भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का सेंट जोसेफ विश्वविद्यालय के उद्घाटन के अवसर पर संबोधन

बेंगलुरु : 27.09.2022

डाउनलोड : भाषण भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का सेंट जोसेफ विश्वविद्यालय के उद्घाटन के अवसर पर संबोधन(हिन्दी, 501.98 किलोबाइट)

मुझे, आज यहां सेंट जोसेफ विश्वविद्यालय के उद्घाटन के मौके पर आकर बहुत खुशी हो रही है। पिछले 140 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में आपकी संस्था ने निरंतर सेवा प्रदान की है इसलिए आप सब के लिए यह गर्व का क्षण होना चाहिए। वर्ष 1882 में एक कॉलेज के रूप में साधारण शुरुआत करके, आज यह कॉलेज एक अग्रणी संस्थान के रूप में उभरा है। मुझे बताया गया है कि संस्थान ने शिक्षा के उच्च मानक बनाए हुए है, यह प्रशंसनीय है। आपके संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान करना सदैव उचित है। मैं इस संस्था से जुड़े आप सभी लोगों को इस उपलब्धि के लिए बधाई देती हूं।

सेंट जोसेफ विश्वविद्यालय ने उच्च शैक्षणिक मानक स्थापित करके अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की है औरयह co-curricular गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय के कला,विज्ञान, खेल, सशस्त्र बलों और सार्वजनिक जीवन के क्षेत्र में कई प्रतिष्ठित एल्युमिनी दिए हैं। किसी संस्थान की सफलता उसके छात्रों की सफलता में झलकती है। इस भाग्यशाली संस्थान की पूर्व छात्रों की एक प्रभावशाली सूची है।

देवियो और सज्जनों

शिक्षा, सामाजिक परिवर्तन का सबसे सशक्त माध्यम है। हमारे विश्वविद्यालयों को परिवर्तनकर्ताओं की भूमिका निभानी होगी। यह शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे छात्रों को इस तरह प्रशिक्षित और तैयार करें कि वे भविष्य की मांगों के लिए तैयार रहें। संक्षेप में, हमें विद्यार्थियों को भविष्य के लिए तैयार करना होगा।

आज का युवा आकांक्षी है। हमारे विश्वविद्यालयों को उनकी विविध आकांक्षाओं के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। इसके लिए लीक से हटकर सोचने की जरूरत है। इस तरह की सोच से सीखने के समृद्ध अनुभव और रचनात्मक समाधान सामने आ सकते हैं।

लागू की जा रही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, शिक्षाविदों को बदलती जरूरतों के साथ अपने को बदल लेने का ही एक ऐसा प्रयास है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति समालोचनात्मक सोच और नवाचार पर भी जोर देती है। इस नीति के अनुसार, शिक्षा से अभिप्राय रट्टा लगाकर सीखने के स्थान पर समालोचनात्मक सोच प्रदान करना है।

आज की दुनिया, युवा पीढ़ी के लिए अपार अवसरों से भरी है। तथापि, आधुनिक दुनिया में आवश्यक कौशल बहु-आयामी हैं। साइलो में काम करने और पढ़ने का तरीका प्रभावी नहीं रहेगा। उभरती मांगों को पूरा करने के लिए इसे एक बहु-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए।

विज्ञान और गणित के अलावा, एक व्यापक पाठ्यक्रम में कला और शिल्प, मानविकी, खेल और फिटनेस, भाषा और साहित्य, संस्कृति और मूल्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए। ऐसा एकीकृत पाठ्यक्रम छात्रों में सर्वांगीण क्षमताओं को विकसित करने में मदद करेगा। मुझे उम्मीद है कि सेंट जोसेफ विश्वविद्यालय अपने अनेक विशिष्ट स्कूलों के माध्यम से छात्रों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।

देवियो और सज्जनों,

अगले दशकों में भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा युवा आबादी होगी। उन्हें उच्च गुणवत्ताफरक वाले शैक्षिक अवसर प्रदान करने की हमारी क्षमता उनके और हमारे देश के भविष्य को निर्धारित करेगी। हमारे कई छात्र उच्च शिक्षा और शोध के लिए पश्चिम की ओर आशा से देखते हैं। हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि हमारे विश्वविद्यालय विश्व के विश्वविद्यालयों जैसे हों, ताकि हमारे छात्रों को पूरे विश्व में अवसर मिलें। कई भारतीय संस्थानों ने अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भी जगह बनाई है। लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। प्रत्येक भारतीय शिक्षण संस्थान का लक्ष्य विश्वस्तरीय शिक्षा केंद्र बनना होना चाहिए। मुझे विश्वास है कि अगर हम आज सही कदम उठाते हैं तो हमारा देश निश्चित रूप से एक knowledge super-power के रूप में उभरेगा, जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में परिकल्पना की गई है।

प्रिय छात्रों,

राष्ट्रीय विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास आवश्यक है। लेकिन, विकास का अंत विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर ही समाप्त नहीं होता है। यह एक लक्ष्य तक पहुँचने का साधन है। बड़ा लक्ष्य जनता का कल्याण करना है, विशेषकर उन लोगों का कल्याण करना जो समाज के सबसे निचले तबके के हैं।

आजादी के बाद, हमारे देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में मिली सफलताओं की मदद से बड़े सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हुए हैं। कृषि क्षेत्र में 'हरित क्रांति'से लेकर वर्तमान आईटी और दूरसंचार क्रांतियों तक, सभी से हमारे देश के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने में भारी बदलाव आया है। इनसे हमारे देश की दिशा बदल गई है। आज हम पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने की राह पर हैं।

प्रिय छात्रों,

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। यह हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। लेकिन, आप सभी के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है। अगले 25 वर्षों के अंत तक, जब हम अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष मना रहे होंगे, हमारा लक्ष्य है की हमें विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल होना है। इस राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आप जैसे युवाओं को उत्साह के साथ काम करना और हमारे देश के विकास में योगदान देना महत्वपूर्ण है।

मैं, एक बार फिर सेंट जोसेफ विश्वविद्यालय के सभी संकाय-सदस्यों, कर्मचारियों और छात्रों को आपकी उपलब्धियों के लिए बधाई देती हूं। मुझे विश्वास है कि आप जो भी करने का चुनाव करेंगे, उसमें आप उत्कृष्ट स्तर प्राप्त करेंगे और भारत को global leader बनाने में योगदान देंगे। आप सभी को मेरी शुभकामनाएं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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