भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन

पंतनगर : 07.11.2023

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गोविन्द बल्लभ पन्त विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर आज   यहां उपस्थित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। मैं उपाधि और पदक प्राप्त   करने वाले सभी विद्यार्थियों, उनके परिवारजनों और प्राध्यापकों को बधाई   देती हूँ। आज मंच पर पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में लड़कियों की   संख्या अधिक थी। यह trend मैं अन्य संस्थानों में भी देखती हूं। यह सुखद   बदलाव विकास पथ पर बढते हुए भारत का दर्शन है। मैं बेटियों को उनकी   उपलब्धि के लिए विशेष बधाई देती हूँ। 

दीक्षांत समारोह हर विद्यार्थी के लिए जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव होता है।   सभी विद्यार्थी, उनके परिवार के लोग और प्राध्यापक इस दिन अत्यन्त   उत्साह और गर्व का अनुभव करते हैं। आप सभी विद्यार्थी अवसरों और   चुनौतियों से भरी दुनिया में प्रवेश करने वाले हैं। विश्व प्रसिद्ध   विश्वविद्यालय अपने सशक्त alumni network की वजह से जाने जाते हैं।   मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस विश्वविद्यालय का alumni   network भी सशक्त है और एक दूसरे की मदद के लिए तत्पर रहता है।   यह network इस संस्थान को विश्व प्रसिद्धि की अग्रिम पंक्ति में ले जाए   ऐसी मेरी मनोकामना है। 

देवियो और सज्जनो, 

देश में कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने और कृषि क्षेत्र के विकास को नई दिशा   देने ले लिए तत्कालीन उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में वर्ष 1960 में इस  विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। देश का यह प्रथम कृषि विश्वविद्यालय,   शुरुआत से ही कृषि शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार के लिए उत्कृष्टता का केंद्र   बन गया था। मुझे यह भी बताया गया है कि 11000 एकड़ में फैला यह   विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से है। इस multi- disciplinary विश्वविद्यालय के परिसर में 8 महाविद्यालय कार्यरत हैं।   पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय को एक उत्कृष्ट Brand के रूप में जाना   जाता है। नोबेल पुरस्कार विजेता डॉक्टर नार्मन बोरलॉग ने पन्तनगर   विश्वविद्यालय को ‘Harbinger of Green Revolution’ का नाम दिया था।   नॉर्मन बोरलॉग द्वारा विकसित Mexican गेहूं की किस्मों का यहाँ परीक्षण   किया गया था। प्रयोगशाला के रूप में इस विश्वविद्यालय ने green   revolution की सफलता में प्रभावी भूमिका निभाई है। कृषि क्षेत्र से जुड़े   सभी लोग ‘Pantnagar seeds’ के बारे में जानते हैं। देश भर में किसान   और अन्य लोग ‘Pantnagar seeds’ पर आँख मूँद कर भरोसा करते थे।   ऐसा विश्वास अर्जित करना किसी भी संस्था के लिए विशेषतम उपलब्धि है।   आज भी पंतनगर विश्वविद्यालय में अनुसंधान के द्वारा विकसित किए गए   बीज देश भर में किसान फसल की गुणवत्ता और उपज बढ़ाने के लिए   इस्तेमाल करते हैं। मुझे विश्वास है कि पंतनगर विश्वविद्यालय देश के कृषि   क्षेत्र के विकास में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा। 

G. B. Pant विश्वविद्यालय ने कृषि शिक्षा, शोध व प्रसार के कार्यों में   विश्वस्तरीय योगदान दिया है। यह अत्यंत गर्व की बात है कि   विश्वविद्यालय ने विभिन्न फसलों, फलों व सब्जियों की कुल 346 उन्नत   किस्मों व पशुधन की 2 नस्लों का विकास किया है। मुझे बताया गया है कि   देश के विभिन्न कृषि संस्थानों ने हाल ही में disease resistant दलहनी   फसलों की 21 प्रजातियाँ विकसित की हैं जिनमें से 7 प्रजातियाँ पन्तनगर   विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई हैं। मैं इसके लिए विश्वविद्यालय के   सभी सदस्यों की सराहना करती हूँ और बधाई देती हूँ। मुझे विश्वास है कि   ये सातों प्रजातियां दलहन उत्पादन में क्रांति लाएंगी।

देवियो और सज्जनो, 

कृषि के क्षेत्र में किए जा रहे शोध को किसानों तक पहुंचाना और उससे कृषि   में उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाना कृषि विकास के लिए आवश्यक है। विश्वविद्यालय पिछले 6 दशकों से निरंतर यह कार्य कर रहा है और agricultural extension के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान रहा है। विभिन्न    climate resilient technologies के माध्यम से ग्रामीण समुदाय को    सहायता प्रदान की जा रही है। Sustainable agriculture की दिशा में    विश्वविद्यालय के ये प्रयास प्रशंसनीय हैं। 

मुझे बताया गया है कि विश्वविद्यालय को 3 बार प्रतिष्ठित पुरस्कार    ‘Sardar Patel Outstanding ICAR Institution Award’ से सम्मानित    किया जा चुका है। मेरे सामने यह तथ्य भी लाया गया है कि गोविंद बल्लभ    पंत विश्वविद्यालय भारत के उन श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में है जिन्होंने QS    World University Ranking 2022 में जगह बनाई है। मैं इस विशेष    उपलब्धि के लिए विश्वविद्यालय की पूरी टीम और विद्यार्थियों को बहुत- बहुत बधाई देती हूँ। 

एक उच्च स्तर के विश्वविद्यालय की पहचान वहाँ के reading culture और library से भी हो जाती है। मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय  की 5-storey world class library में 4.5 लाख से अधिक किताबें और  reading materials हैं। यह सराहनीय है कि ये reading materials  digitized form में भी उपलब्ध हैं। मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि यहाँ  विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों की पुस्तकें खरीदनी नहीं पड़ती और वे  library से ही semester की पुस्तकें issue करवा के पढ़ सकते हैं। इस  multi-disciplinary संस्थान के सभी वर्गों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण  शिक्षा सुलभता से उपलब्ध करवाने के इस प्रयास के लिए मैं यहाँ की पूरी  टीम को बधाई देती हूँ। 

देवियो और सज्जनो,

आज climate change और soil degradation जैसी समस्याओं से  निपटने के लिए दुनिया प्राकृतिक और जैविक खेती की ओर बढ़ रही है।  साथ ही eco-friendly food habits को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। पूरा  विश्व इस वर्ष को International Year of Millets के रूप में मना रहा है।  उत्तराखण्ड millets के उत्पादन में अग्रणी राज्य है। Millets को हमारी food  habits में प्राथमिकता प्रदान करने में इस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं,  वैज्ञानिकों व संकाय सदस्यों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। 

वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए latest technology का उपयोग  जरूरी है। यह सराहनीय है कि विश्वविद्यालय ने crop management,  nano-technology, organic farming आदि के माध्यम से digital  solutions in agriculture के क्षेत्र में नई पहल की है। Artificial  intelligence के क्षेत्र में भी विश्वविद्यालय पहल कर रहा है। मुझे बताया  गया है कि पन्तनगर विश्वविद्यालय ने अपना कृषि drone विकसित किया  है। यह drone कुछ ही मिनटों में कई hectare भूमि में spray कर सकता  है। इससे किसानों के समय की बहुत बचत होगी। इस उल्लेखनीय उपलब्धि  के लिये मैं पूरी टीम को बधाई देती हूँ एवं आशा करती हूँ कि drone  technology के लाभ शीघ्र ही किसानों तक पहुँचेंगे। 

देवियो और सज्जनो, 

शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर हो रहे तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक  विकास के साथ सामंजस्य की आवश्यकता है। शिक्षण संस्थानों को industry  ready स्नातक तैयार करने चाहिए जो रोजगार पैदा कर सकें और  technology driven world में प्रतिस्पर्धा कर सकें। आप सब विद्यार्थी देश  दुनिया में जहां भी काम करें, अपने विश्वविद्यालय और इस क्षेत्र को हमेशा  याद रखिए। अपने क्षेत्र के विकास में भी आपको अपना योगदान अवश्य  देना चाहिए। मुझे पता है कि यहाँ के आलू के पराँठे और फत्तू के समोसे  खाने तो आप यहाँ आते रहेंगे।

अंत में सभी उपाधि प्राप्त करने वाले और पदक विजेता विद्यार्थियों को मैं  फिर से हार्दिक शुभकामनाएँ देती हूँ। मेरी मंगल कामना है कि आप आगे  बढ़ते रहें और विश्व पटल पर भारत का नाम रोशन करते रहें।

धन्यवाद।    
जय हिन्द!    
जय भारत!

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