भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलोर के स्वर्ण जयंती स्थापना सप्ताह समारोह के उद्घाटन के अवसर पर संबोधन।

बेंगलुरु : 26.10.2023

डाउनलोड : भाषण भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलोर के स्वर्ण जयंती स्थापना सप्ताह समारोह के उद्घाटन के अवसर पर संबोधन।(हिन्दी, 226.08 किलोबाइट)

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मुझे आईआईएम बैंगलोर जैसे प्रमुख संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर उपस्थित होकर वास्तव में खुशी हो रही है।

वर्ष 1973 में अपनी स्थापना के पश्चात आईआईएम बैंगलोर प्रबंधन, प्रतिभा और संसाधनों का पोषण और संवर्धन कर रहा है। पिछले 50 वर्षों में, इसने न केवल प्रबंधकों को बल्कि प्रमुखों, नवप्रवर्तकों, उद्यमियों और चेंज-मेकर्स को भी तैयार किया है। इस संस्थान में प्रदान की जाने वाली शिक्षा न केवल बोर्डरूम, कार्यस्थल और बाज़ार में बल्कि जीवन के हर संभव और बोधगम्य क्षेत्र में समस्याओं, चुनौतियों और मुद्दों से निपटने के लिए उत्तम मेधाओं को तैयार करती है।

आईआईएम बैंगलोर के लोगो में लिखा है "तेजस्वि नावधीतमस्तु", जिसका अनुवाद है "आओ अपने ज्ञान को शिक्षात्मक बनाएं"। और यह अतिशयोक्ति नहीं होगी यह विचार आईआईएम बैंगलोर की विरासत के लिए सर्वथा उचित और सुसंगत है। यह संस्था न केवल अपने विद्यार्थियों को पेशेवर रूप से कुशल बनाती है, और उपकरण और संसाधन दान करती है, बल्कि उन्हें आत्म-विकास और ज्ञानोदय की ओर भी ले जाती है, और उन्हें अपने भीतर छिपी प्रतिभा से रूबरू होने में मदद करती है।

मुझे बताया गया है कि आईआईएम बैंगलोर का लक्ष्य व्यवसाय, सरकार और समाज के लिए प्रबंधन, नवाचार और उद्यमिता में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने वाला एक वैश्विक, प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान बनना है। इस प्रतिष्ठित संस्थान का विजन और मिशन महानतम है जो भविष्य के वे दरवाजे खोलता है जो आपको सकारात्मक परिवर्तन और सच्चाई से कार्य करने का बल देता है।

देवियो और सज्जनो,

अपनी स्थापना से ही व्यावसायिकता, दक्षता और योग्यता, वे मान्य विशेषताएं रही हैं जिन पर आईआईएम बैंगलोर हमेशा खरा उतरा है और अपनी योग्यता साबित की है। ग्यारह विषय क्षेत्रों और उत्कृष्टता के दस केंद्रों के साथ, इसने नवाचार और क्षमता निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई है और शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में स्थाई प्रभाव डाला है। मुझे बताया गया है कि आईआईएम बैंगलोर बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करके प्रौद्योगिकी-सक्षम शिक्षा का उपयोग करके गहन सामाजिक प्रभाव डाल रहा है। मैं, आईआईएम बैंगलोर को भारत सरकार के ऑनलाइन शिक्षा मंच SWAYAM के लिए प्रबंधन शिक्षा का समन्वय संस्थान होने पर बधाई देती    
हूं, जो उन विद्यार्थियों की मदद करके डिजिटल विभाजन को समाप्त करने के लिए बनाया गया है जो डिजिटल क्रांति से वंचित रह गए हैं और ज्ञान-व्यवस्था की मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाए हैं।

भारत एक युवा और गतिशील जनसांख्यिकी वाला देश है। इसलिए, आईआईएम बैंगलोर के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय फेलोशिप कार्यक्रम के माध्यम से सार्वजनिक नीति अनुसंधान और युवाओं के कौशल विकास के क्षेत्र में किया गया कार्य न केवल आवश्यक है, बल्कि सराहनीय भी है।

देवियो और सज्जनो,

हम एक ऐसे रोमांचक दौर में रह रहे हैं जो चौथी औद्योगिक क्रांति का युग है। आईआईएम बैंगलोर के डेटा सेंटर और एनालिटिकल लैब द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में किए जा रहे कार्य का व्यापार और अर्थव्यवस्था के भविष्य पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

मुझे बताया गया है कि महामारी के दौरान जब दुनिया मानव इतिहास की सबसे खराब और अप्रत्याशित त्रासदियों में से एक त्रासदी से जूझ रही थी, तब एन.एस. राघवन सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरियल लर्निंग ने राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से एक ऑनलाइन महिला उद्यमिता कार्यक्रम चलाया। इसमें हजारों महिला उद्यमियों ने भाग लिया। एनएसआरसीईएल द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रारंभिक सहयोग से डिजाइन और वितरित किया गया महिला स्टार्ट-अप कार्यक्रम वास्तव में सराहनीय है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि एनएसआरसीईएल ने अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अब तक लगभग 3,000 महिला उद्यमियों को लाभ पहुंचाया है।

देवियो और सज्जनो,

आप सब ने यहां तक ​​आने के लिए अनेक बाधाओं और चुनौतियों को पार किया है और बहुत बड़ा त्याग किया है। इस प्रतिष्ठित संस्थान में आपकी उपस्थिति आप सब की प्रतिभा की पुष्टि करती है और यह आप सब की योग्यता की पहचान है। आप सब ने अपने जीवन में उल्लेखनीय उपलब्धियां और सफलता हासिल की है। देश और समाज को आप पर गर्व है। लेकिन यह जान लेना भी जरूरी है कि आप उस जिम्मेदारी को भी समझें जो इन उपलब्धियों से जुड़ी है।

आपको अपने उन साथियों को याद रखना है जो आईआईएम में नहीं आ सके, इसलिए नहीं की उन सब में योग्यता, गुण या प्रतिभा की कमी थी। भाग्य और प्राप्ति की असमानता जैसे कई कारक हैं जो सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसीलिए, विनम्रता का पाठ दुनिया के प्रतिष्ठित संस्थानों के विद्यार्थियों को उनके सामाजिक और नैतिक दायित्वों के बारे में अधिक जागरूक बनाने के लिए सिखाया जा रहा है।

अपनी उत्कृष्टता और क्षमता के लिए मशहूर आईआईएम बैंगलोर को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। इस टैग के साथ इस संस्था पर भरोसा जताया गया है तथा इस संस्थान से बड़ी आशा है और इस पर बड़ा विश्वास है। इस संस्थान में प्रतिभा, आकांक्षाओं और अच्छे इरादों से मिल जाती है। आप सब को देशवासियों के विश्वास को बनाए रखना है।

पिछले साल हम सब ने देश के साथ मिलकर आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया था। यह हमें याद दिलाता कि हमने पिछले 75 वर्षों में क्या हासिल किया है। इस यात्रा में आप सब का योगदान अतुलनीय है। हमारे सामूहिक प्रयासों के कारण ही हम आज पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। हमारा एक संपन्न और सुचारू रूप से कार्य करने वाला लोकतंत्र हैं। हम चाँद पर पहुँच गए और अब हम सूरज की ओर जाने को तैयार हैं। हमारी विकास गाथा ऐसी है जो दुनिया को आश्चर्यचकित और प्रेरित करती है।

देवियो और सज्जनो,

हमें सचेत रहना है और ढील नहीं बरतनी है। आज दुनिया गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है, चाहे वह जलवायु परिवर्तन का अस्तित्व संबंधी वास्तविक संकट हो या बिगड़ती मूल्य व्यवस्था की अमूर्त नैतिक चुनौती हो। पाशविक व्यावसायिकता में संघर्षरत विश्व को, भारत "वसुधैव कुटुंबकम" का एक वैकल्पिक दृष्टिकोण देता रहा है।

आपमें से जो दुनिया के भावी संपत्ति सृजक बनने जा रहे हैं, उनको, मैं कहना चाहूंगी कि आप महात्मा गांधी के जीवन-पाठों से सीखें जो व्यवसाय की नैतिकता से मेल खाते हैं गांधीजी के लिए नैतिकता को अपनाए बिना सफलता प्राप्त करना पाप के समान था। गांधीजी के अनुसार यह भी पाप कर्म हैं:

कर्म के बिना धनार्जन    
आत्मा के बिना सुख    
चरित्र के बिना ज्ञान    
नैतिकता के बिना व्यापार

देवियो और सज्जनो,

छोटे उद्देश्य और लक्ष्य नहीं रखें, आपकी आकांक्षाओं की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए। अपने पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में उत्कृष्टता का लक्ष्य रखें, और आईआईएम बैंगलोर की महान विरासत के अनुरूप जीवन जीएं। जिस संसार में आप सब रह रहे हैं उसके बारे में शिकायत नहीं करें बल्कि एक ऐसा संसार बनाएं जहां आने वाली पीढ़ियों को शिकायत नहीं रहे बल्कि वे सद्भाव, आशावाद, समृद्धि और समानता के साथ रह सकें।

धन्यवाद,    
जय हिन्द!    
जय भारत!    
 

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