भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का वनवासी कल्याण परिषद तेलंगाना राज्य, द्वारा आयोजित समाख्या सरलम्मा जनजातीय पुजारी सम्मेलन का उद्घाटन, पर्यटन मंत्रालय की कुल सात परियोजनाओं और जनजातीय कार्य मंत्रालय के एकलव्य आदर्श स्कूल की आधारशिला रखने के अव
भद्राचलम : 28.12.2022
भद्राचलम मंदिर के पावन प्रांगण में आयोजित इस समाख्या सरलम्मा जनजातीय पुजारी सम्मेलन में आकर आज मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। राष्ट्रपति के रूप में,तेलंगाना राज्य की मेरी यह पहली यात्रा है। सुप्रसिद्ध तेलुगु कवि,दाशरथि कृष्णम आचार्युलु के शब्दों में "ना तेलंगाणा कोटि रतनाल वीणा",अर्थात्,मेरा तेलंगाना करोड़ों रत्नों से जड़ी हुई वीणा की तरह है।
तेलंगाना की अपनी पहली यात्रा में, मुझे श्री शैलम मंदिर में दर्शन करने का, श्री सीतारामचंद्र देवस्थानम में आशीर्वाद लेने का तथा यहाँ समाख्या सरलम्मा जनजातीय पुजारी सम्मेलन में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ है। आज ही मुझे रामप्पा देवालयम के पवित्र परिसर में दर्शन करने का और तीर्थ यात्रियों के लिए विकसित की गयी सुविधाओं का शिलान्यास करने का सुअवसर भी प्राप्त होगा और बाद में यादाद्रि पर स्थित श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर में प्रार्थना करने का अवसर भी मिलेगा। ऐसे पावन अवसरों का मिलना, मैं अपना सौभाग्य मानती हूँ। इन देवस्थानों और मंदिरों में मुझे सभी देशवासियों के कल्याण हेतु प्रार्थना करने का शुभ अवसर भी प्राप्त हुआ है।
इन अवसरों को प्रदान करने के लिए मैं तेलंगाना की राज्यपाल तमिलि-सइ सौंदर-राजनजी, मुख्यमंत्री,श्री के. चंद्रशेखर रावजी,केंद्र सरकार में संस्कृति पर्यटन एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री, श्री जी किशन रेड्डी जी, तेलंगाना सरकार की पूरी टीम और तेलंगाना राज्य के सभी भाई बहनों को धन्यवाद देती हूँ।
देवियो और सज्जनो,
मुझे बताया गया है कि तेलंगाना के प्रसिद्ध मंदिरों में लाखों तीर्थ यात्रियों का आवागमन होता है। केंद्र सरकार की‘प्रसाद’योजना के तहत,तीर्थ स्थलों के विकास कार्यों से जुड़कर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। मुझे यह जानकर विशेष प्रसन्नता हुई है कि इन सुविधाओं से वरिष्ठ नागरिकों तथा दिव्यांगजनों को तीर्थ यात्रा में और भी अधिक सुविधा होगी। इन विकास कार्यों से आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। विदेश से आने वाले पर्यटकों तथाDomestic Touristsमें,बहुत बड़ी संख्या तीर्थ यात्रा करने वाले लोगों की होती है। इस प्रकार घरेलू पर्यटन के विकास में तीर्थ स्थलों के पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान होता है। ऐसे पर्यटन से लोगों की आजीविका और आय में भी वृद्धि होती है तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलता है। इसलिए ‘प्रसाद योजना’को उत्साह पूर्वक आगे बढ़ाने के लिए मैं श्री किशन रेड्डी जी और उनकी टीम की विशेष सराहना करती हूँ।
देवियो और सज्जनो,
लोक परंपरा के अनुसार श्री सीता राम चन्द्र स्वामीवरी देवस्थानम,भद्राचलम, राम कथा से संबद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि प्रभु श्री राम ने, माता जानकी और लक्ष्मण के साथ, वनवास के दौरान, कुछ समय इसी क्षेत्र में स्थित एक पर्णशाला में बिताया था। ऐसी जानकारी का देश के सभी क्षेत्रों में और विदेशों में भी प्रचार-प्रसार करने से लोक रुचि बढ़ती है।
देवियो और सज्जनो,
‘वनवासी कल्याण परिषद – तेलंगाना’ द्वारा इस सम्मेलन के आयोजन के लिए मैं आप सबकी सराहना करती हूँ। मुझे बताया गया है कि यह परिषद वनवासी समाज के समग्र विकास के लिए निरंतर प्रयासरत है। परिषद की मुख्य चिंता है कि सांस्कृतिक परम्पराओं के कमजोर होने पर हमारी मूल पहचान का अंत हो सकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए,निरंतर अपनी समृद्ध संस्कृति,परंपराओं और रीति-रिवाजों को जीवंत बनाए रखना अनिवार्य है। इससे हमारी विरासत का संरक्षण भी होता है।
जनजातीय समाज, विशेष रूप से कोया समुदाय के लाखों भाई-बहन समाख्या सरलम्मा की पूजा-अर्चना के लिए एकत्रित होते हैं। यहां के जनजातीय समाज का यह बहुत बड़ा त्योहार है। मेरा मानना है कि ऐसे पर्व और सम्मेलन हमारी सामाजिक समरसता को मजबूत बनाते हैं। इन गतिविधियों से हमारी परम्पराएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ती रहती हैं। यह खुशी की बात है कि परिषद इस दिशा में सराहनीय प्रयास कर रही है। इसके लिए मैं परिषद को बधाई देती हूं।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि ‘वनवासी कल्याण परिषद’ द्वारा शिक्षा,स्वास्थ्य-सेवाओं, कौशल-विकास,और पंचायत-विकास से जुड़ी जागरूकता के बारे में उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैं। मुझे बताया गया है कि परिषद द्वारा अनेक एकल विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। परिषद द्वारा जनजातीय विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित विद्यालयों में प्रवेश हेतु प्रयास करने के लिए कई छात्रावास भी संचालित किए जा रहे हैं।
देवियो और सज्जनो,
प्रगति के सभी आयामों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी,हमारे समाज और देश के समग्र विकास के लिए ज़रूरी है। यह प्रसन्नता की बात है कि महिलाओं को आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए परिषद द्वारा विकास केन्द्र भी चलाए जा रहे हैं।
मुझे बताया गया है कि ग्राम-विकास के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए परिषद द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में शिविर आयोजित किए जाते हैं। यह भी खुशी की बात है कि परिषद, ‘एकलव्य क्रीडा केन्द्रों’ के माध्यम से बच्चों की प्रतिभा को निखार रही है। मैं ऐसे अनेक कल्याणकारी कार्यों के लिए परिषद की सराहना करती हूँ।
देवियो और सज्जनो,
केन्द्र सरकार की ‘एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल’ परियोजना के अंतर्गत,जनजातीय बहुल क्षेत्रों में, वंचित और पिछड़े वर्ग के बच्चों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए, ‘जनजातीय कार्य मंत्रालय’द्वारा अनेक स्कूलों की स्थापना का कार्य सराहनीय है। मुझे अन्य राज्यों में भी एकलव्य मॉडल स्कूलों के शिलान्यास और उद्घाटन का अवसर मिला है। ये सभी स्कूल भारत की भावी पीढ़ी के निर्माण में अमूल्य योगदान देंगे,यह मेरा दृढ़ विश्वास है। एकलव्य मॉडल स्कूलों की इस दूरदर्शी योजना को आगे बढ़ाते रहने के लिए मैं केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों और इन विद्यालयों से जुड़े सभी लोगों को बधाई देती हूं। मैं इन स्कूलों में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों के सुखद भविष्य की मंगल कामना करती हूं।
अंत में, तेलंगाना राज्य के सभी निवासियों के स्वर्णिम भविष्य हेतु शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए, मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!