के साथ निरंतर आगे बढ़ रहा है और दुनिया को बेहतर बनाने में अमूल्य योगदान दे रहा है।

अंत में, एक बार फिर मैं आप सबको छत्तीसगढ़ में ‘The Year of Positive Change’ की शुरुआत के लिए बहुत-बहुत बधाई देती हूँ।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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