भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का वर्ष 2021 और 2022 के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण हेतु राष्ट्रीय पुरस्कारो की प्रस्तुति के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)
नई दिल्ली : 03.12.2022
आज अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर, दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के लिए आपके बीच उपस्थित होकर मुझे बेहद प्रसन्नता हुई है।
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस को मनाने का उद्देश्य दिव्यांगता से जुड़े मुद्दों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। उनके लिए एक स्वस्थ वातावरण बनाना है ताकि वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। वे बिना किसी भेदभाव के राजनीतिक,सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा खेल जैसी गतिविधियों में भाग ले सकें, ऐसे माहौल का निर्माण करना है।
मैं आज पुरस्कृत सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को बधाई देती हूं। यह पुरस्कार आपको दिव्यांगजनों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में आपके उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देने का एक प्रयास है। मैं आशा करती हूं कि अन्य संगठन और व्यक्ति आपसे प्रेरणा लेंगे और आपका अनुकरण करेंगे।
देवियो और सज्जनो,
संयुक्त राष्ट्र के आकलन के अनुसार पूरे विश्व में 100 करोड़ से अधिक दिव्यांगजन है। यानि विश्व में लगभग हर आठवां व्यक्ति किसी न किसी रूप में दिव्यांगजन है। भारत की भी दो प्रतिशत से अधिक आबादी दिव्यांगजन है। यह संभव है कि आपमें से हर कोई किसी न किसी रूप में एक दिव्यांग-जन से परिचित होगा, उससे जुड़ा हुआ होगा। ऐसे यह सुनिश्चित करना हम सबका, पूरे समाज का दायित्व बनता है कि सभी दिव्यांगजन स्वतंत्र रूप से एक गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें। सभी दिव्यांगजनों को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो, वे अपने घर और समाज में सुरक्षित रहें, उन्हें अपना करियर चुनने की स्वतन्त्रता हो, equal employment opportunites हो, यह सुनिश्चित करना भी हमारा दायित्व है।
देवियो और सज्जनो,
भारतीय संस्कृति और परम्परा में disability को ज्ञान-अर्जन और उत्कृष्टता प्राप्त करने में कभी भी बाधा नहीं माना गया है। आप सबने ऋषि अष्टावक्र की कहानी सुनी होगी। उन्हें अष्टावक्र इसलिए कहा जाता था क्योंकि उनका शरीर आठ जगह से टेड़ा था। वे एक तेजस्वी बालक थे। अल्प आयु में ही वे, एक असाधारण विद्वान बन गए थे। ऋषि अष्टावक्र ने अनेक चुनौतियों के बावजूद, अपने ज्ञान और दर्शन से समाज को प्रकाशित किया। उन्होंने 'अष्टावक्र गीता' और 'अष्टावक्र संहिता' जैसे महत्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना की।
इसी तरह, भक्ति साहित्य में, महान कवि सूरदास भारतीय काव्य के गौरव हैं। उन्होंने जिस तरह नेत्रहीन होते हुए भी राधा-कृष्ण के रंग-रुप, श्रृंगार और सौन्दर्य का सजीव चित्रण किया है, वह किसी नेत्र वाले व्यक्ति के लिए भी कठिन है। उनका बाल्य-वर्णन विश्व साहित्य की उपलब्धि है। एक सारगर्भित कथन है –vision is more important than sight.
आधुनिक काल में भी, महान वैज्ञानिक और शिक्षाविद्, Stephen Hawking ने अपने असाधारण ज्ञान से विज्ञान जगत को नई दिशा प्रदान की है। Stephen Hawking ने कहा था and Iquote, "Disability need not be an obstacle to success... My advice to other disabled people would be, concentrate on things your disability doesn't prevent you doing well, and don't regret the things it interferes with."(unquote)
प्राय:, यह देखा गया है की दिव्यांगजन दिव्य-गुणों से युक्त होते हैं। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जिसमें हमारे दिव्यांग भाइयों-बहनों ने अपने अदम्य साहस, प्रतिभा और दृढ़ संकल्प के बल पर अनेक क्षेत्रों में प्रभावशाली उपलब्धियां हासिल की हैं।
पर्याप्त अवसर और सही वातावरण मिलने पर, दिव्यांगजन भी हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। अभी दो दिन पहले ही, मुझे राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय खेल एवं साहस पुरस्कार प्रदान करने का अवसर प्राप्त हुआ। उस पुरस्कार समारोह में मुझे मानसी गिरीशचंद जोशी, तरुण ढिल्लों, स्वप्निल संजय पाटिल और जेरलीन अनिका जे को अर्जुन पुरस्कार से और नीर बहादुर गुरूंग को ध्यान चंद पुरस्कार से सम्मानित करने का सौभाग्य मिला। मेरे विचार में इन लोगों की ऊर्जा और सामर्थ्य किसी से भी कम नहीं है। Tokyo paralympics में भी हमारे para-olympians ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके इतिहास रचा।
मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि सरकार द्वारा ग्वालियर में एक दिव्यांग खेल केंद्र की स्थापना की जा रही है। उस केंद्र में दिव्यांग खिलाड़ियों की शिक्षा के साथ-साथ उनके प्रशिक्षण के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में, कम आयु में ही दिव्यांगता की पहचान करने, उसका उपचार प्रदान करने और उचित पुनर्वास के लिए, प्रौद्योगिकी और पर्याप्त क्षमता उपलब्ध है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि केंद्र सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 14 cross disability intervention centers स्थापित किए हैं। मुझे आशा है कि राज्य सरकारें भी, इस पहल से प्रेरणा लेकर, बचपन में ही दिव्यांगता की पहचान करने तथा उसे दूर करने के लिए, अपने-अपने राज्यों में इसी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराएंगी।
शिक्षा, दिव्यांगजनों सहित, प्रत्येक व्यक्ति के सशक्तीकरण की कुंजी है। मेरा मानना है कि शिक्षा में भाषा सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करने के लिए तथा दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा को और सुलभ बनाने के लिए, हमें technology का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी दिव्यांग बच्चों के लिए, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के समान अवसर प्रदान करने हेतु, सक्षम व्यवस्था के महत्व को रेखांकित करती है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि श्रवण-बाधित बच्चों के लिए NCERT की कक्षाI से VI की पाठ्य पुस्तकों का Indian Sign Language में रूपान्तरण पूरा हो चुका है। यह प्रयास श्रवण-बाधित विद्यार्थियों को, मुख्यधारा की शिक्षा प्रक्रिया में शामिल करने के लिए, एक महत्वपूर्ण पहल है। मुझे उम्मीद है कि इससे,श्रवण-बाधित बच्चों को अध्ययन में सहूलियत होगी।
वर्ष 2015 में, ‘सुगम्य भारत अभियान’ की शुरुआत के बाद से, दिव्यांगजनों के लिए सहायक वातावरण का सृजन करना, सरकार के लिए एक प्राथमिकता रही है। दिव्यांगजनों को गरिमामय जीवन व्यतीत करने के लिए अनुकूल सुविधाएं उपलब्ध करना, सरकार के साथ-साथ पूरे समाज की भी जिम्मेदारी है। मैं औद्योगिक समूहों, निजी संस्थाओं और सिविल सोसाइटी से आग्रह करती हूं कि वे अपने संस्थाओं में बुनियादी ढांचे को दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाने के प्रयास करें और उनके सशक्तीकरण का प्रयास करें।
दिव्यांगजनों को अत्याधुनिक सहायक यंत्रों और उपकरणों का वितरण करना सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। पिछले आठ वर्षों के दौरान, सरकार ने 23 लाख से भी अधिक दिव्यांगजनों को ऐसे यंत्र और उपकरण प्रदान किए हैं। सरकार, दिव्यांगजनों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए Unique Disability Identity (UDID) Card की परियोजना को लागू कर रही है, जो disability certification में सहायक होगी।
देवियो और सज्जनो,
सरकार, दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण के लिए अनेक कदम उठा रही है। मेरा मानना है कि उनको सशक्त बनाने के लिए, उनमें आत्मविश्वास का संचार करना बहुत जरूरी है। दिव्यांगजनों में भी सामान्य लोगों की तरह ही, और कभी-कभी उनसे बढ़कर, प्रतिभा और क्षमता होती है। उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिर्फ उनमें आत्मविश्वास भरने की जरूरत है। मैं समाज के सभी वर्गों से अपील करती हूं कि वो दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। जब हमारे दिव्यांग भाई-बहन मुख्य धारा से जुड़कर अपना प्रभावी योगदान देंगे, तो हमारा देश और तेजी से विकास-पथ पर आगे बढ़ेगा।
मैं एक बार फिर, सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देती हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि दिव्यांगजनों के समग्र विकास और सशक्तीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सभी stakeholders अपना प्रयास जारी रखेंगे। मैं सभी दिव्यांगजनों के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता की मंगल कामना करती हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!