भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का संबोधन।
चेन्नई : 27.10.2023
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भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आकर मुझे खुशी हो रही है। मैं, आज डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई देती हूं।
हमारे देश के सबसे बड़े समुद्री विश्वविद्यालय के रूप में, भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय और इसके संबद्ध कॉलेजों ने उत्कृष्ट विशेषज्ञ, पेशेवर और लीडर्स तैयार किए हैं। और मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी के रूप में, आप उन उद्यमशील और प्रतिभाशाली कर्मियों की में शामिल हो गए हैं, जिनके कार्य, नेतृत्व और बुद्धिमत्ता ने समुद्री गतिविधियां बढ़ाने में उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
समुद्र के साथ मानव संबंध तब से है जब हमारे पूर्वजों ने पहली बार समुद्र को देखा था। महासागरों द्वारा मानव सभ्यता के विकास में निभाई गई भूमिका की कल्पना भी करना संभव नहीं है। विशाल जल शक्ति से हमें रहस्य और गहनता, कहानियाँ और परंपराएँ, संसाधन और खनिज प्राप्त हुए हैं।
देवियो और सज्जनो,
आपने यह कहावत सुनी होगी की, "जो लहरों पर राज करता है, वह दुनिया पर राज करता है"। इतिहास के एक सरसरी और संक्षिप्त अध्ययन से ज्ञात होता है कि जो भी महासागरों से मिलकर चलता है उसकी पूरी दुनिया तक पहुंच आसान हो जाती है। भारत को कांडला से कोलकाता तक उपलब्ध बंदरगाहों से समुद्री मार्ग उसे शेष विश्व के सभी हिस्सों से जोड़ते हैं। सड़कों या वायुमार्गों से बहुत पहले; व्यापार, संस्कृति, लोग और विचारधाराएँ आमतौर पर समुद्र के रास्ते चलते रहे हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण सिंधु घाटी सभ्यता के बंदरगाह शहर लोथल में दुनिया के ज्ञात सबसे डॉक्स में से एक है। यह एक संपन्न व्यापार केंद्र था, जिसके रास्ते मोतियों, रत्नों और आभूषण पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक पहुँचते थे।
दक्षिण भारत के पल्लव वंश के पास एक शक्तिशाली नौसेना थी। 10वीं और 11वीं शताब्दी में, चोल की समुद्री शक्ति और कौशल बेजोड़ थे, जिसने हमारे व्यापार और परंपराओं को दूर-दूर तक फैलाया। तमिलनाडु समुद्री यात्रियों की भूमि रही है। दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण भारत के बीच वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संपर्कों के प्रमाण मिले हैं। दक्षिणी भारत के चोल, चेर और पांड्यों ने सुमात्रा, जावा, मलाया प्रायद्वीप, थाईलैंड और चीन के स्थानीय शासकों के साथ समुद्री व्यापार संबंध बनाए थे। ओडिशा, जिसे उस समय कलिंग के नाम से जाना जाता था, के लोग भी समुद्री मार्गों से दक्षिण पूर्व एशिया तक यात्रा करते थे। बाली यात्रा की परंपरा आज भी ओडिशा में लोकप्रिय है और यह अक्तूबर-नवंबर में लगभग एक सप्ताह तक आयोजित की जाती है।
देवियो और सज्जनो,
7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और 1,382 अपतटीय द्वीपों के साथ भारत की असाधारण समुद्री स्थिति है। महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों पर रणनीतिक स्थान के अलावा, हमारे पास 14,500 किलोमीटर लंबे महत्वपूर्ण जलमार्ग भी हैं। हमारे देश के समुद्री क्षेत्र के व्यापार और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि देश का 95 प्रतिशत व्यापार मात्रा के हिसाब से और 65 प्रतिशत व्यापार मूल्य के हिसाब से समुद्री परिवहन के जरिये किया जाता है। तटीय अर्थव्यवस्था से 4 मिलियन से अधिक मछुआरे भाई-बहनों का भरण-पोषण होता है और भारत लगभग 2,50,000 मछली पकड़ने वाली नौकाओं के बेड़े वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है।
हालाँकि, यह सभी क्षेत्रों के लिए लागू होता है, हमें सोचना चाहिए कि क्या हमने इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का दोहन कर लिया है। पुराने समय में, रूढ़िवादी आशंकाओं के कारण समुद्र पार नहीं करना महंगा पड़ा है। फिर, 200 वर्षों के औपनिवेशिक शासन से बाहर आकर, हम महाद्वीपीय विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करने लगे, यह भूल गए कि महाद्वीपीय विकास और समुद्री विकास परस्पर पूरक हैं। निःसंदेह, हमारे पास पूरी तरह से एक मजबूत समुद्री पकड़ बनाने के लिए आर्थिक और औद्योगिक संसाधनों की भी कमी रही।
इससे पहले कि हम इस क्षेत्र की क्षमता का पूरी तरह से दोहन कर सकें, हमें कई चुनौतियों को पार करना होगा। उदाहरण के लिए, गहराई के प्रतिबंध के कारण बहुत सारे कंटेनर मालवाहक जहाज को पास के विदेशी बंदरगाहों की ओर मोड़ दिया जाता है। व्यापारिक और नागरिक जहाज निर्माण उद्योग में, हमें दक्षता, प्रभावकारिता और प्रतिस्पर्धात्मकता के उच्चतम मानकों का लक्ष्य लेकर चलना होगा। भारतीय बंदरगाहों की परिचालन दक्षता और टर्न-अराउंड समय वैश्विक औसत बेंचमार्क के अनुसार किया जाना जरूरी है। जब वर्ष में जलयान के, रास्ते में बंदरगाह पर ठहरने की बात आती है तो भारत शीर्ष 20 देशों में नहीं आता है। दुनिया भर के 50 सर्वश्रेष्ठ कंटेनर बंदरगाहों की सूची में, हमारे पास केवल दो बंदरगाह हैं। भारतीय बंदरगाहों को अगले स्तर पर पहुंचने से पहले बुनियादी ढांचे और परिचालन संबंधी चुनौतियों का समाधान करना होगा। हमारे मछली पकड़ने की प्रक्रिया में मशीनी व्यवस्था को लाना आवश्यक है।
इस संदर्भ में, सागरमाला कार्यक्रम "बंदरगाह विकास" से "बंदरगाह-आधारित विकास" की ओर उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। सागरमाला परिकल्पित कार्यक्रम "बंदरगाह-आधारित विकास" के पांच स्तंभ बंदरगाह आधुनिकीकरण, बंदरगाह कनेक्टिविटी, बंदरगाह-आधारित औद्योगीकरण, तटीय सामुदायिक विकास और तटीय शिपिंग या अंतर्देशीय जल परिवहन हैं। इस महीने की शुरुआत में, ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट के तीसरे संस्करण में 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ, इससे 'अमृत काल विजन 2047' को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, भारत सरकार 'समृद्धि के लिए बंदरगाह और प्रगति के लिए बंदरगाह' के अपने दृष्टिकोण को साकार करने के लिए कार्य कर रही है।
देवियो और सज्जनो,
भारत और भारतवासी न केवल शिपिंग कंपनियों, वैश्विक बंदरगाहों और केंद्रों का प्रबंधन और जहाजों को चला रहे हैं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का संचालन भी कर रहे हैं। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद, अब हम 'समुद्रयान' मिशन की तैयारी कर रहे हैं, जो 6,000 मीटर गहरे समुद्र जल का पता लगाने और गहरे समुद्र के संसाधनों और जैव विविधता मूल्यांकन का अध्ययन करने वाला एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है।
हमारे समय की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक जलवायु आपदा है, जिसमें बढ़ता तापमान और समुद्र के स्तर की चुनौतियाँ भी शामिल हैं। समुद्री क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन और शमन के लिए मुस्तैद, सक्रिय और तेज बनाने की आवश्यकता है, इससे विशेषकर कमजोर समुदायों की आजीविका को खतरा है।
प्रिय विद्यार्थियो,
स्नातक होना किसी के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाता है। यह एक शिक्षार्थी का अभ्यासकर्ता बनने प्रतीक है, जो बड़ी चुनौतियों का सामना करता है और राष्ट्र और समाज के प्रति अधिक जिम्मेदारियाँ उठाता है। आपकी यह न केवल व्यावसायिक जिम्मेदारी है बल्कि पारिस्थितिकी और पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति दायित्व भी है। आज समय की मांग है कि नौवहन सहित समुद्र संबंधी स्थाई और कुशल गतिविधियां की जाएँ। स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महासागर में अधिक सक्रिय और हरित प्रथाएं अपनाना आवश्यक है।
सबसे नया केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक होने के बावजूद, भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय ने अपनी योग्यता साबित की है। आईएमयू के पास समुद्री क्षेत्र से संबंधित सभी मामलों में और अधिक कार्य करने और लाइटहाउस बनने की क्षमता, संकाय और विशेषताएं मौजूद हैं। इसमें समुद्री शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण, शैक्षणिक भागीदारी और क्षमता निर्माण के लिए विश्व स्तर पर प्रशंसित उत्कृष्टता केंद्र बनने की क्षमता है, जबकि समुद्री कानून, महासागर प्रशासन और समुद्री विज्ञान जैसे संबद्ध विषयों में अपनी विशेषज्ञता का विस्तार करने की क्षमता है।
आप सब की ज़िम्मेदारी कई अन्य व्यवसायों में इस उम्र में निभाई जाने वाली ज़िम्मेदारी से अधिक है, और आपको इसे निभाने के लिए तैयार रहना है। आप सब के पास अक्सर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपनी टीम के सदस्यों का मार्गदर्शन करने के लिए आवश्यक नेतृत्वकारी गुण होने चाहिए। एक मर्चेंट नेवी अधिकारी के रूप में, आप सब के पास पेशे की मांगों को पूरा करने के लिए विशेष गुण होने चाहिए, जैसे कि घर से कई महीने दूर रहना और अन्य क्रू सदस्यों के साथ रहना। मुझे विश्वास है कि आप सब में पहले से ही ये सभी गुण हैं और आप अपना कार्यभार संभालने में पूरी तरह सक्षम हैं।
मैं, एक बार फिर डिग्री प्राप्त करने वालों और स्वर्ण पदक विजेताओं को बधाई देती हूं और शुभकामनाएं देती हूं। मेरी प्रार्थना है की परमात्मा आपके जीवन में आने वाले झंझावातों का सामना करने की शक्ति दे! आप अपनी संस्था और देश का नाम रोशन करें।
धन्यवाद।
जय हिन्द!
जय भारत!