भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का वायु सेना अकादमी, डुंडीगल में संयुक्त स्नातक परेड के अवसर पर संबोधन

हैदराबाद : 17.06.2023

डाउनलोड : भाषण भारत की माननीया राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का वायु सेना अकादमी, डुंडीगल में संयुक्त स्नातक परेड के अवसर पर संबोधन(हिन्दी, 149.2 किलोबाइट)

भारतीय वायु सेना प्रशिक्षु अधिकारियों की संयुक्त स्नातक परेड में यहां आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। मैं भारतीय वायु सेना की विभिन्न शाखाओं में कमीशन प्राप्त करने वाले सभी प्रशिक्षुओं को बधाई देती हूं। सभी पुरस्कार विजेताओं और चैंपियन स्क्वाड्रन को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मेरी विशेष बधाई। मैं, मित्र देशों के प्रशिक्षुओं को भी बधाई देती हूं। उनकी भागीदारी से हमारे देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं।

मैं, कैडेटों के गौरवान्वित माता-पिता को भी बधाई देती हूं। उन्होंने अपने बेटों और बेटियों को करियर और जीवन में इस मुकाम को हासिल करने में बहुत सहयोग किया है। मैं कैडेटों की मेंटरिंग करने वाली अकादमी और अन्य संस्थानों के संकाय और प्रशिक्षण कर्मचारियों की भी प्रशंसा करती हूं।

मैं, बड़ी संख्या में परेड में शामिल कैडेटों और अचूक ड्रिल के लिए सराहना करती हूं। इसको देखकर पता चलता है की आपने निरंतर प्रशिक्षण और कड़ी मेहनत की है।

आपका करियर चुनौतीपूर्ण, लाभप्रद और अत्यधिक सम्मानजनक है। आपको उन लोगों की महान विरासत को आगे बढ़ाना है जो आपसे पहले भारतीय वायुसेना में सेवा दे चुके हैं। वर्ष 1948, 1965 और 1971 में विरोधी पड़ोसी देशों के साथ युद्धों में देश की रक्षा करने में भारतीय वायु सेना के वीर योद्धाओं द्वारा निभाई गई महान भूमिका स्वर्ण अक्षरों में लिखी गई है। उन्होंने कारगिल संघर्ष में और बाद में बालाकोट में आतंकवादी ठिकाने को नष्ट करने के इसी संकल्प और कौशल का प्रदर्शन किया। इसीलिए भारतीय वायु सेना की पेशेवर, समर्पण और आत्म-बलिदान की एक प्रसिद्ध प्रतिष्ठा है। प्रतिकूलताओं में भी जीत हासिल करने के लिए आपको उसी दृढ़ संकल्प को अपनाना चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

भारतीय वायु सेना मानवीय सहायता और आपदा राहत में भी योगदान देती है। हाल ही में तुर्की और सीरिया में आए भूकंप के दौरान प्रतिकूल मौसम होते हुए भी चिकित्सा सहायता और आपदा राहत प्रदान करने के लिए भारतीय वायु सेना ने तुरंत कार्रवाई की। इससे पहले, काबुल में फंसे 600 से अधिक भारतीयों और अन्य राष्ट्र के नागरिकों को शत्रुतापूर्ण वातावरण में उड़ान भरकर और उतरकर एयरलिफ्ट करने का सफल बचाव अभियान चलाना, भारतीय वायु सेना की उच्च क्षमताओं का प्रमाण है। कोविड -19 के कारण हुई आपदा से निपटने में भी भारतीय वायुसेना ने बचाव उपकरणों के साथ- साथ राहत और बचाव दलों की एयरलिफ्ट सुनिश्चित करके सराहनीय योगदान दिया है।

देवियो और सज्जनो,

हमारे रक्षा बल मिलकर भूमि सीमाओं, बड़े समुद्र तट और प्रादेशिक जल क्षेत्र और विशाल हवाई क्षेत्र की रक्षा करते हैं। थल,जल और वायु क्षेत्र में रक्षा तैयारियों के लिए तीव्र गति से प्रौद्योगिकी को अपनाने की क्षमता आवश्यक है। सशस्त्र बलों के प्रत्येक अधिकारी को रक्षा तैयारियों के एकीकृत परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर चलना होगा।

मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि हमारी वायु सेना समग्र सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए नेटवर्क-केंद्रित भविष्य के युद्ध क्षेत्र में उच्च तकनीकी युद्ध करने की चुनौतियों सहित सदैव तैयार रहने, विशेष रूप से भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए कदम उठा रही है। इस संदर्भ में, राफेल लड़ाकू विमान, अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और चिनूक हैवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर को शामिल करके वायु सेना का आधुनिकीकरण किया जाना हमारी परिचालन क्षमताओं को मजबूत करता है। मुझे आत्म-निर्भर भारत के राष्ट्रीय एजेंडे को साकार करने के लिए रक्षा मंत्रालय के स्वदेशीकरण के प्रयासों के बारे में जानकर भी प्रसन्नता हुई है।

देवियो और सज्जनो,

मुझे खुशी है कि भारतीय वायु सेना अब सभी भूमिकाओं और शाखाओं में महिला अधिकारियों को शामिल कर रही है। महिला लड़ाकू पायलटों की पर्याप्त संख्या है और इसका बढ़ना तय है।

अप्रैल 2023 में, मैंने असम के तेजपुर वायु सेना स्टेशन में सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी। वायु सेना स्टेशन पर लौटने से पहले मैंने हिमालय के शानदार दृश्य के साथ ब्रह्मपुत्र और तेजपुर घाटियों को कवर करते हुए लगभग 30 मिनट तक उड़ान भरी। समुद्र तल से लगभग दो किलोमीटर की ऊंचाई पर करीब 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ना वास्तव में मेरे लिए एक शानदार अनुभव था।

भारतीय वायु सेना के प्यारे युवा अधिकारियों,

अब आप वे "लड़के" और "लड़कियां" नहीं रहेंगे जो इस अकादमी में प्रशिक्षु के रूप में आए थे। अब आप "अधिकारी" बनने जा रहे हैं, जो चुनौतियों का सामना करने और ज़िम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं। वायु सेना का एक बहुत ही प्रेरक आदर्श वाक्य है "टच द स्काई विद ग्लोरी", "नभः स्पृशं दीप्तम्"। मुझे विश्वास है कि आप इस आदर्श वाक्य की भावना को आत्मसात करेंगे और राष्ट्र की उम्मीदें पर खरा उतरेंगे। मैं आप सभी के एक रोमांचक और सफल कैरियर और उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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