वृंदावन चंद्रोदय मंदिर में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
वृंदावन, उत्तर प्रदेश : 16.11.2014
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मुझे आज वृंदावन में आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। मैं ऐसी अद्वितीय परियोजना की संकल्पना के लिए इस्कॉन को बधाई देता हूं। मैं समझता हूं कि वृंदावन चंद्रोदय मंदिर,जिसकी आधारशिला इस वर्ष 16 मार्च को रखी गई थी,भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और काल को पुनसर्जित करने वाली स्थापत्यकला की एक भव्य रचना है। इससे प्रत्येक वर्ष वृंदावन में एकत्र होने वाले हजारों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक चेतना की नई अवस्थाओं को अनुभव करने का अवसर मिलेगा।
2. इस अवसर पर, मैं इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रद्धेय ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद के प्रति गहन सराहना और सम्मान प्रकट करता हूं जिन्होंने कृष्ण भावनामृत के संदेश का प्रसार सम्पूर्ण विश्व में किया। एक प्रख्यात आध्यात्मवादी और लेखक,आचार्य पशुपाद का स्वर आज भी सम्पूर्ण विश्व के कृष्णभक्तों के हृदयों में गुंजायमान है।
3. महान संत और दार्शनिक श्री चैतन्य महाप्रभु ने पंद्रहवीं शताब्दी में अपने शिष्यों के साथ वृंदावन में मंदिर स्थापित किए तथा सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत की। वह वृंदावन को भक्ति पीठ बनाने तथा सम्पूर्ण भारत में हमारे प्राचीन ग्रंथों में निहित सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार में सहायक बने। मुझे प्रसन्नता है कि प्रस्तावित मंदिर का उद्देश्य इस महान परंपरा को बनाए रखना तथा आगे बढ़ाना है।
4. श्री मधु पंडित दास जिन्होंने इस मंदिर परियोजना की संकल्पना की है,ने सही कहा है कि यह मंदिर मात्र कंक्रीट और इस्पात का ढांचा नहीं होगा बल्कि यह एक जीवंत और ऊर्जावान संस्थान होगा तथा ज्ञान और शिक्षा का केंद्र बनेगा। वृंदावन चंद्रोदय मंदिर सरल और तार्किक विधि से भगवद् गीता और श्रीमद् भागवतम् के दार्शनिक संदेश का प्रसार करने का प्रयत्न करेगा। वर्तमान समाज के रूप में यह संदेश हमारे लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है। एक राष्ट्र के रूप में विकासात्मक सोपान पर आगे बढ़ने के दौरान,यह अत्यावश्यक है कि हमारी सभ्यता का आधार,हमारी आध्यात्मिक बुनियाद, सदैव के समान अक्षुण्ण और सशक्त बनी रहे।
5. देवियो और सज्जनो, भारत विश्व की प्राचीनतम और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध सभ्यताओं में से है। अब जब हम एक विकासशील से विकसित अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं,हमारे सामाजिक-आर्थिक और नैतिक ताने-बाने पर अत्यंत दबाव पड़ेगा। अत: यह अत्यावश्यक है कि हम अपने आध्यात्मिक आयामों से पुन: जुड़ें। इस कार्य के लिए सार्वभौमिक प्रेम और मानवता का भगवद् गीता का संदेश प्रसारित करने से अधिक बेहतर अन्य कोई तरीका नहीं हो सकता है। मैं, विश्व भर में भगवान कृष्ण के कालजयी उपदेशों के उल्लेख और प्रचार-प्रसार के प्रयासों के लिए इस्कॉन को बधाई देता हूं।
6. मुझे विशेष रूप से यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस परियोजना के तत्वावधान में समाज के उत्थान के लिए प्रस्तावित अनेक पहलों में वृंदावन की विधवाओं के लिए अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों तथा ब्रज के महत्त्वपूर्ण स्थलों का जीर्णोद्धार,उन्नयन तथा पुनरुद्धार शामिल है। अक्षय पात्र कार्यक्रम, जिसके माध्यम से इस्कॉन विगत दशक से मथुरा जिले के 2160 विद्यालयों में लगभग1.4 लाख बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध करवा रहा है,वास्तव में एक नेक प्रयास है।
देवियो और सज्जनो,
7. श्रीमद् भागवतम् में आध्यात्मिकता के चार स्तंभों, सत्य, करुणा,आत्मसंयम और शुचिता का उल्लेख किया गया है। सभ्य समाज इन मूल्यों के दायरे के अंतर्गत ही विद्यमान और सक्रिय है। भगवान कृष्ण ने भगवद् गीता के अमर उपदेशों के माध्यम से अनेक सहस्राब्दियों के लिए भारत के बौद्धिक,सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मानस को मार्गदर्शन प्रदान किया है। इसलिए यह और भी उपयुक्त है कि वृंदावन आध्यात्मिक ज्ञान का एक ऐसा विश्व विख्यात केंद्र बनने का प्रयत्न करे,जहां से दिव्यता और शांति का संदेश सम्पूर्ण मानवों में फैले।
8. मुझ यह जानकर खुशी हुई है कि भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने वृंदावन को धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनाने के लिए अनेक पहलें की हैं। वर्तमान परियोजना इन पहलों में एक नया आयाम जोड़ेगी तथा उम्मीद है कि ये स्थानीय समाज और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए सकारात्मक रूप से लाभकारी होंगी। मुझे विश्वास है कि इस्कॉन, केंद्र और राज्य सरकार दोनों के समाज परिवर्तन और सुधार उन्मुख प्रयासों में साझीदार बनता रहेगा।
9. मैं एक बार पुन: परियोजना को तथा सम्पूर्ण इस्कॉन टीम को अपने प्रयासों में सफल होने के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!