भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 64वें एनडीसी पाठ्यक्रम के सदस्यों द्वारा मुलाकात के अवसर पर संबोधन।
राष्ट्रपति भवन : 01.10.2024
डाउनलोड : भाषण (हिन्दी, 77.48 किलोबाइट)
आज आप सब से मिलकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। मुझे इस सभा में भारतीय सशस्त्र बलों और सिविल सेवाओं के अधिकारियों को एक साथ देखकर भी प्रशंसा हो रही है। मैं, विदेशी मित्र देशों के अधिकारियों का स्वागत करती हूं।
मुझे बताया गया है कि आपके पाठ्यक्रम में विभिन्न मॉड्यूल शामिल हैं, जिनमें आपको रणनीतिक कौशल पर ध्यान देना और आपको शासन, भू-राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक क्षेत्रों में विशेष ज्ञान रखने वाले अधिकारियों के रूप में तैयार करना है। यहाँ उपस्थित कुछ अधिकारियों द्वारा साझा किए गए समृद्ध अनुभवों को सुनने के बाद, मैं कह सकती हूं कि इस प्रशिक्षण से आप सबको विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की पर्याप्त समझ हासिल हुई है। इससे आपको अपने कामकाज के क्षेत्रों में सुविचारित नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, मुझे बताया गया है कि एनडीसी में सीखने के लिए एक समग्र और वैज्ञानिक पद्धति अपनाई जाती है। मुझे विश्वास है कि ज्ञान प्राप्त करने के अलावा, आपका व्यक्तित्व अनुसंधान कार्य, कक्षा चर्चा, प्रख्यात वक्ताओं की अंतर्दृष्टि और जमीनी स्तर पर अनुभव के माध्यम से भी बड़ा हुआ है। मुझे विश्वास है कि इस पाठ्यक्रम से सुरक्षा संबंधी और रणनीतिक मुद्दों के क्षेत्र में आने वाली विविध चुनौतियों का सामना करने के लिए आपको बहुत लाभ मिलेगा। मुझे उम्मीद है कि इस अनूठे अनुभव से आपको बौद्धिक रूप से मजबूती मिलेगी और आप सब जानकार अधिकारी बनेंगे जिससे आप महत्वपूर्ण निर्णय ले सकेंगे।
प्रिय अधिकारियों,
जैसा कि आप जानते हैं, इस सक्रिय वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण से कई चुनौतियाँ सामने आती हैं। हाल के दिनों में जिस तेज गति से घटनाएं सामने आई हैं, शायद एक दशक पहले इसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। इस प्रकार, सभी अधिकारियों को, चाहे वे सिविल सेवाओं के हों या रक्षा सेवाओं के, उन्हें सामने आने वाली चुनौतियों और कमजोरियों का पता होना चाहिए, और उन तरीकों के बारे में पता होना चाहिए जो ऐसी चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकते हैं। एक शक्ति जो आपके पास होनी आवश्यक है और जिसके बिना अपने संगठनों, देशों और समग्र रूप से मानव जाति की भलाई के लिए आप कुछ नहीं कर सकते, वह है प्रौद्योगिकी की जानकारी और उसका उपयोग करने में सक्षम होना। टेक्नोलॉजी में तेज गति से विकास हो रहा है और इसके साथ चलना जरूरी है। चाहे वह कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विज्ञान, मशीनी भाषा प्रसंस्करण का क्षेत्र हो या ब्लॉकचेन का क्षेत्र हो, आपको इन तकनीकों के बारे में जागरूक रहना होगा और अधिक कुशल, पारदर्शी और कार्य उत्पादक संस्कृति बनाने के लिए अपने विभागों में उनका प्रयोग करना है।
नवाचार एक ऐसा कारक है जो आपको भविष्य के लिए तैयार रखेगा। हर देश अपने कार्यों में अपने राष्ट्रीय हितों और उद्देश्यों के आधार पर चलता है। कभी-कभी आपको अप्रत्याशित परिस्थितियों और संकट का सामना करना पड़ता है किन्तु ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए आप स्वयं को हमेशा तैयार रखें, इसके लिए नवोन्मेषी होने, साधन सम्पन्न बनने तथा सहयोग के लिए उपलब्ध रहना आवश्यक है। इस संदर्भ में इस पाठ्यक्रम की उपयोगिता और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
प्रिय अधिकारियों,
आज, हमारे सुरक्षा संबंधी सरोकार में क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण के अलावा राष्ट्रीय कल्याण के अन्य क्षेत्रों जैसे आर्थिक, पर्यावरण, ऊर्जा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी सम्मिलित हैं। इन सरोकारों के समाधान के लिए गहन अनुसंधान की आवश्यकता है और समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
यहां मैं साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर प्रकाश डालना चाहूंगी। साइबर हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं। साइबर हमलों से निपटने और उनका सामना करने के लिए उच्च-स्तरीय तकनीकी उपायों के साथ-साथ पूर्ण प्रशिक्षित और विशेषीकृत मानव संसाधन और मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो देश के सभी क्षेत्रों के संपूर्ण शासन ढांचे को प्रभावित करता है। यह वह क्षेत्र है जहां सिविल सेवाओं और सशस्त्र बलों को ऐसे हमलों से निपटने में सक्षम एक सुरक्षित राष्ट्रव्यापी प्रणाली बनाने के लिए मिलकर कार्य करना चाहिए। तकनीकी विकास के कारण देशों के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे की स्थापना और उपयोग करना अनिवार्य हो गया है। शासन व्यवस्था में भारी मात्रा में डेटा और संवेदनशील जानकारी उपलब्ध है जिसकी सुरक्षा किया जाना आवश्यक है।
इसलिए, मैं आप सब से आग्रह करती हूं कि इस मुद्दे को गंभीरता से लें और इसके समाधान के लिए ठोस उपाय करें।
प्रिय अधिकारियों,
सशस्त्र बलों का कार्य पारंपरिक सैन्य मामलों से बढ़कर विस्तारित हो गया है। आज यह साफ हो चुका है कि भविष्य के संघर्षों से निपटने के लिए बहु-राज्य और बहु-एजेंसी दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा यह है कि विभिन्न संगठन और विभाग अलग-अलग रहकर कार्य करते हैं। इससे एक ओर, बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करना कठिन हो जाता है, वहीं दूसरी तरफ विभिन्न विभागों द्वारा समान कार्य किए जाने के कारण संसाधन समाप्त होते हैं। यह भी देखा गया है कि एक ही विभाग में कार्य करने वाले अधिकारी प्रणालीगत चूक अथवा कार्य का स्पष्ट निर्धारण नहीं होने के कारण कार्य ओवरलैप होता जाता है। इसलिए, यह पाठ्यक्रम करने के बाद अधिकारी सहयोग से कुशलतापूर्वक कार्य करने में सक्षम हो पाते हैं।
इसके अलावा, पाठ्यक्रम के दौरान विदेशी प्रतिभागियों के साथ घनिष्ठ परस्पर बातचीत से, अनेक अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर आपके दृष्टिकोण में विस्तार हुआ होगा। इस पाठ्यक्रम से उच्चतम स्तर पर पूर्व छात्रों द्वारा बातचीत के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि वर्तमान पाठ्यक्रम के प्रतिभागी भविष्य में इन संबंधों को आगे बढ़ाएंगे।
मैं, एक बार फिर 64वें एनडीसी कोर्स के सभी प्रतिभागियों और उनके परिवारो-जनों को बधाई देती हूं। मुझे विश्वास है कि आप राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और अपने देशों में समग्र और रणनीतिक नीतियां की एक मजबूत संरचना विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
मैं आप सब के सफल भविष्य की कामना करती हूं। मुझे आशा है कि आप अपने देशों में राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय का नाम रोशन करेंगे।
धन्यवाद!
जय हिंद!
जय भारत!